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वाराणसी: नीति आयोग ने 20 राज्यों में शिक्षा को लेकर जारी की सूची, सबसे पीछे यूपी - उत्तर प्रदेश समाचार

नीति आयोग ने 20 राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को परखने के लिए स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स जारी किया है. जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर राज्यों को स्थान दिया गया है.

नीति आयोग ने 20 राज्यों में शिक्षा को लेकर जारी की सूची.
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Published : Sep 28, 2019, 10:22 AM IST

वाराणसी: उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में शिक्षा के स्तर में सुधार करने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए भले ही बहुत सी योजनाएं चला रही हो, लेकिन इसका असर शायद नहीं दिख रहा है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि नीति आयोग की तरफ से हाल ही में शिक्षा की गुणवत्ता परखने के लिए कराए गए सर्वे में इसकी तस्वीर साफ हुई है. नीति आयोग ने 20 राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को परखने के लिए स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स जारी किया है. जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर राज्यों को स्थानित किया गया है.

नीति आयोग ने 20 राज्यों में शिक्षा को लेकर जारी की सूची.

इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे नीचे है, जिसके बाद यूपी में एजुकेशन क्वालिटी को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं. इन सबके बीच ईटीवी भारत में सर्व विद्या की राजधानी और पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिक्षाविद से लेकर छात्रों से इस मसले पर बातचीत कर उनकी राय जानी.

पढ़ें- वाराणसीः दिव्यांग बच्चों के शानदार प्रदर्शन से झूम उठी जनता

वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में इंग्लिश विभाग के प्रोफेसर, संस्कृत विभाग के प्रोफेसर और शिक्षाविदों समेत छात्रों से बातचीत में उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी. प्रोफेसरों का कहना था कि अपने आप में बहुत ही शर्मसार करने वाला है क्योंकि उत्तर प्रदेश देश के सबसे बड़े राज्य में शामिल है और इसे हर मामले में नंबर वन होना चाहिए खासतौर पर एजुकेशन की क्वालिटी यहां सबसे बेस्ट होनी चाहिए. यहां पर शिक्षक से लेकर छात्र अनेक प्रयास करते हैं ताकि शिक्षा का स्तर और ऊंचा हो, लेकिन सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक तौर पर दी जाने वाली शिक्षा के स्तर में सुधार न होने और वहां तमाम खामियों की वजह से इस तरह की स्थितियां बनती हैं, जिसके लिए सरकार को इस दिशा में सुधार करने की जरूरत है. इसके साथ ही साथ क्वालिटी रिसर्च पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि शिक्षा के स्तर को निचले लेवल और फिर कुछ लेवल पर बेहतर बनाया जा सके.

इस सर्वे को लेकर छात्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश का शिक्षा के स्तर में सबसे निचले पायदान पर आना बहुत ही शर्मनाक है. ऐसी स्थिति में सरकारी तंत्र को शिक्षा के स्तर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. पढ़े-लिखे लोगों को टीचिंग लाइन में लाया जाए और जानकारी के साथ उन्हें बच्चों को अच्छी एजुकेशन देने के लिए ट्रेंड किया जाए. इसके साथ ही जो लोग सच में सिर्फ शिक्षा जगत में मजाक कर रहे हैं और बच्चों को पढ़ा नहीं रहे हैं, उनको तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए. सरकार को कुछ कड़े फैसले लेने चाहिए, जिससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सबसे पहले सुधारा जा सके. अगर सरकार कुछ ऐसे कदम उठाएगी तभी जाकर उत्तर प्रदेश शिक्षा के स्तर में नंबर वन बन सकेगा.

वाराणसी: उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में शिक्षा के स्तर में सुधार करने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए भले ही बहुत सी योजनाएं चला रही हो, लेकिन इसका असर शायद नहीं दिख रहा है. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि नीति आयोग की तरफ से हाल ही में शिक्षा की गुणवत्ता परखने के लिए कराए गए सर्वे में इसकी तस्वीर साफ हुई है. नीति आयोग ने 20 राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को परखने के लिए स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स जारी किया है. जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर राज्यों को स्थानित किया गया है.

नीति आयोग ने 20 राज्यों में शिक्षा को लेकर जारी की सूची.

इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे नीचे है, जिसके बाद यूपी में एजुकेशन क्वालिटी को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं. इन सबके बीच ईटीवी भारत में सर्व विद्या की राजधानी और पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिक्षाविद से लेकर छात्रों से इस मसले पर बातचीत कर उनकी राय जानी.

पढ़ें- वाराणसीः दिव्यांग बच्चों के शानदार प्रदर्शन से झूम उठी जनता

वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में इंग्लिश विभाग के प्रोफेसर, संस्कृत विभाग के प्रोफेसर और शिक्षाविदों समेत छात्रों से बातचीत में उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी. प्रोफेसरों का कहना था कि अपने आप में बहुत ही शर्मसार करने वाला है क्योंकि उत्तर प्रदेश देश के सबसे बड़े राज्य में शामिल है और इसे हर मामले में नंबर वन होना चाहिए खासतौर पर एजुकेशन की क्वालिटी यहां सबसे बेस्ट होनी चाहिए. यहां पर शिक्षक से लेकर छात्र अनेक प्रयास करते हैं ताकि शिक्षा का स्तर और ऊंचा हो, लेकिन सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक तौर पर दी जाने वाली शिक्षा के स्तर में सुधार न होने और वहां तमाम खामियों की वजह से इस तरह की स्थितियां बनती हैं, जिसके लिए सरकार को इस दिशा में सुधार करने की जरूरत है. इसके साथ ही साथ क्वालिटी रिसर्च पर विशेष ध्यान देना होगा, ताकि शिक्षा के स्तर को निचले लेवल और फिर कुछ लेवल पर बेहतर बनाया जा सके.

इस सर्वे को लेकर छात्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश का शिक्षा के स्तर में सबसे निचले पायदान पर आना बहुत ही शर्मनाक है. ऐसी स्थिति में सरकारी तंत्र को शिक्षा के स्तर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. पढ़े-लिखे लोगों को टीचिंग लाइन में लाया जाए और जानकारी के साथ उन्हें बच्चों को अच्छी एजुकेशन देने के लिए ट्रेंड किया जाए. इसके साथ ही जो लोग सच में सिर्फ शिक्षा जगत में मजाक कर रहे हैं और बच्चों को पढ़ा नहीं रहे हैं, उनको तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए. सरकार को कुछ कड़े फैसले लेने चाहिए, जिससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सबसे पहले सुधारा जा सके. अगर सरकार कुछ ऐसे कदम उठाएगी तभी जाकर उत्तर प्रदेश शिक्षा के स्तर में नंबर वन बन सकेगा.

Intro:वाराणसी: उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में शिक्षा के स्तर में सुधार करने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए भले ही बहुत सी योजनाएं चला रही हो लेकिन इसका असर शायद नहीं दिख रहा है यह हम नहीं कह रहे बल्कि नीति आयोग की तरफ से हाल ही में शिक्षा की गुणवत्ता परखने के लिए कराए गए सर्वे में साफ हुआ है नीति आयोग ने 20 राज्यों में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को परखने के लिए स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स जारी किया है जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता को नंबर के अनुसार बताया गया है इस रैंकिंग में उत्तर प्रदेश का नाम सबसे नीचे है जिसके बाद यूपी में एजुकेशन क्वालिटी को लेकर कई सवाल खड़े होने लगे हैं इन सबके बीच ईटीवी भारत में सर्व विद्या की राजधानी और पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में शिक्षा अवैध से लेकर छात्रों से इस मसले पर बातचीत कर उनकी राय जानी.


Body:वीओ-01 वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में इंग्लिश विभाग के प्रोफेसर संस्कृत विभाग के प्रोफेसर और शिक्षाविदों समेत छात्रों से बातचीत में उन्होंने खुलकर अपनी राय रखी. प्रोफेसर का कहना था कि अपने आप में बहुत ही शर्मसार करने वाला है क्योंकि उत्तर प्रदेश देश के सबसे बड़े राज्य में शामिल है और इसे हर मामले में नंबर वन होना चाहिए खासतौर पर एजुकेशन की क्वालिटी यहां सबसे बेस्ट होनी चाहिए यहां पर शिक्षक से लेकर छात्र अनेक प्रयास करते हैं ताकि शिक्षा का स्तर और ऊंचा हो लेकिन सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक तौर पर दी जाने वाली शिक्षा के स्तर में सुधार न होने और वहां तमाम खामियों की वजह से इस तरह की स्थितियां बनती हैं जिसके लिए सरकार को इस दिशा में सुधार करने की जरूरत है इसके साथ ही साथ क्वालिटी रिसर्च पर विशेष ध्यान देना होगा ताकि शिक्षा के स्तर को निचले लेवल और फिर कुछ लेवल पर बेहतर बनाया जा सके.


Conclusion:वीओ-02 इस सर्वे के मामले में छात्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश का शिक्षा के स्तर में सबसे निचले पायदान पर आना बहुत ही शर्मनाक है ऐसी स्थिति में सरकारी तंत्र को शिक्षा के स्तर पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है पढ़े लिखे लोगों को टीचिंग लाइन में लाया जाए और जानकारी के साथ उन्हें बच्चों को अच्छी एजुकेशन देने के लिए ट्रेंड किया जाए जो लोग सच में सिर्फ शिक्षा जगत में मजाक कर रहे हैं बच्चों को पढ़ा नहीं रहे हैं उनको तत्काल बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए सरकार को कुछ कड़े फैसले लेने चाहिए जिससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सबसे पहले सुधारा जा सके अगर कुछ सरकार ऐसे कदम उठाएगी तभी जाकर उत्तर प्रदेश शिक्षा के स्तर के मामले में नंबर वन बन सकेगा.

बाईट- डॉक्टर नवरत्न सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, इंग्लिश डिपार्टमेंट काशी विद्यापीठ
बाईट- डॉक्टर सुरेश चंद्र चौबे, प्रोफेसर, संस्कृत डिपार्टमेंट काशी विद्यापीठ
बाईट- अनिल श्रीवास्तव, शिक्षाविद
बाईट-आलोक कुमार यादव, छात्र
बाईट- सौरभ सिंह, छात्र

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