वाराणसी : सोचिए, अगर आप अपने घर में रह रहे हों और आपको हर वक्त किसी बात की टेंशन हो तो लाइफ कितनी मुश्किल हो जाएगी. टेंशन फ्री रहने के लिए आप कितनी भी कोशिश करें, लेकिन कम न हो तो फिर मुश्किल और भी बढ़ सकती है. ऐसा ही टेंशन बनारस के कुछ इलाकों में रहने वाले लोगों के सिर पर हर वक्त मंडरा रहा है. हम बात कर रहे हैं बनारस की उन कॉलोनियों की जिनमें बने घरों के बाहर और छत के ऊपर से हाईटेंशन तारें गुजरती हैं. बनारस शहर से सटे बाहरी इलाकों में आबादी कम होने के दौरान प्लाटिंग कर बेची गई जमीनों पर अब तेजी से कॉलोनियां डेवलप हो चुकी हैं. लेकिन उस वक्त खाली पड़ी जमीन पर लगाए गए हाईटेंशन तारों के टावर अभी भी कॉलोनियों के बीच में मौजूद हैं. इसकी वजह से यहां रहने वाले हजारों लोगों पर हर वक्त खतरा मंडराता रहता है.
सैकड़ों घरों पर मंडरा रहा खतरा
दरअसल आज से लगभग 25 साल पहले बनारस शहर से सटे सुंदरपुर, चितईपुर इलाकों में खाली जमीनों की प्लॉटिंग शुरू हुई तो सस्ती जमीने लोगों ने तेजी से खरीदी, लेकिन इन जमीनों पर लगे हर टेंशन टावर को लोगों ने इग्नोर कर दिया. तेजी से खेत, घर बनते गए और आबादी बढ़ने के साथ ही घरों की संख्या भी बढ़ती गई, लेकिन इन सबके बीच अगल-बगल बन रहे घरों के मालिकों ने हाईटेंशन तार के टावर और बीच से गई तारों को नजरअंदाज कर निर्माण शुरू कर दिया. अब इसे सरकारी उदासीनता कहें या लापरवाही किसी ने न तो इनको रोका और न टोका, घर बनते चले गए. जिसके बाद अब आबादी के बीचो बीच खड़े बड़े-बड़े हाईटेंशन तार के टावर लोगों की टेंशन बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
हो चुके हैं हादसे
बनारस के सुंदरपुर क्षेत्र में चितईपुर की कॉलोनियों के हर घर पर हाईटेंशन लाइन देखने को मिलेगी. इसमें राजेंद्र विहार, इंदिरा नगर, प्रभात नगर कॉलोनी समेत आस-पास की लगभग आधा दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में लोगों के घरों के बाहर या फिर छत के ठीक ऊपर से गुजरे नंगी तारों में करंट हर वक्त दौड़ता रहता है. यह कितना खतरनाक हो सकता है, इसका उदाहरण कई बार हो चुके हादसे में देखने को भी मिला है. अगर बीते 10 सालों की बात की जाए तो सिर्फ इंदिरा नगर और प्रभात नगर कॉलोनी में 20 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. कितने लोगों के घरों के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हर रोज खराब हो रहे हैं. हाल ही में दीपावली के मौके पर घर की छत पर झालर लगा रहे एक व्यक्ति की मौत हाईटेंशन की चपेट में आकर हो गई थी. लगातार हो रहे हादसे न सिर्फ लोगों को डरा रहे हैं, बल्कि इस क्षेत्र में रहने वाले बच्चे भी अपने घरों में कैद होने पर मजबूर हैं.
डर छीन रहा बचपन
घरों की छत के ऊपर से गुजरी हाईटेंशन तार की वजह से मां-बाप घर की छत पर खेलने या पतंगबाजी करने के लिए इन बच्चों को नहीं जाने देते हैं. आलम यह है कि सड़क के एक किनारे और घरों के बीचों बीच हर जगह आपको हाईटेंशन तार का यह जंजाल देखने को मिल जाएगा.
अधिकारियों ने कहा, हटाने का कोई प्लान नहीं
हालांकि इस बारे में जब हमने जिम्मेदार विभाग पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम से बातचीत की तो अधिकारियों ने साफ तौर पर कहा कि पहले हाईटेंशन बिछाई गई बाद में घर बने. चीफ इंजीनियर एनके अग्रवाल ने बताया कि हाईटेंशन तार को लगे कई साल हो चुके हैं. लोगों ने कॉलोनियां बाद में बसाई गईं. लोगों को सुरक्षित रखने के लिए बनाए जा रहे घरों से तारों की दूरी कम से कम 100 फुट रखने के निर्देश दिए गए हैं. यह ध्यान दिया जाता है कि घरों के ठीक ऊपर से हाईटेंशन तार न जाए. बारिश के मौसम में विशेष सतर्कता बरती जाती है. किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर शिकायत मिलते ही उसका त्वरित निस्तारण किया जाता है ताकि हर कोई सुरक्षित रह सके. वहीं उन्होंने साफ तौर पर कहा कि फिलहाल तारों को हटाने का कोई प्लान नही है. उन्होंने कहा कि जब कभी तार को अंडरग्राउंड करने की योजना बनेगी तब इनके बारे में कुछ सोचा जा सकता है.