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सीडीपीओ की कोशिश लाई रंग, एनआरसी हुई फुल - पोषण पुनर्वास केंद्र

वाराणसी में भी लगातार कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके तहत विभाग कुपोषित बच्चों का चयन करके उनको अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा रहा है.

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पंडित दीनदयाल चिकित्सालय पोषण पुनर्वास केंद्र
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Published : May 15, 2022, 7:13 PM IST

वाराणसी : बच्चों को पोषित करने के लिए सरकार की ओर से तमाम योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी लगातार कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके तहत विभाग कुपोषित बच्चों का चयन करके उनको अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा रहा है. आलम यह है कि इस समय एनआरसी बोर्ड पूरी तरह से भरा है. दूसरे बच्चों की भी सूची इलाज के लिए तैयार की जा रही हैं.

पंडित दीनदयाल चिकित्सालय पोषण पुनर्वास केंद्र में कुल 10 बेड का अस्पताल बनाया है. यहां पर कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है. इस बाबत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार के जिला कार्यक्रम अधिकारी डी के सिंह ने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल 12 बच्चे भर्ती हैं जिसमें 2 बच्चों के लिए अतिरिक्त बेड बनाकर उनका इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन बच्चों की देखभाल 14 दिन तक चिकित्सक एवं समस्त स्टाफ की देखरेख में पूरी की जाएगी. पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद उन्हें एनआरसी से डिस्चार्ज किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन सभी बच्चों के डिस्चार्ज होने बाद कुपोषित बच्चों की दूसरी सूची भर्ती कराने के लिए तैयार है.

पढ़ेंः हापुड़: मेस का खाना खाने के बाद कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यायल की कई छात्राओं की बिगड़ी तबीयत

मिलती हैं ये सुविधाएं : एनआरसी प्रभारी डॉ. सौरभ सिंह ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से पांच वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जातीं हैं. इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां शुरुआती दौर में 14 दिन रखकर बच्चों का इलाज व पोषक तत्वों से युक्त आहार दिया जाता है. यह भोजन शुरुआती दौर में बच्चे को दो-दो घंटे बाद दिया जाता है. यह प्रक्रिया रात में भी चलती है. इसके अलावा बच्चे के साथ आने वाली बच्चे की मां या अन्य परिजन को भोजन के अलावा पचास रुपये रोजाना भत्ता भी दिया जाता है. इस दौरान 100 फीसदी बच्चे इस वार्ड से स्वस्थ होकर निकले हैं.

दो महीने तक मिलता है भत्ता : डॉ. सौरभ ने बताया कि इसके अलावा इलाज कराकर गए बच्चों को पुन: जांच के लिए लेकर आने पर भी उनको भत्ता दिया जाता है. यदि वह 15 दिन में इलाज का फॉलोअप कराने आते हैं तो उन्हें 140 रुपये मिलते हैं. यह भत्ता उन्हें दो महीने तक मिलता है.

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वाराणसी : बच्चों को पोषित करने के लिए सरकार की ओर से तमाम योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. इसी क्रम में प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी लगातार कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके तहत विभाग कुपोषित बच्चों का चयन करके उनको अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करा रहा है. आलम यह है कि इस समय एनआरसी बोर्ड पूरी तरह से भरा है. दूसरे बच्चों की भी सूची इलाज के लिए तैयार की जा रही हैं.

पंडित दीनदयाल चिकित्सालय पोषण पुनर्वास केंद्र में कुल 10 बेड का अस्पताल बनाया है. यहां पर कुपोषित बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज किया जाता है. इस बाबत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार के जिला कार्यक्रम अधिकारी डी के सिंह ने बताया कि वर्तमान में राज्य में कुल 12 बच्चे भर्ती हैं जिसमें 2 बच्चों के लिए अतिरिक्त बेड बनाकर उनका इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इन बच्चों की देखभाल 14 दिन तक चिकित्सक एवं समस्त स्टाफ की देखरेख में पूरी की जाएगी. पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद उन्हें एनआरसी से डिस्चार्ज किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इन सभी बच्चों के डिस्चार्ज होने बाद कुपोषित बच्चों की दूसरी सूची भर्ती कराने के लिए तैयार है.

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मिलती हैं ये सुविधाएं : एनआरसी प्रभारी डॉ. सौरभ सिंह ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से पांच वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जातीं हैं. इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां शुरुआती दौर में 14 दिन रखकर बच्चों का इलाज व पोषक तत्वों से युक्त आहार दिया जाता है. यह भोजन शुरुआती दौर में बच्चे को दो-दो घंटे बाद दिया जाता है. यह प्रक्रिया रात में भी चलती है. इसके अलावा बच्चे के साथ आने वाली बच्चे की मां या अन्य परिजन को भोजन के अलावा पचास रुपये रोजाना भत्ता भी दिया जाता है. इस दौरान 100 फीसदी बच्चे इस वार्ड से स्वस्थ होकर निकले हैं.

दो महीने तक मिलता है भत्ता : डॉ. सौरभ ने बताया कि इसके अलावा इलाज कराकर गए बच्चों को पुन: जांच के लिए लेकर आने पर भी उनको भत्ता दिया जाता है. यदि वह 15 दिन में इलाज का फॉलोअप कराने आते हैं तो उन्हें 140 रुपये मिलते हैं. यह भत्ता उन्हें दो महीने तक मिलता है.

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