वाराणसी : प्रख्यात बिरहा गायक पद्मश्री हीरालाल की लंबी बीमारी के बाद रविवार की सुबह निधन हो गया. बीते कई दिनों से उनकी तबीयत खराब चल रही थी. इसके चलते उन्हें चौका घाट स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. निधन के बाद उनके प्रशंसकों और परिवार में शोक का माहौल है.
महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर हुई अंत्येष्टि
- देर शाम हीरालाल यादव के चौका घाट स्थित आवास से उनकी शव यात्रा निकली. इसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए और वाराणसी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर पूरे विधि-विधान के साथ उनकी अंत्येष्टि हुई.
- महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया गया. खास बात यह रही कि उनकी टोपी उन्हें पहनाई गई, जो वह हमेशा पहनते थे.
- साथ ही उनके प्रशंसकों ने बिरहा गीत भी उनको सुनाया.
- हीरालाल यादव के सबसे छोटे पुत्र सत्य नारायण यादव ने बताया कि पिताजी लगभग 2 महीने से बीमार थे, कई जगह इलाज चल रहा था. आज सुबह उन्होंने अपना प्राण त्याग दिया.
- उनके प्रशंसक मनोज उपाध्याय ने बताया कि हीरालाल यादव की क्षति बनारस ही नहीं देश के लिए एक बड़ी क्षति है. इस स्थान को कोई पूरा नहीं कर सकता.
- निश्चित तौर पर कलाकार प्रेमी और बिरहा गायन सुनने वाले आज सच में अपना बहुमूल्य हीरा खो दिया.
वाराणसी के हरहुआ ब्लाक के बेलवरिया निवासी हीरालाल यादव का जन्म वर्ष 1936 में चेतगंज स्थित सरायगोवर्धन में हुआ था. शौकिया गाते-गाते बिरहा को नई पहचान दिलाई. यूपी सरकार ने हीरालाल यादव को 1993-94 में संगीत नाटक अकादमी सम्मान और 2014 में यशभारती के साथ ही विश्व भोजपुरी अकादमी का भिखारी ठाकुर सम्मान और रवींद्र नाथ टैगोर सम्मान दिया.