वाराणसी: पिछले दिनों जीवनदायिनी मां गंगा का रौद्र रूप सभी ने देखा ही होगा. काशी में विकराल रूप धारण किए गंगा नदी ने जो तबाही मचाई, उससे काशीवासियों की रातों की नींद उड़ी हुई थी. गंगा के साथ सहायक नदी वरुणा भी उफान पर थी. खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा नदी के साथ उसकी सहायक वरुणा नदी ने बहुत से लोगों को बेघर कर दिया. काशीवासियों ने बाढ़ का जो दंश देखा वह वो भूल नहीं पाएंगे. यह तबाही का मंजर केवल काशी ही नहीं, बल्कि राज्य के अलग अलग हिस्सों में भी देखने को मिला. हालांकि, अब गंगा का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर कम हो रहा है और वरुणा भी काफी नीचे उतर चुकी है, लेकिन हालात अभी भी बद से बदतर हैं.
दरअसल, सावन के महीने में पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश का असर मैदानी इलाकों में देखने को मिला. तेजी से बढ़े नदियों के जलस्तर ने भयंकर तबाही मचाई, जिसके चलते चारों तरफ हाहाकार की स्थिति रही. काशी के घाट भी पूरी तरह जलमग्न रहे, जिसके चलते शवों की अंत्येष्टि के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. बनारस में तो गंगा खतरे के निशान 71. 26 मीटर से काफी ऊपर 72.35 मीटर तक पहुंच गई थी, जिसकी वजह से गंगा की सहायक नदी वरुणा भी अपनी सीमाओं को तोड़ते हुए लोगों के घरों तक पहुंच गई थी.
गंगा-वरुणा का जलस्तर घटा, अब बीमारियों का संकट खड़ा
वाराणसी में गंगा नदीं अब खतरे के निशान से काफी नीचे चली गई है, लेकिन अभी भी वहां के हालात ठीक नहीं हैं. बाढ़ का पानी कम होने से गंदगी मलबे का अंबार है, जिससे स्थानीय लोगों का जीना दुश्वार है. ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग को लोगों के स्वास्थ्य को लेकर कदम उठाए जाने की जरूरत है.
वाराणसी: पिछले दिनों जीवनदायिनी मां गंगा का रौद्र रूप सभी ने देखा ही होगा. काशी में विकराल रूप धारण किए गंगा नदी ने जो तबाही मचाई, उससे काशीवासियों की रातों की नींद उड़ी हुई थी. गंगा के साथ सहायक नदी वरुणा भी उफान पर थी. खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा नदी के साथ उसकी सहायक वरुणा नदी ने बहुत से लोगों को बेघर कर दिया. काशीवासियों ने बाढ़ का जो दंश देखा वह वो भूल नहीं पाएंगे. यह तबाही का मंजर केवल काशी ही नहीं, बल्कि राज्य के अलग अलग हिस्सों में भी देखने को मिला. हालांकि, अब गंगा का जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जलस्तर कम हो रहा है और वरुणा भी काफी नीचे उतर चुकी है, लेकिन हालात अभी भी बद से बदतर हैं.
दरअसल, सावन के महीने में पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश का असर मैदानी इलाकों में देखने को मिला. तेजी से बढ़े नदियों के जलस्तर ने भयंकर तबाही मचाई, जिसके चलते चारों तरफ हाहाकार की स्थिति रही. काशी के घाट भी पूरी तरह जलमग्न रहे, जिसके चलते शवों की अंत्येष्टि के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा. बनारस में तो गंगा खतरे के निशान 71. 26 मीटर से काफी ऊपर 72.35 मीटर तक पहुंच गई थी, जिसकी वजह से गंगा की सहायक नदी वरुणा भी अपनी सीमाओं को तोड़ते हुए लोगों के घरों तक पहुंच गई थी.