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पैरामेडिकल ट्रेनिंग का असर, संक्रमित साथियोंं के इलाज में जुटे कैदी

यूपी के वाराणसी में जिला कारागार के बंदी अपने कोरोना संक्रमित साथियों को बचाने में जुटे हुए हैं. इसके लिए उन्हें बकायदा पैरामेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग दी गई है. इससे कोरोना संक्रमित कैदियों का इलाज जेल में ही हो जा रहा है.

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पैरामेडिकल की ट्रेनिंग लेना अब आ रहा काम
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Published : May 11, 2021, 4:29 PM IST

वाराणसी: सेंट्रल जेल कोरोना संक्रमण से अछूता नहीं है. लेकिन, यहां संक्रमित कैदियों का इलाज जेल के अंदर ही किया जा रहा है. संक्रमित कैदी जेल में हो रहे इलाज से ठीक भी हो रहे हैं, क्योंकि यहां के कैदियों को पैरामेडिकल प्रशिक्षण दिया गया है. यह सब जेल अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अभिषेक सिंह के प्रयासों की वजह से हो रहा है.

जेल में दी गई थी स्पेशल ट्रेनिंग

खास बात यह है कि सेंट्रल जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी जो कभी मर्डर, डकैती, अपहरण जैसे संगीन अपराधों में शामिल थे, वह आज इस महामारी के दौर में लोगों की जिंदगी बचाने में लगे हैं. वाराणसी के सेंट्रल जेल में कैदियों को पैरामेडिकल की ट्रेनिंग इसलिए दी गई थी कि ये लोग बाहर जाकर लोगों की जिंदगी बचा सकें और अपना नजरिया बदलें. लेकिन, ये ट्रेनिंग जेल के साथियों को बचाने के काम आ रही है.

इसे भी पढ़ें - आजम खान की सेहत और रिहाई के लिए समर्थकों ने मांगी दुआ

सेंट्रल जेल के चिकित्साधिकारी डॉ. अभिषेक ने बताया कि जेल प्रशासन के सहयोग से 40 कैदियों को पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में प्रशिक्षित किया गया था. ये सभी बेहद संजीदगी से पैरामेडिकल स्टाफ की तरह काम कर रहे हैं. इन्होंने अपने कैदी साथियों को कोरोना से बचाया है. यह काम तब और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जब कारागार में बुजुर्ग कैदियों की संख्या 250 हो. साथ ही जेल में कई रोगों से भी ग्रसित बंदी हैं. जेल में संसाधन भी सीमित हैं. बावजूद इसके कैदी अपने साथियों को बचाने में जुटे हुए हैं.

वर्तमान में 13 बंदी हैं पॉजिटिव

सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि कारागार में करीब 1,675 बंदी हैं. इसमें लगभग 70 बंदी कोरोना पॉजिटिव हुए थे. महज दो सप्ताह में इन बंदियों की रिपोर्ट निगेटिव आई है. अब वर्तमान में केवल 30 कैदी ही कोरोना पॉजिटिव हैं. चिकित्सकीय सेवा से जुड़े बंदी और अन्य बंदी मिलकर इनका इलाज कर रहे हैं, ताकि वे जल्द स्वस्थ हो सकें.

वाराणसी: सेंट्रल जेल कोरोना संक्रमण से अछूता नहीं है. लेकिन, यहां संक्रमित कैदियों का इलाज जेल के अंदर ही किया जा रहा है. संक्रमित कैदी जेल में हो रहे इलाज से ठीक भी हो रहे हैं, क्योंकि यहां के कैदियों को पैरामेडिकल प्रशिक्षण दिया गया है. यह सब जेल अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अभिषेक सिंह के प्रयासों की वजह से हो रहा है.

जेल में दी गई थी स्पेशल ट्रेनिंग

खास बात यह है कि सेंट्रल जेल में बंद सजायाफ्ता कैदी जो कभी मर्डर, डकैती, अपहरण जैसे संगीन अपराधों में शामिल थे, वह आज इस महामारी के दौर में लोगों की जिंदगी बचाने में लगे हैं. वाराणसी के सेंट्रल जेल में कैदियों को पैरामेडिकल की ट्रेनिंग इसलिए दी गई थी कि ये लोग बाहर जाकर लोगों की जिंदगी बचा सकें और अपना नजरिया बदलें. लेकिन, ये ट्रेनिंग जेल के साथियों को बचाने के काम आ रही है.

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सेंट्रल जेल के चिकित्साधिकारी डॉ. अभिषेक ने बताया कि जेल प्रशासन के सहयोग से 40 कैदियों को पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में प्रशिक्षित किया गया था. ये सभी बेहद संजीदगी से पैरामेडिकल स्टाफ की तरह काम कर रहे हैं. इन्होंने अपने कैदी साथियों को कोरोना से बचाया है. यह काम तब और ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जब कारागार में बुजुर्ग कैदियों की संख्या 250 हो. साथ ही जेल में कई रोगों से भी ग्रसित बंदी हैं. जेल में संसाधन भी सीमित हैं. बावजूद इसके कैदी अपने साथियों को बचाने में जुटे हुए हैं.

वर्तमान में 13 बंदी हैं पॉजिटिव

सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि कारागार में करीब 1,675 बंदी हैं. इसमें लगभग 70 बंदी कोरोना पॉजिटिव हुए थे. महज दो सप्ताह में इन बंदियों की रिपोर्ट निगेटिव आई है. अब वर्तमान में केवल 30 कैदी ही कोरोना पॉजिटिव हैं. चिकित्सकीय सेवा से जुड़े बंदी और अन्य बंदी मिलकर इनका इलाज कर रहे हैं, ताकि वे जल्द स्वस्थ हो सकें.

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