वाराणसी: जिले में कोरोना संक्रमण से हुई मौत की एक दु:खद, लेकिन प्रेरक घटना सामने आई है. यहां कोरोना संक्रमित एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिसकी चिता को बेटी ने मुखाग्नि दी. यह घटना समाज की उस परंपरा को भी आईना दिखाता है, जो बेटे से मुखाग्नि को ढो रहा है. गाजीपुर निवासी गिरिजेश प्रताप सिंह की तीन बेटियां हैं. बीते दिनों वो कोरोना संक्रमित हो गए थे, जिनका बुधवार को निधन हो गया. शव को वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर लाया गया. यहां जब बेटियां मुखाग्नि को आगे आईं तो वहां मौजूद लोग उन्हें गर्व भरी नजरों से देखने लगे.
सूचना के बाद भी नहीं पहुंचा कोई
दरअसल, मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले अधिवक्ता गिरिजेश प्रताप सिंह वाराणसी में किराए के मकान में रहते थे. वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे और कोरोना संक्रमित थे. घर पर ही उनका इलाज चल रहा था. अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद बेटियां पिता को लेकर अस्पतालों के चक्कर काटती रहीं, लेकिन कहीं जगह नहीं मिली, जिसके बाद उन्होंने दम तोड़ दिया. गिरिजेश की मौत के बाद इसकी जानकारी फोन पर कई रिश्तेदारों को दी गई, लेकिन कोरोना के डर से कोई भी मदद के लिए नहीं पहुंचा. किसी तरह रोती बिलखती बेटियों ने कुछ लोगों की सहायता से पिता के शव को शमशान घाट तक पहुंचाया. यहां पर अमन यादव समेत कुछ लोगों ने इनकी मदद की.
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बेटियों ने निभाई पूरी परंपरा
बड़ी बेटी कात्यायनी सिंह ने श्मशान घाट पर समस्त अंतिम क्रियाओं का बखूबी निर्वहन किया. पिंडदान से लेकर पिता को मुखाग्नि देने तक की परंपरा को बेटी ने निभाया. अधिवक्ता गिरिजेश की तीन बेटियों में बड़ी बेटी कात्यायनी, दूसरे नंबर पर दिव्या और तीसरे नंबर पर तृप्ति हैं. गिरिजेश अपने परिवार के साथ वाराणसी के अर्दली बाजार इलाके में किराए के मकान में रहते थे. बड़ी बेटी कात्यायनी इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता है.