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क्योटो बनाने का था सपना, स्मार्ट बनारस की गलियां बेहाल

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्मार्ट बनारस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है, लेकिन इन दिनों बनारस की गलियों में लोगों का पैदल चलना दुश्वार हो गया है. स्मार्ट सिटी योजना के तहत गलियां खोदकर छोड़ दी गई हैं, जिससे अब बरसात के मौसम में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

स्मार्ट बनारस की गलियां बेहाल
स्मार्ट बनारस की गलियां बेहाल
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Published : Jun 16, 2021, 12:26 PM IST

Updated : Jun 16, 2021, 7:08 PM IST

वाराणसी: बनारस स्मार्ट हो रहा है. स्मार्ट बोले तो हाई-फाई. 2014 में बनारस से सांसद बनने के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस को जापान के क्योटो शहर की तरह स्मार्ट बनाए जाने का वादा किया था. दावे के लिए तैयारियां भी हुई और स्मार्ट सिटी योजना के तहत बनारस को स्मार्ट बनाने की कवायद भी शुरू हो गई. यह कवायद तब और आगे बढ़ी जब दोबारा मोदी सरकार फिर से सत्ता में आ गई. पहले तो बनारस की सड़कें स्मार्ट हो रही थी फिर बारी आई गलियों की और अब तो गलियां स्मार्ट के नाम पर उस हालत में पहुंच गई हैं. जिसे देखकर शायद स्मार्ट शब्द से ही नफरत हो जाएगी.


यह हम ऐसे ही नहीं बल्कि इन दिनों बनारस के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनारस की गलियों के कायाकल्प की सच्चाई को जानने के बाद बोल रहे हैं, क्योंकि मानसून की शुरुआत के साथ बनारस स्मार्ट सिटी योजना के तहत खोदकर छोड़ी गई गलियां नरक में तब्दील हो गई हैं. हालात ऐसे हैं कि इन गलियों में रहने वाले या फिर इधर से गुजरने वाले ही उस दर्द को बयां कर सकते हैं.

वाराणसी से ईटीवी भारत की खास खबर

पत्थर उखाड़कर किया बेकार

स्मार्ट बनारस की हकीकत को जानने के लिए आपको बनारस की उन गलियों में जाना पड़ेगा जहां पर आज से लगभग 3 महीने पहले स्मार्ट सिटी योजना के तहत काम की शुरुआत हुई थी. अच्छी खासी गलियों में लगे पत्थरों को उखाड़ कर गलियों को स्मार्ट बनाने की कवायद के तहत प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी शुरू किया गया, लेकिन यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी अब सिर्फ कागजों पर ही अच्छा लग रहा है. वास्तविकता में जिन गलियों को स्मार्ट बनाने की कवायद होनी थी वहां पर मानसून के बाद हालात बद से बदतर हैं.

काम चालू लेकिन खत्म होने का पता नहीं

बनारस के पक्के महाल जिनमें गढ़वासी टोला, लक्खी चौतरा, गोलघर, काल भैरव रामापुरा नंदन साहू लेन समेत लगभग आधा दर्जन से ज्यादा गलियों को स्मार्ट सिटी योजना के तहत पर्यटकों के आवागमन के लिए बेहतर बनाए जाने की योजना तैयार हुई थी. इस योजना के तहत गलियों में काम शुरू किया गया, लेकिन बीच में कोविड-19 का संक्रमण रफ्तार पकड़ने की वजह से हुए आंशिक लॉकडाउन में काम पर ब्रेक लगा दिया. आंशिक लॉकडाउन तो धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, लेकिन काम अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सका है. जिसकी वजह से इन गलियों के हालात बेहद ही खराब हो चुके हैं.

मानसून ने डाला आग में घी

गलियों के खराब हालात ऊपर से मानसून की शुरुआत ने आग में घी का काम किया है. गलियों में खोदकर छोड़ी गई मिट्टी दलदल में तब्दील हो गई है, जिसकी वजह से गाड़ी लेकर निकलना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल होता जा रहा है. सबसे बुरे हालात तो इन गलियों में बिजनेस करने वाले लोगों के हैं. ना ही ग्राहक हैं और ना ही आने की कोई उम्मीद है. हर कोई परेशान है. यदि कोई आदमी बीमार पड़ जाए तो उसको इस स्थिति से गलियों के रास्ते अस्पताल तक कैसे पहुंचाया जाएगा. इस बात पर संशय की स्थिति है. लोग खुद मानते हैं कि बीमार पड़ने के बाद यदि हालात गड़बड़ हुए और इस गली से बाहर निकालने की कोशिश की गई तो व्यक्ति की जान रास्ते में ही चली जाएगी, क्योंकि गलियां उस स्थिति में है जहां से पैदल चलना भी दुश्वार हो चुका है. फिलहाल स्मार्ट बनारस की इस हकीकत से ईटीवी भारत आपको आगे भी रूबरू कराता रहेगा. क्योंकि स्मार्ट सिटी योजना के तहत शुरू हुए काम के बाद गलियों के हालात हर तरफ खराब ही खराब हैं.

वाराणसी: बनारस स्मार्ट हो रहा है. स्मार्ट बोले तो हाई-फाई. 2014 में बनारस से सांसद बनने के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस को जापान के क्योटो शहर की तरह स्मार्ट बनाए जाने का वादा किया था. दावे के लिए तैयारियां भी हुई और स्मार्ट सिटी योजना के तहत बनारस को स्मार्ट बनाने की कवायद भी शुरू हो गई. यह कवायद तब और आगे बढ़ी जब दोबारा मोदी सरकार फिर से सत्ता में आ गई. पहले तो बनारस की सड़कें स्मार्ट हो रही थी फिर बारी आई गलियों की और अब तो गलियां स्मार्ट के नाम पर उस हालत में पहुंच गई हैं. जिसे देखकर शायद स्मार्ट शब्द से ही नफरत हो जाएगी.


यह हम ऐसे ही नहीं बल्कि इन दिनों बनारस के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनारस की गलियों के कायाकल्प की सच्चाई को जानने के बाद बोल रहे हैं, क्योंकि मानसून की शुरुआत के साथ बनारस स्मार्ट सिटी योजना के तहत खोदकर छोड़ी गई गलियां नरक में तब्दील हो गई हैं. हालात ऐसे हैं कि इन गलियों में रहने वाले या फिर इधर से गुजरने वाले ही उस दर्द को बयां कर सकते हैं.

वाराणसी से ईटीवी भारत की खास खबर

पत्थर उखाड़कर किया बेकार

स्मार्ट बनारस की हकीकत को जानने के लिए आपको बनारस की उन गलियों में जाना पड़ेगा जहां पर आज से लगभग 3 महीने पहले स्मार्ट सिटी योजना के तहत काम की शुरुआत हुई थी. अच्छी खासी गलियों में लगे पत्थरों को उखाड़ कर गलियों को स्मार्ट बनाने की कवायद के तहत प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी शुरू किया गया, लेकिन यह प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी अब सिर्फ कागजों पर ही अच्छा लग रहा है. वास्तविकता में जिन गलियों को स्मार्ट बनाने की कवायद होनी थी वहां पर मानसून के बाद हालात बद से बदतर हैं.

काम चालू लेकिन खत्म होने का पता नहीं

बनारस के पक्के महाल जिनमें गढ़वासी टोला, लक्खी चौतरा, गोलघर, काल भैरव रामापुरा नंदन साहू लेन समेत लगभग आधा दर्जन से ज्यादा गलियों को स्मार्ट सिटी योजना के तहत पर्यटकों के आवागमन के लिए बेहतर बनाए जाने की योजना तैयार हुई थी. इस योजना के तहत गलियों में काम शुरू किया गया, लेकिन बीच में कोविड-19 का संक्रमण रफ्तार पकड़ने की वजह से हुए आंशिक लॉकडाउन में काम पर ब्रेक लगा दिया. आंशिक लॉकडाउन तो धीरे-धीरे खत्म हो रहा है, लेकिन काम अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सका है. जिसकी वजह से इन गलियों के हालात बेहद ही खराब हो चुके हैं.

मानसून ने डाला आग में घी

गलियों के खराब हालात ऊपर से मानसून की शुरुआत ने आग में घी का काम किया है. गलियों में खोदकर छोड़ी गई मिट्टी दलदल में तब्दील हो गई है, जिसकी वजह से गाड़ी लेकर निकलना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल होता जा रहा है. सबसे बुरे हालात तो इन गलियों में बिजनेस करने वाले लोगों के हैं. ना ही ग्राहक हैं और ना ही आने की कोई उम्मीद है. हर कोई परेशान है. यदि कोई आदमी बीमार पड़ जाए तो उसको इस स्थिति से गलियों के रास्ते अस्पताल तक कैसे पहुंचाया जाएगा. इस बात पर संशय की स्थिति है. लोग खुद मानते हैं कि बीमार पड़ने के बाद यदि हालात गड़बड़ हुए और इस गली से बाहर निकालने की कोशिश की गई तो व्यक्ति की जान रास्ते में ही चली जाएगी, क्योंकि गलियां उस स्थिति में है जहां से पैदल चलना भी दुश्वार हो चुका है. फिलहाल स्मार्ट बनारस की इस हकीकत से ईटीवी भारत आपको आगे भी रूबरू कराता रहेगा. क्योंकि स्मार्ट सिटी योजना के तहत शुरू हुए काम के बाद गलियों के हालात हर तरफ खराब ही खराब हैं.

Last Updated : Jun 16, 2021, 7:08 PM IST
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