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गंगा-वरुणा का जलस्तर घटा, अब बीमारियों का संकट खड़ा

वाराणसी में गंगा नदीं अब खतरे के निशान से काफी नीचे चली गई है, लेकिन अभी भी वहां के हालात ठीक नहीं हैं. बाढ़ का पानी कम होने से गंदगी मलबे का अंबार है, जिससे स्थानीय लोगों का जीना दुश्वार है. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग को लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कदम उठाए जाने की जरूरत है.

बाढ़ के बाद गंदगी से परेशान काशीवासी
बाढ़ के बाद गंदगी से परेशान काशीवासी
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Published : Aug 23, 2021, 11:57 AM IST

वाराणसी: पिछले दिनों जीवनदायिनी मां गंगा का रौद्र रूप सभी ने देखा ही होगा. काशी में विकराल रूप धारण किए गंगा नदी ने जो तबाही मचाई, उससे काशीवासियों की रातों की नींद उड़ी हुई थी. गंगा के साथ सहायक नदी वरुणा भी उफान पर थी. खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा नदी के साथ उसकी सहायक वरुणा नदी ने बहुत से लोगों को बेघर कर दिया. काशीवासियों ने बाढ़ का जो दंश देखा वह वो भूल नहीं पाएंगे. यह तबाही का मंजर केवल काशी ही नहीं, बल्कि राज्य के अलग अलग हिस्सों में भी देखने को मिला. हालांकि, अब गंगा का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर कम हो रहा है और वरुणा भी काफी नीचे उतर चुकी है, लेकिन हालात अभी भी बद से बदतर हैं.

दरअसल, सावन के महीने में पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश का असर मैदानी इलाकों में देखने को मिला. तेजी से बढ़े नदियों के जलस्तर ने भयंकर तबाही मचाई, जिसके चलते चारों तरफ हाहाकार की स्थिति रही. काशी के घाट भी पूरी तरह जलमग्न रहे, जिसके चलते शवों की अंत्येष्टि के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. बनारस में तो गंगा खतरे के निशान 71. 26 मीटर से काफी ऊपर 72.35 मीटर तक पहुंच गई थी, जिसकी वजह से गंगा की सहायक नदी वरुणा भी अपनी सीमाओं को तोड़ते हुए लोगों के घरों तक पहुंच गई थी.

बाढ़ के बाद दुर्गंध से परेशान काशीवासी
हालांकि, गंगा का जलस्तर 66 मीटर तक पहुंच गया है, लेकिन गंगा और वरुणा के नीचे जाने के बाद भी इसके तटीय इलाकों में हालात बद से बदतर हैं, क्योंकि गंगा का पानी नीचे उतरने के बाद भी गंदे पानी से मलबे, कीचड़ और दुर्गंध ने स्थानीय लोगों के लिए वापस लौटना असंभव बना दिया है. हालात ये हैं कि चारों ओर गंदगी और बदबू से लोगों का जीना दुश्वार हो रखा है. जिन लोगों के घरों से पानी नीचे जा चुका है. वह भी अपने घर नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि घर की स्थिति बेहद खराब है.महाश्मशान घाट मणिकर्णिका जहां पर हर रोज हजारों की संख्या में लोगों का आना जाना होता है. दूर-दूर से यहां पर सब यात्री अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं, लेकिन यहां पर चारों ओर सिर्फ बदहाली की तस्वीर देखने को मिल रही है. पानी नीचे उतरने के बाद घाटों पर मोटी लेयर जमा है. जिसकी वजह से यहां आने वाले गिरते पड़ते नजर आ रहे थे. यहां पर दुकान चलाने वाले लोगों के सामने भी बड़ी दिक्कत है, क्योंकि दुकानों के अंदर अभी भी मिट्टी जमा है और रोजी-रोटी का संकट बरकरार है. यहां की हकीकत जानने के बाद हम वरुणा के तटीय इलाके में पहुंचे.वरुणा पार पुलकोहोना इलाके में अभी भी बड़ी आबादी खुले आसमान के नीचे त्रिपाल लगाकर रहने पर मजबूर है, क्योंकि पानी तो नीचे उतर गया है, लेकिन गंदगी बदबू और मच्छरों के आतंक से हर कोई परेशान है. क्षेत्र में बीमारी भी अपने पांव पसार रही है. लोगों ने बताया कि घरों में अभी रहना मुश्किल है. गृहस्थी बसाने से पहले साफ सफाई और मच्छरों के आतंक से निजात पाना होगा, लेकिन ना तो प्रशासनिक अमला ध्यान दे रहा है और ना ही अन्य कोई आ रहा है. सबसे बुरे हालात इसलिए भी हैं क्योंकि बाढ़ पीड़ितों को मिलने वाला राशन यहां तक पहुंचा ही नहीं है. लोगों को अपने हालात पर छोड़ दिया गया है और अब बाढ़ का पानी नीचे उतरने के बाद इन इलाकों में स्थिति और भी भयावह हो चली है. ऐसे में अगर समय रहते इन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से ध्यान नहीं दिया गया, तो जल्द ही लोग बीमारी की चपेट में आ सकते हैं.इसे भी पढ़ें-राप्ती और बानगंगा नदी में उफान से 36 गांवों में तबाही, आठ दिन से नहीं मिली कोई सरकारी मदद

वाराणसी: पिछले दिनों जीवनदायिनी मां गंगा का रौद्र रूप सभी ने देखा ही होगा. काशी में विकराल रूप धारण किए गंगा नदी ने जो तबाही मचाई, उससे काशीवासियों की रातों की नींद उड़ी हुई थी. गंगा के साथ सहायक नदी वरुणा भी उफान पर थी. खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा नदी के साथ उसकी सहायक वरुणा नदी ने बहुत से लोगों को बेघर कर दिया. काशीवासियों ने बाढ़ का जो दंश देखा वह वो भूल नहीं पाएंगे. यह तबाही का मंजर केवल काशी ही नहीं, बल्कि राज्य के अलग अलग हिस्सों में भी देखने को मिला. हालांकि, अब गंगा का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर कम हो रहा है और वरुणा भी काफी नीचे उतर चुकी है, लेकिन हालात अभी भी बद से बदतर हैं.

दरअसल, सावन के महीने में पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश का असर मैदानी इलाकों में देखने को मिला. तेजी से बढ़े नदियों के जलस्तर ने भयंकर तबाही मचाई, जिसके चलते चारों तरफ हाहाकार की स्थिति रही. काशी के घाट भी पूरी तरह जलमग्न रहे, जिसके चलते शवों की अंत्येष्टि के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. बनारस में तो गंगा खतरे के निशान 71. 26 मीटर से काफी ऊपर 72.35 मीटर तक पहुंच गई थी, जिसकी वजह से गंगा की सहायक नदी वरुणा भी अपनी सीमाओं को तोड़ते हुए लोगों के घरों तक पहुंच गई थी.

बाढ़ के बाद दुर्गंध से परेशान काशीवासी
हालांकि, गंगा का जलस्तर 66 मीटर तक पहुंच गया है, लेकिन गंगा और वरुणा के नीचे जाने के बाद भी इसके तटीय इलाकों में हालात बद से बदतर हैं, क्योंकि गंगा का पानी नीचे उतरने के बाद भी गंदे पानी से मलबे, कीचड़ और दुर्गंध ने स्थानीय लोगों के लिए वापस लौटना असंभव बना दिया है. हालात ये हैं कि चारों ओर गंदगी और बदबू से लोगों का जीना दुश्वार हो रखा है. जिन लोगों के घरों से पानी नीचे जा चुका है. वह भी अपने घर नहीं जा पा रहे हैं क्योंकि घर की स्थिति बेहद खराब है.महाश्मशान घाट मणिकर्णिका जहां पर हर रोज हजारों की संख्या में लोगों का आना जाना होता है. दूर-दूर से यहां पर सब यात्री अपनों के दाह संस्कार के लिए आते हैं, लेकिन यहां पर चारों ओर सिर्फ बदहाली की तस्वीर देखने को मिल रही है. पानी नीचे उतरने के बाद घाटों पर मोटी लेयर जमा है. जिसकी वजह से यहां आने वाले गिरते पड़ते नजर आ रहे थे. यहां पर दुकान चलाने वाले लोगों के सामने भी बड़ी दिक्कत है, क्योंकि दुकानों के अंदर अभी भी मिट्टी जमा है और रोजी-रोटी का संकट बरकरार है. यहां की हकीकत जानने के बाद हम वरुणा के तटीय इलाके में पहुंचे.वरुणा पार पुलकोहोना इलाके में अभी भी बड़ी आबादी खुले आसमान के नीचे त्रिपाल लगाकर रहने पर मजबूर है, क्योंकि पानी तो नीचे उतर गया है, लेकिन गंदगी बदबू और मच्छरों के आतंक से हर कोई परेशान है. क्षेत्र में बीमारी भी अपने पांव पसार रही है. लोगों ने बताया कि घरों में अभी रहना मुश्किल है. गृहस्थी बसाने से पहले साफ सफाई और मच्छरों के आतंक से निजात पाना होगा, लेकिन ना तो प्रशासनिक अमला ध्यान दे रहा है और ना ही अन्य कोई आ रहा है. सबसे बुरे हालात इसलिए भी हैं क्योंकि बाढ़ पीड़ितों को मिलने वाला राशन यहां तक पहुंचा ही नहीं है. लोगों को अपने हालात पर छोड़ दिया गया है और अब बाढ़ का पानी नीचे उतरने के बाद इन इलाकों में स्थिति और भी भयावह हो चली है. ऐसे में अगर समय रहते इन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की ओर से ध्यान नहीं दिया गया, तो जल्द ही लोग बीमारी की चपेट में आ सकते हैं.इसे भी पढ़ें-राप्ती और बानगंगा नदी में उफान से 36 गांवों में तबाही, आठ दिन से नहीं मिली कोई सरकारी मदद
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