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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में लोगों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई जा रही है योजनाओं का लाभ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को नियमित तरीके से नहीं मिल पा रहा है. इसके बावजूद लोगों को सरकार से काफी उम्मीदें हैं और लोग मतदान करने की बात पर विश्वास जता रहे हैं.

सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं लोग.
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Published : May 11, 2019, 1:17 PM IST

वाराणसी : देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में हालात चाहे चुनाव के हों या फिर आम दिनों के, गरीब उतना ही गरीब है. उसका घर किस तरह चल रहा है, इस बात की फिक्र किसी को नहीं होती. यहां पर सरकारी योजनाओं के लाभ से भी लोग वंचित हैं.

सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं लोग.

वृद्धा पेंशन न मिलने से बूढ़ी महिला परेशान

  • एक बूढ़ी महिला रामरती तपती धूप में सड़कों पर भीख मांग कर अपना गुजारा कर रही है.
  • घर में 10 लोगों का परिवार है.
  • महिला की वृद्धा पेंशन रुक चुकी है और कई बार प्रार्थना पत्र देने के बाद भी इसे शुरू नहीं किया जा रहा है.
  • इतने कष्ट के बावजूद महिला को आने वाली सरकार से आज भी उम्मीद है और अपने पूरे परिवार के साथ वोट देने जाने के लिए शायद ही कोई इतना उत्सुक होगा, जितनी यह खुद है.

लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित

  • शहर में रहने वाले संजय नाम के एक नगर निगम के कर्मचारी की मासिक आय आठ हजार रुपये है, जिसमें वह अपने चार बच्चों का परिवार चला रहा है.
  • संजय का कहना है कि आज तक उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है.
  • अपने घर में गाय-भैंस पालने वाले मंटू का कहना है कि सरकार की तरफ से नोटिस आ जाता है कि अपने जानवरों को शहर के बाहर कर दो. अगर ऐसा हो जाता है तो हम अपना जीवन कैसे गुजारेंगे.
  • मंटू ने कहा कि हमारी पूरी कमाई इसी पर टिकी हुई है. इस बारे में हमने बात करने की कोशिश भी की पर कोई अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं है.

लोगों का कहना है कि एक काम है, जो हम दिल से करना चाहते हैं और वह है -वोट डालना. हमें आज भी उम्मीद है कि अगर हम अपने वोट का सही इस्तेमाल करेंगे तो आने वाली सरकार हमारे बारे में सोचने के काबिल होगी.

वाराणसी : देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में हालात चाहे चुनाव के हों या फिर आम दिनों के, गरीब उतना ही गरीब है. उसका घर किस तरह चल रहा है, इस बात की फिक्र किसी को नहीं होती. यहां पर सरकारी योजनाओं के लाभ से भी लोग वंचित हैं.

सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित हैं लोग.

वृद्धा पेंशन न मिलने से बूढ़ी महिला परेशान

  • एक बूढ़ी महिला रामरती तपती धूप में सड़कों पर भीख मांग कर अपना गुजारा कर रही है.
  • घर में 10 लोगों का परिवार है.
  • महिला की वृद्धा पेंशन रुक चुकी है और कई बार प्रार्थना पत्र देने के बाद भी इसे शुरू नहीं किया जा रहा है.
  • इतने कष्ट के बावजूद महिला को आने वाली सरकार से आज भी उम्मीद है और अपने पूरे परिवार के साथ वोट देने जाने के लिए शायद ही कोई इतना उत्सुक होगा, जितनी यह खुद है.

लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित

  • शहर में रहने वाले संजय नाम के एक नगर निगम के कर्मचारी की मासिक आय आठ हजार रुपये है, जिसमें वह अपने चार बच्चों का परिवार चला रहा है.
  • संजय का कहना है कि आज तक उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है.
  • अपने घर में गाय-भैंस पालने वाले मंटू का कहना है कि सरकार की तरफ से नोटिस आ जाता है कि अपने जानवरों को शहर के बाहर कर दो. अगर ऐसा हो जाता है तो हम अपना जीवन कैसे गुजारेंगे.
  • मंटू ने कहा कि हमारी पूरी कमाई इसी पर टिकी हुई है. इस बारे में हमने बात करने की कोशिश भी की पर कोई अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं है.

लोगों का कहना है कि एक काम है, जो हम दिल से करना चाहते हैं और वह है -वोट डालना. हमें आज भी उम्मीद है कि अगर हम अपने वोट का सही इस्तेमाल करेंगे तो आने वाली सरकार हमारे बारे में सोचने के काबिल होगी.

Intro:वाराणसी। एक कहावत है कि चुनाव आते ही गरीब की थाली में भी पुलाव आ जाता है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस कहावत का भी कोई असर नजर नहीं आता। यहां हालात चाहे चुनाव के हो या फिर आमजन के, गरीब उतना ही गरीब है। उसके पास आज भी ना तो खाने के लिए घर पर निवाला होता है और ना ही अपने बच्चों को खिलाने के लिए। उसका घर किस तरह चल रहा है इस बात की फिक्र किसी को नहीं होती। सरकारें आती है जाती है पर गरीब गरीब ही रहता है। वाराणसी के इसी गरीब तबके की आने वाली सरकार से भी कुछ अपेक्षाएं हैं लेकिन साथ ही यह सवाल भी है कि हर बार सिर्फ अपेक्षा करके ही अगर रह जाना है तो हम वोट दे या ना दे।


Body:VO1: वाराणसी की एक वृद्ध महिला रामरति तपती धूप में सड़कों पर मांग कर अपना गुजारा कर रही है। घर में 10 लोगों का परिवार है और यह बूढ़ी महिला भिक्षा मांग कर अपना खर्चा निकाल रही है तो आप सोच सकते हैं की आर्थिक तंगी कितनी होगी। इस महिला की वृद्धा पेंशन रुक चुकी है और कई बार एप्लीकेशन देने के बाद भी इसे शुरू नहीं किया जा रहा, जिस कारण बस अब इसको अपना गुजारा करने के लिए सड़कों पर उतर कर लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ा है। पर फिर भी आने वाली सरकार से इन महिला को आज भी उम्मीद है और अपने पूरे परिवार के साथ वोट देने जाने के लिए शायद ही कोई इतना उत्सुक होगा जितनी यह खुद है। अधिकारी सुन नहीं रहे हैं इसलिए घर का खर्चा चलाने के लिए भले ही लोगों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा हो पर अपना हक जानते हुए उन्हीं हाथों से वोट का बटन दबा कर आना चाहती हैं।

बाइट: रामरती, गरीब महिला


Conclusion:VO2: वहीं इसी शहर में रहने वाले संजय नाम के एक नगर निगम के कर्मचारी की मासिक आय ₹8000 है जिसमें वह अपने 4 बच्चों का परिवार चला रहे हैं। उनका कहना है कि आज तक उन्हें किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है। सरकार द्वारा गरीबों के लिए जितनी भी योजनाएं चलाई जा रही है जब उन योजनाओं का लाभ लेने की बारी आती है तो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को तो पीछे ही कर दिया जाता है। सिर्फ उन्हीं लोगों को इसका लाभ मिल पाता है जिनकी कोई पहुंच हो। संजय बोलते हैं कि उनके पास जितनी भी नगर निगम की भर्तियां हुई है उनकी आए लगभग 16 से ₹17000 है पर उससे पहले की भर्तियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है उनकी अभी भी सैलरी उतनी ही है जितनी पर उनको काम दिया गया था। वहीं अपने घर में गाय भैंस पालने वाले एक और काशीवासी मंटू का कहना है कि सरकार की तरफ से नोटिस आ जाता है कि अपने जानवरों को शहर के बाहर कर दिया जाए। अगर ऐसा हो जाता है तो हम अपना जीवन कैसे गुजारेंगे हमारी पूरी कमाई इसी पर टिकी हुई है। इस बारे में हमने बात करने की कोशिश भी की पर कोई अधिकारी कुछ सुनने को तैयार नहीं है, लेकिन एक काम है जो हम दिल से करना चाहते हैं और वह है वोट डालना। क्योंकि हमें आज भी उम्मीद है कि अगर हम अपने वोट का सही इस्तेमाल कर रहे हैं तो आने वाली सरकार है हमारे बारे में सोचने के काबिल होंगी।

बाइट: संजय, नगर निगम कर्मचारी
बाइट: मंटू, चरवाहा

Regards
Arnima Dwivedi
Varanasi
7523863236
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