वाराणसी: देश को बतौर महिला पहला पैरालंपिक सिल्वर मेडल दिलवाने वाली दीपा मलिक दिव्यांग खेलों को लेकर काफी एक्टिव नजर आ रही हैं. हाल ही में हुए पैरालंपिक खेलों में भारत के शानदार प्रदर्शन के बाद पैरालंपिक दीपा मलिक लगातार अलग-अलग राज्यों में मुख्यमंत्रियों से मिलकर दिव्यांग खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के प्रयास कर रही हैं. इन सबके बीच गुरुवार को वाराणसी में दिव्यांग क्रिकेट टूर्नामेंट के समापन के मौके पर पहुंची दीपा मलिक ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की.
मुख्यमंत्री योगी को सौंपा एक पत्र
पैरालंपियन दीपा मलिक ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में खुलकर अपने विचार रखें. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक लेटर भी सौंपा. जिसमें अपनी तरफ से देश की मोदी सरकार और प्रदेश में योगी सरकार की तरफ से किए जा रहे प्रयासों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है और दिव्यांग खिलाड़ियों के विकास और उनकी प्रैक्टिस को लेकर सरकार की तरफ से कुछ ध्यान देने की मांग भी की है.
नाम बदलने से बदल गई लोगों की सोच
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए दीपा मलिक ने बताया कि पहले जिन दिव्यांगजनों को विकलांग नाम से संबोधित किया जाता था उन्हें अब दिव्यांग कहा जाना उनके हौसले को बढ़ाने का काम कर रहा है. यह सबसे बड़े आश्चर्य की बात है कि आजादी के 72 साल के बाद 2016 तक जिस पैरा स्पोर्ट्स में खिलाड़ी आना नहीं चाहते थे. उसने ओलंपिक में कमाल कर दिया. 47 साल की दिव्यांग महिला ने पहला सिल्वर मेडल पाया और देश के लिए पैरा स्पोर्ट्स के नए रास्ते खुल गए.
बढ़ने लगी पैरा सपोर्ट में खिलाड़ियों की संख्या
दीपा मलिक का कहना था कि अच्छे प्रयासों की वजह से ही देखते ही देखते सब कुछ बदलने लगा जो पहले 19 खिलाड़ी थे. उनकी संख्या 54 हो गई जो 4 मेडल थे. वह 19 तक पहुंच गए और आज पैरालंपिक में जिस तरह से भारत का प्रदर्शन रहा है वह निश्चित तौर पर इस स्पोर्ट्स को काफी आगे ले जाने की तैयारी कर रहा है. भारत का यह प्रयास निश्चित तौर पर केंद्र और यूपी के प्रदेश सरकार की तरफ से किए जा रहे हैं, इसे अच्छे कार्यों का नतीजा ही कह सकते हैं.
विकास से ही नहीं सोच बदलने से देश आगे जाएगा
दीपा मलिक का कहना था कि उनकी अपेक्षा है देश की उन्नति में सभी लोगों को भागीदार बनना होगा. सिर्फ विकास पर से ही नहीं बल्कि स्वच्छता दिव्यांगता और अन्य मामलों में भी सभी को अपनी सोच बदलनी होगी. जब सोच बदलेगी तो देश बदलेगा दीपा मलिक ने कहा कि पहले सिर्फ गिनी-चुनी शारीरिक दुश्वारियां को ही दिव्यांगता में शामिल किया जाता था, लेकिन अब 21 ऐसी दिक्कतें हैं जिनको दिव्यांगता की श्रेणी में रखा जा रहा है. यह निश्चित तौर पर वर्तमान सरकार के अच्छे प्रयासों के बल पर ही संभव हो पाया है और अभी बदलाव की जरूरत है. इन्हीं बदलावों के लिए मैं लगातार अपने स्तर पर प्रयास कर रही हूं, दिव्यांगता को लेकर खेलों के जरिए लोगों में बहुत जागरूकता आई है और लोग अब अपनी सोच बदल रहे हैं.
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