वाराणसीः शिव की नगरी काशी में रामायण के प्रमुख प्रसंगों की पेंटिंग 7 फीट ऊंची और 125 फीट लंबी कैनवास पर बनाई जा रही है. अयोध्या शोध संस्थान संस्कृत विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा गुरुधाम मंदिर में आयोजित रामायण कॉन्क्लेव में तीन दिवसीय कला शिविर का आयोजन किया गया है. इसमें मुख्य रूप से 12 और लगभग 40 सहयोगी कलाकारों मदद से इतनी बड़ी कैनवास पर पेंटिंग बनाई जा रही है. जिसमें भगावन के राम के जन्म से लेकर वनवास जाने तक मुख्यरूप से चित्रण किया जा रहा है.
कैनवास पर उकेरे जा रहे रामायण के प्रमुख प्रसंग. रामायण कॉन्क्लेव के अंतर्गत आयोजित हो रहे कार्यक्रम में रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर सिगरा में श्रीराम की पेटिंग को प्रदर्शित किया जाएगा. यह विशाल चित्र दीप उत्सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का अयोध्या में आकर्षण होगा. इसके उपरांत यह अयोध्या शोध संस्थान में कला प्रेमियों के रखा जाएगा.श्री राम के जन्म पर भगवान शंकर ज्योतिष बनकर आए यह पेंटिंग है. काग भुसुंडि उनके शिष्य बने. शिव पार्वतीजी को कथा सुना रहे हैं. हिमालय पर्वत पर शंकर सत्ती के साथ त्रेतायुग में भगवान शिव काशी में मरने वाले को राम नाम सुनाते हुए. भगवान शिव की 1000 वर्ष तक नित्य तपस्या रामजी के दिव्य स्वरूप का दर्शन. काशी के घाट पर तुलसीदास जी की मानस लिखते हुए. वाल्मीकि का चित्र. राम दरबार का चित्र. शिव और राम का चित्र. इसके साथ ही रामायण के प्रमुख कांड का चित्र बनाया गया है.डॉक्टर अवधेश मिश्रा ने बताया रामायण कॉन्क्लेव के अंतर्गत आयोजित शिविर में 7 फीट ऊंची और 125 फीट लंबी कैनवास पर पेंटिंग बनाई जा रही है. इसमें रामायण के प्रमुख विषय देखने को मिलेंगे. प्रदेश के विभिन्न कोने-कोने से आए युवा कलाकार इस पेंटिंग को बना रहे हैं. वाराणसी के इंटरमीडिएट स्कूल के बच्चे भी इस पेंटिंग को बनाने में कलाकारों की मदद कर रहे हैं. डॉ. अवधेश ने बताया कि इतनी बड़ी पेंटिंग बनाने का मात्र एक मकसद है कि ऊंची आवाज या बड़ा चीज दूर से आकर्षित करता है. हमारे राम की संस्कृति का पूरा विश्वास कायल है. ज्यादा से ज्यादा लोग इस चित्र को देखें और पुरुषोत्तम राम का अनुसरण करें, इसलिए इतनी विशाल पेंटिंग बनाई जा रही है. इसे भी पढ़ें-सुलतानपुर में नई पहल: मेहंदी और नींबू की बगिया से महिलाओं को मिलेगा रोजगार
अलीगढ़ के सुमित कुमार ने बताया कि भगवान श्री राम के अलग-अलग रूप के ऊपर यह पेंटिंग बनाई जा रही है. प्रमुख रूप से एक कैनवास पर पेंटिंग बनाई जा रही है. सती के वियोग में शिव, भगवान राम शिव की पूजा करते हुए. तुलसीदास की पेंटिंग. वाल्मीकि जी की पेंटिंग बनाई जा रही है.