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प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी और कालाबाजारी ने किया लोगों को बेहाल, सरकारी आदेश हुआ हवा-हवाई

प्रदेश में जब कोरोना की दूसरी लहर में हालात बद से बदतर हो गए. इस दौरान प्राइवेट अस्पतालों ने मरीजों के तीमारदारों से मनमाने तरीके से वसूली की. इतना ही नहीं बाजारों में भी जीवन रक्षक दवाओं और ऑक्सीजन की खूब कालाबाजारी हुई. देखिये ये रिपोर्ट...

प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर रिपोर्ट.
प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर रिपोर्ट.
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Published : May 19, 2021, 8:47 PM IST

वाराणसी: कोविड-19 की दूसरी लहर ने पूरे देश में आपाधापी की स्थिति पैदा कर दी है. पहली लहर में स्थिति काबू में आई, लेकिन दूसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई. सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था की बदहाली का पूरा फायदा प्राइवेट अस्पतालों ने उठाया. इस दौरान कभी बेड की कमी तो कभी ऑक्सीजन की किल्लत और कभी दवाओं और इंजेक्शन की कमी का रोना रोते हुए न सिर्फ इसकी कालाबाजारी चरम पर हुई बल्कि प्राइवेट अस्पतालों ने भी जमकर मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशान कर मोटी रकम वसूली. एक नहीं सैकड़ों ऐसे केस हैं जिसमें परिजनों से इलाज के नाम पर जबरदस्त धन उगाही प्राइवेट अस्पतालों ने की. प्राइवेट अस्पतालों की यह मनमानी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी जारी है. 50 से ज्यादा अस्पतालों को कोविड-19 इलाज के लिए चुना गया है, लेकिन इन पर प्रशासन का चाबुक ना चल पाने की वजह से यह किसी को नहीं छोड़ रहे. क्या आम और क्या खास सब कोई प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के आगे बेबस होकर अपनों को खोने का गम या बेहतर इलाज की उम्मीद के साथ दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर रिपोर्ट.

पीएम के प्रस्तावक भी बन गए निशाना, लाश दिखाने के नाम पर वसूली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रह चुके पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्रा के परिवार में कोविड-19 संक्रमण से पहले उनकी पत्नी और फिर बड़ी बेटी संगीता मिश्रा की मौत हो गई. पत्नी की मौत के बाद अचानक से बेटी की तबीयत बिगड़ी तब उसे मैदागिन स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां दो ही दिन बाद उसने दम तोड़ दिया. बहन की मौत के बाद पंडित छन्नूलाल मिश्र की छोटी बेटी नम्रता मिश्रा ने अस्पताल प्रबंधन पर जमकर आरोप लगाए. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बहन की लाश दिखाने के नाम पर उनसे धन उगाही की गई. पहले तीन लाख रुपये और फिर बाद में चार लाख जमा करने के लिए कहा गया. कुल सात लाख रुपये से ज्यादा का बिल बनाने के बाद बिल की कॉपी भी पूरी तरह से नहीं दी गई. जब डिटेल बिल की कॉपी की मांग की गई तो अस्पताल प्रबंधन आनाकानी करने लगा. इसके बाद शिकायत हुई और जांच कमेटी गठित कर इस अस्पताल के खिलाफ जांच की जा रही है.



आईसीयू के नाम पर वसूली
यह कोई पहला केस नहीं था. ऐसा ही मामला वाराणसी के महाश्वेता अस्पताल में भी सामने आया. जहां चौकाघाट की रहने वाली सना नैय्यर ने वीडियो वायरल कर अपनी मां शबाना नैय्यर के इलाज में लापरवाही करते हुए मनमानी वसूली का आरोप प्राइवेट अस्पताल पर लगाया था. उनका आरोप था कि आईसीयू में भर्ती कराने के नाम पर उनसे 30 हजार रुपये प्रतिदिन की वसूली की गई, लेकिन उनकी मां का इलाज जनरल वार्ड में किया जा रहा था. जिसका वीडियो खुद परिजनों ने वायरल किया. ऐसे बहुत से केस हैं जिनमें प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी चरम पर दिखाई दी.

इसे भी पढे़ं- अखिलेश यादव का दावा, बंगाल में तीसरी बार बनेगी ममता की सरकार

9 दिन इलाज के नाम पर 6 लाख का बिल
वाराणसी के महमूरगंज और बड़ागांव थानाक्षेत्र में भी प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी सामने आई. यहां महमूरगंज इलाके में इलाज के नाम पर मरीज के परिजन को 9 दिन का 6 लाख रुपये का बिल थमा दिया गया. मरीज के परिजनों का कहना है कि उन्होंने महमूरगंज स्थित एक निजी कोविड अस्पताल में अपने मरीज को भर्ती किया था. जहां अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टर के राउंड लेने, जांच करने और पीपीई किट आदि के दाम को जोड़कर 6 लाख का बिल बना दिया है. बिल में 90 हजार मिसलेनियस खर्च में दर्शाया गया है. जबकि हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह बिल 1.62 लाख रूपये होना चाहिए था. आरोप है कि इस बारे में अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछने पर उल्टा मरीज के परिजनों के साथ बदसलूकी की गयी.

वहीं वाराणसी के बड़ागांव थाना क्षेत्र के काजीसराय में भी एक निजी अस्पताल में मरीज को भर्ती करने के नाम पर साढ़े 3 लाख रुपये की मांग की गई. साथ ही मनमाने तरीके से बिना योग्य डॉक्टर के मरीज का इलाज भी किया गया. मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन के इस रवैए के खिलाफ उन्होंने जिला प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई है. इसके बाद अस्पताल प्रशासन पर धोखाधड़ी समेत अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है.

इसे भी पढे़ं- झूठ का विश्व रिकॉर्ड बना रही है बीजेपी: अखिलेश यादव

बाजार में कमी दिखाकर कालाबाजारी भी चरम पर
कोरोना काल में एक तरफ जहां प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मनमानी जा रही है. वहीं ऑक्सीजन को लेकर भी काफी मारामारी की स्थिति रही हालांकि अब ऑक्सीजन की किल्लत दूर हो गई है, लेकिन आज से लगभग 20-25 दिन पहले ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी भी जमकर हो रही थी. इतना ही नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन के नाम पर भी मोटी रकम वसूली के मामले भी सामने आए. कालाबाजारी की शिकायतें प्रशासन तक पहुंची तो कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई. अब तक बनारस में सात लोगों को इंजेक्शन की कालाबाजारी समेत तीन लोगों को ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है.


प्रशासन का दावा हो रही है कड़ी कार्रवाई
इस पूरे मामले में अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बीवी सिंह का कहना है, निजी अस्पतालों मनमानी पर रोक लगाने के लिए एक्शन लिया जा रहा है. 14 अस्पतालों को नोटिस जारी किया जा चुका है और उनसे जवाब मांगा गया है. अन्य अस्पतालों की निगरानी की जा रही है. शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा रही है और यह जारी रहेगी. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पुलिस, इनकम टैक्स और प्रशासन की एक टीम बनाई गई है, जो अस्पतालों की समय-समय पर जांच भी कर रही है. इतना ही नहीं शासन की तरफ से निर्धारित रेट लिस्ट के आधार पर ही मरीजों को भर्ती करने के आदेश दिए गए हैं. खाली बेड की उपलब्धता सार्वजनिक करने और रेट लिस्ट को सार्वजनिक करने के आदेश भी दिए जा चुके हैं. अस्पतालों ने इस पर काम शुरू किया है, जो नहीं मानेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन पर एक्शन होगा.



ये हैं सरकारी नियम

  • मध्यम बीमारी (मोडरेट सिकनेस) से ग्रसित मरीज को सहायक देखभाल सहित एक दिन के इलाज के लिए 10,000 रुपये (पीपीई किट 1200 रुपये सहित) देने होंगे.
  • दूसरे वर्ग में गंभीर बीमारी (सीवियर सिकनेस) से ग्रसित मरीज को आईसीयू में बिना वेंटिलेटर के लिए एक दिन के इलाज के लिए 15,000 रुपये (पीपीई किट 2000 रुपये सहित) देने होंगे.
  • तीसरे वर्ग में अधिक गंभीर बीमारी (वेरी सीवियर सिकनेस) से ग्रसित मरीज को एक दिन के इलाज के लिए 18,000 रुपये (पीपीई किट 2000 रुपये सहित) देने होंगे.
  • उपरोक्त दर एनएबीएच (नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल एंड हेल्थकेयर) मान्यता प्राप्त हॉस्पिटल के द्वारा निर्धारित की गयी है.
  • गैर एनएबीएच मान्यता प्राप्त के अंतर्गत पहले वर्ग के इलाज के लिए एक दिन के 8,000 रुपये (पीपीई के 1200 रुपये सहित), दूसरे वर्ग के इलाज के लिए एक दिन 13,000 रुपये (पीपीई के 2000 रुपये सहित) और तीसरे वर्ग के इलाज के लिए एक दिन के 15,000 रुपये (पीपीई के 2000 रुपये सहित) देने होंगे.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीवी सिंह ने बताया

पहले वर्ग के पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार, उपचार प्रदान किये जाने के लिए बेड, भोजन तथा अन्य सुविधायें जैसे- नर्सिंग केयर, मॉनीटरिंग, इमेजिंग (एक्स-रे) सहित अन्य आवश्यक जांचे जैसे- सीबीसी, आरबीएस, एलएफ़टी, आरएफ़टी इत्यादि विजिट/कन्सल्ट, चिकित्सक, परीक्षण आदि की सुविधायें सम्मिलित हैं. प्रयोगात्मक उपचार जैसे रेमडेसिविर इत्यादि को छोड़कर अन्य उपचार पैकेज में सम्मिलित हैं. (कोविड-19 हेतु आरटीपीसीआर टेस्ट तथा आईएल-6 टेस्ट सम्मिलित नहीं किया गया है).

दूसरे वर्ग के पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार, उपचार प्रदान किये जाने के लिए बेड, भोजन तथा अन्य सुविधायें जैसे नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेजिंग (एक्स-रे) सहित अन्य आवश्यक जांचे जैसे- सीबीसी, आरबीएस, एलएफ़टी, आरएफ़टी इत्यादि विजिट/कन्सल्ट, चिकित्सक, परीक्षण आदि की सुविधायें सम्मिलित हैं. को-मोर्बिडटीज श्रेणी में हाइपरटेंशन और अनियंत्रित डायबिटीज रोगियों का उपचार तथा अल्प अवधि की हीमोडायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में सम्मिलित है. प्रयोगात्मक उपचार जैसे- रैमडेसिविर इत्यादि को छोड़कर अन्य उपचार पैकेज में सम्मिलित हैं. (कोविड-19 हेतु आरटीपीसीआर टेस्ट तथा आईएल 6 टेस्ट सम्मिलित नहीं किया गया है).हीमोडायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में सम्मिलित है.

तीसरे वर्ग के पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार, उपचार प्रदान किये जाने के लिए इनवैसिव मैकेनिकल वेन्टीलेशन तथा नान-इनवैसिव मैकेनिकल वेन्टीलेशन जैसे एच.एफ.एनसी एवं बाई पैप की आवश्यकता वाले रोगियों का उपचार सम्मिलित है. बेड, भोजन तथा अन्य सुविधायें जैसे- नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेजिंग (एक्स-रे) सहित अन्य आवश्यक जांचे जैसे - सीबीसी, आरबीएस, एलएफ़टी, आरएफटी इत्यादिविजिट/कन्सल्ट, चिकित्सक, परीक्षण आदि की सुविधायें सम्मिलित हैं. को-मोर्बिडटीज इस श्रेणी में हाइपरटेंशन और अनियंत्रित डायबिटीज रोगियों का उपचार तथा अल्प अवधि की हीमोडायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में सम्मिलित है. प्रयोगात्मक उपचार जैसे-रैमडेसिविर इत्यादि को छोड़कर अन्य उपचार पैकेज में सम्मिलित हैं. (कोविड-19 हेतु आरटीपीसीआर टेस्ट तथा आई0एल0-6 टेस्ट सम्मिलित नहीं किया गया है).

वाराणसी: कोविड-19 की दूसरी लहर ने पूरे देश में आपाधापी की स्थिति पैदा कर दी है. पहली लहर में स्थिति काबू में आई, लेकिन दूसरी लहर में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई. सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था की बदहाली का पूरा फायदा प्राइवेट अस्पतालों ने उठाया. इस दौरान कभी बेड की कमी तो कभी ऑक्सीजन की किल्लत और कभी दवाओं और इंजेक्शन की कमी का रोना रोते हुए न सिर्फ इसकी कालाबाजारी चरम पर हुई बल्कि प्राइवेट अस्पतालों ने भी जमकर मरीजों और उनके तीमारदारों को परेशान कर मोटी रकम वसूली. एक नहीं सैकड़ों ऐसे केस हैं जिसमें परिजनों से इलाज के नाम पर जबरदस्त धन उगाही प्राइवेट अस्पतालों ने की. प्राइवेट अस्पतालों की यह मनमानी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी जारी है. 50 से ज्यादा अस्पतालों को कोविड-19 इलाज के लिए चुना गया है, लेकिन इन पर प्रशासन का चाबुक ना चल पाने की वजह से यह किसी को नहीं छोड़ रहे. क्या आम और क्या खास सब कोई प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी के आगे बेबस होकर अपनों को खोने का गम या बेहतर इलाज की उम्मीद के साथ दर-दर भटकने को मजबूर हैं.

प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी पर रिपोर्ट.

पीएम के प्रस्तावक भी बन गए निशाना, लाश दिखाने के नाम पर वसूली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावक रह चुके पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्रा के परिवार में कोविड-19 संक्रमण से पहले उनकी पत्नी और फिर बड़ी बेटी संगीता मिश्रा की मौत हो गई. पत्नी की मौत के बाद अचानक से बेटी की तबीयत बिगड़ी तब उसे मैदागिन स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां दो ही दिन बाद उसने दम तोड़ दिया. बहन की मौत के बाद पंडित छन्नूलाल मिश्र की छोटी बेटी नम्रता मिश्रा ने अस्पताल प्रबंधन पर जमकर आरोप लगाए. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बहन की लाश दिखाने के नाम पर उनसे धन उगाही की गई. पहले तीन लाख रुपये और फिर बाद में चार लाख जमा करने के लिए कहा गया. कुल सात लाख रुपये से ज्यादा का बिल बनाने के बाद बिल की कॉपी भी पूरी तरह से नहीं दी गई. जब डिटेल बिल की कॉपी की मांग की गई तो अस्पताल प्रबंधन आनाकानी करने लगा. इसके बाद शिकायत हुई और जांच कमेटी गठित कर इस अस्पताल के खिलाफ जांच की जा रही है.



आईसीयू के नाम पर वसूली
यह कोई पहला केस नहीं था. ऐसा ही मामला वाराणसी के महाश्वेता अस्पताल में भी सामने आया. जहां चौकाघाट की रहने वाली सना नैय्यर ने वीडियो वायरल कर अपनी मां शबाना नैय्यर के इलाज में लापरवाही करते हुए मनमानी वसूली का आरोप प्राइवेट अस्पताल पर लगाया था. उनका आरोप था कि आईसीयू में भर्ती कराने के नाम पर उनसे 30 हजार रुपये प्रतिदिन की वसूली की गई, लेकिन उनकी मां का इलाज जनरल वार्ड में किया जा रहा था. जिसका वीडियो खुद परिजनों ने वायरल किया. ऐसे बहुत से केस हैं जिनमें प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी चरम पर दिखाई दी.

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9 दिन इलाज के नाम पर 6 लाख का बिल
वाराणसी के महमूरगंज और बड़ागांव थानाक्षेत्र में भी प्राइवेट अस्पतालों की मनमानी सामने आई. यहां महमूरगंज इलाके में इलाज के नाम पर मरीज के परिजन को 9 दिन का 6 लाख रुपये का बिल थमा दिया गया. मरीज के परिजनों का कहना है कि उन्होंने महमूरगंज स्थित एक निजी कोविड अस्पताल में अपने मरीज को भर्ती किया था. जहां अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टर के राउंड लेने, जांच करने और पीपीई किट आदि के दाम को जोड़कर 6 लाख का बिल बना दिया है. बिल में 90 हजार मिसलेनियस खर्च में दर्शाया गया है. जबकि हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार यह बिल 1.62 लाख रूपये होना चाहिए था. आरोप है कि इस बारे में अस्पताल प्रशासन से सवाल पूछने पर उल्टा मरीज के परिजनों के साथ बदसलूकी की गयी.

वहीं वाराणसी के बड़ागांव थाना क्षेत्र के काजीसराय में भी एक निजी अस्पताल में मरीज को भर्ती करने के नाम पर साढ़े 3 लाख रुपये की मांग की गई. साथ ही मनमाने तरीके से बिना योग्य डॉक्टर के मरीज का इलाज भी किया गया. मरीज के परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन के इस रवैए के खिलाफ उन्होंने जिला प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई है. इसके बाद अस्पताल प्रशासन पर धोखाधड़ी समेत अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया है.

इसे भी पढे़ं- झूठ का विश्व रिकॉर्ड बना रही है बीजेपी: अखिलेश यादव

बाजार में कमी दिखाकर कालाबाजारी भी चरम पर
कोरोना काल में एक तरफ जहां प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मनमानी जा रही है. वहीं ऑक्सीजन को लेकर भी काफी मारामारी की स्थिति रही हालांकि अब ऑक्सीजन की किल्लत दूर हो गई है, लेकिन आज से लगभग 20-25 दिन पहले ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी भी जमकर हो रही थी. इतना ही नहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन के नाम पर भी मोटी रकम वसूली के मामले भी सामने आए. कालाबाजारी की शिकायतें प्रशासन तक पहुंची तो कई लोगों की गिरफ्तारी भी हुई. अब तक बनारस में सात लोगों को इंजेक्शन की कालाबाजारी समेत तीन लोगों को ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है.


प्रशासन का दावा हो रही है कड़ी कार्रवाई
इस पूरे मामले में अब मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बीवी सिंह का कहना है, निजी अस्पतालों मनमानी पर रोक लगाने के लिए एक्शन लिया जा रहा है. 14 अस्पतालों को नोटिस जारी किया जा चुका है और उनसे जवाब मांगा गया है. अन्य अस्पतालों की निगरानी की जा रही है. शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जा रही है और यह जारी रहेगी. जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पुलिस, इनकम टैक्स और प्रशासन की एक टीम बनाई गई है, जो अस्पतालों की समय-समय पर जांच भी कर रही है. इतना ही नहीं शासन की तरफ से निर्धारित रेट लिस्ट के आधार पर ही मरीजों को भर्ती करने के आदेश दिए गए हैं. खाली बेड की उपलब्धता सार्वजनिक करने और रेट लिस्ट को सार्वजनिक करने के आदेश भी दिए जा चुके हैं. अस्पतालों ने इस पर काम शुरू किया है, जो नहीं मानेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन पर एक्शन होगा.



ये हैं सरकारी नियम

  • मध्यम बीमारी (मोडरेट सिकनेस) से ग्रसित मरीज को सहायक देखभाल सहित एक दिन के इलाज के लिए 10,000 रुपये (पीपीई किट 1200 रुपये सहित) देने होंगे.
  • दूसरे वर्ग में गंभीर बीमारी (सीवियर सिकनेस) से ग्रसित मरीज को आईसीयू में बिना वेंटिलेटर के लिए एक दिन के इलाज के लिए 15,000 रुपये (पीपीई किट 2000 रुपये सहित) देने होंगे.
  • तीसरे वर्ग में अधिक गंभीर बीमारी (वेरी सीवियर सिकनेस) से ग्रसित मरीज को एक दिन के इलाज के लिए 18,000 रुपये (पीपीई किट 2000 रुपये सहित) देने होंगे.
  • उपरोक्त दर एनएबीएच (नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल एंड हेल्थकेयर) मान्यता प्राप्त हॉस्पिटल के द्वारा निर्धारित की गयी है.
  • गैर एनएबीएच मान्यता प्राप्त के अंतर्गत पहले वर्ग के इलाज के लिए एक दिन के 8,000 रुपये (पीपीई के 1200 रुपये सहित), दूसरे वर्ग के इलाज के लिए एक दिन 13,000 रुपये (पीपीई के 2000 रुपये सहित) और तीसरे वर्ग के इलाज के लिए एक दिन के 15,000 रुपये (पीपीई के 2000 रुपये सहित) देने होंगे.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीवी सिंह ने बताया

पहले वर्ग के पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार, उपचार प्रदान किये जाने के लिए बेड, भोजन तथा अन्य सुविधायें जैसे- नर्सिंग केयर, मॉनीटरिंग, इमेजिंग (एक्स-रे) सहित अन्य आवश्यक जांचे जैसे- सीबीसी, आरबीएस, एलएफ़टी, आरएफ़टी इत्यादि विजिट/कन्सल्ट, चिकित्सक, परीक्षण आदि की सुविधायें सम्मिलित हैं. प्रयोगात्मक उपचार जैसे रेमडेसिविर इत्यादि को छोड़कर अन्य उपचार पैकेज में सम्मिलित हैं. (कोविड-19 हेतु आरटीपीसीआर टेस्ट तथा आईएल-6 टेस्ट सम्मिलित नहीं किया गया है).

दूसरे वर्ग के पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार, उपचार प्रदान किये जाने के लिए बेड, भोजन तथा अन्य सुविधायें जैसे नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेजिंग (एक्स-रे) सहित अन्य आवश्यक जांचे जैसे- सीबीसी, आरबीएस, एलएफ़टी, आरएफ़टी इत्यादि विजिट/कन्सल्ट, चिकित्सक, परीक्षण आदि की सुविधायें सम्मिलित हैं. को-मोर्बिडटीज श्रेणी में हाइपरटेंशन और अनियंत्रित डायबिटीज रोगियों का उपचार तथा अल्प अवधि की हीमोडायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में सम्मिलित है. प्रयोगात्मक उपचार जैसे- रैमडेसिविर इत्यादि को छोड़कर अन्य उपचार पैकेज में सम्मिलित हैं. (कोविड-19 हेतु आरटीपीसीआर टेस्ट तथा आईएल 6 टेस्ट सम्मिलित नहीं किया गया है).हीमोडायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में सम्मिलित है.

तीसरे वर्ग के पैकेज में कोविड केयर प्रोटोकॉल के अनुसार, उपचार प्रदान किये जाने के लिए इनवैसिव मैकेनिकल वेन्टीलेशन तथा नान-इनवैसिव मैकेनिकल वेन्टीलेशन जैसे एच.एफ.एनसी एवं बाई पैप की आवश्यकता वाले रोगियों का उपचार सम्मिलित है. बेड, भोजन तथा अन्य सुविधायें जैसे- नर्सिंग केयर, मानीटरिंग, इमेजिंग (एक्स-रे) सहित अन्य आवश्यक जांचे जैसे - सीबीसी, आरबीएस, एलएफ़टी, आरएफटी इत्यादिविजिट/कन्सल्ट, चिकित्सक, परीक्षण आदि की सुविधायें सम्मिलित हैं. को-मोर्बिडटीज इस श्रेणी में हाइपरटेंशन और अनियंत्रित डायबिटीज रोगियों का उपचार तथा अल्प अवधि की हीमोडायलिसिस की सुविधा भी पैकेज में सम्मिलित है. प्रयोगात्मक उपचार जैसे-रैमडेसिविर इत्यादि को छोड़कर अन्य उपचार पैकेज में सम्मिलित हैं. (कोविड-19 हेतु आरटीपीसीआर टेस्ट तथा आई0एल0-6 टेस्ट सम्मिलित नहीं किया गया है).

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