वाराणसी: आकांक्षा आजाद और सिद्धि बिस्मिल. ये दोनों नाम क्रांतिकारियों के परिवार वालों के नहीं हैं. ये दोनों नाम उन लड़कियों के हैं, जिन्हें मंगलवार को NIA ने पूछताछ के लिए करीब घंटे तक बैठाए रखा था. भगत सिंह छात्र मोर्चा के कार्यालय में इन लड़िकियों के लैपटॉप और मोबाइल फोन को खंगाला गया. कार्यालय में मौजूद दस्तावेजों को खंगाला गया. इसके बाद एनआईए की टीम इन्हें छोड़कर वापस चली गई. साथ ले गई एक फोन, सिम कार्ड और एक एसडी कार्ड. ये पूरी छापेमारी नक्सली गतिविधियों के शक में की गई थी.
5 सितंबर की सुबह, दिन था मंगलवार. महामना नगर कॉलोनी के आनंद भवन के बाहर चितईपुर थाने की पुलिस खड़ी थी. सामने आनंद भवन नाम से एक घर था. ये घर बिजली विभाग में क्लर्क मिथिलेश्वर प्रसाद शर्मा का था. इसी घर में एक कार्यालय है. NIA की टीम घर के अंदर दाखिल होती है, साथ में लोकल पुलिस भी थी. यहां पर भगत सिंह आजाद मोर्चा का कार्यालय पूछा गया. कार्यालय उस घर की तीसरी मंजिल पर बना हुआ है. इसी में ये दोनों लड़कियां आकांक्षा आजाद और सिद्धि बिस्मिल रह रही थीं. इन दोनों के नाम के पीछे की भी एक कहानी है. इसके बारे में भी बात करते हैं. पहले आपको बताते हैं कि इस छापेमारी में आगे क्या हुआ.
आकांक्षा नक्सली संगठन CPI Maoist से जुड़ी है: नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के मुताबिक, बीएचयू की एमफिल स्टूडेंट आकांक्षा का बिहार के प्रतिबंधित नक्सली संगठन CPI Maoist से रिश्ते हैं. वह नक्सली संगठन CPI Maoist के एजेंडे पर गुपचुप तरीके से काम कर रही है. वह इस संगठन को दोबारा एक्टिव करने में लगी हुई थी. आकांक्षा को यहां नया कैडर बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. वह रिक्रूटर के रूप में वाराणसी में काम कर रही थी. NIA का दावा है कि आकांक्षा नक्सली संगठन CPI Maoist के चीफ प्रमोद मिश्रा के लिए काम करती है. पिछले महीने बिहार में हुई गिरफ्तारी में रोहित विद्यार्थी नमक युवक गिरफ्तार हुआ है. उसी एफआईआर में आकांक्षा आजाद का भी नाम दर्ज है.
पूछताछ के बाद कई चीजें जब्त, मोबाइल भी लिया: एनआईए की टीम भगत सिंह छात्र मोर्चा के कार्यालय में दाखिल हुई. पहुंचते ही इन दोनों लड़कियों को हिरासत में ले लिया गया. कार्रवाई में महिला पुलिस भी शामिल थीं. इस दौरान टीम ने वहां पर मौजूद दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया. इसके साथ ही इन दोनों लड़कियों के पास मौजूद इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की भी जांच की. ये पूरी कार्रवाई लगभग 8 घंटे से अधिक चली. इस दौरान NIA ने इन दोनों लड़कियों से कई सवाल किए. इसके साथ ही वहां मौजूद दस्तक पत्रिका, छात्र मशाल अखबार को भी जब्त किया गया. पूरी जांच पड़ताल के बाद एक फोन, 2 सिम कार्ड और एक एसडी कार्ड जब्त कर लिया गया.
आकांक्षा आजाद का पीएफआई को समर्थन देना: हम पहले ये जानते हैं कि NIA की छापेमारी के बाद इन लड़कियों का क्या कहना है. आकांक्षा आजाद ने कहा, 'हमारे लोगों को नक्सली बोला जा रहा है. PFI जैसे संगठन को आतंकी करार कर वाराणसी से गिरफ्तारी हो रही है. हम लोकतांत्रिक मामलों पर बात करते हैं. इसलिए हमें परेशान किया जाता है.' वहीं भगत सिंह छात्र मोर्चा के सदस्यों का कहना है, 'बिहार में कैमूर मुक्ति मोर्चा के रोहित राय की गिरफ्तारी और विनोद शंकर जोकि फरार है, के साथ कनेक्शन और फंडिंग के बारे छात्राओं से पूछताछ की गई.' बता दें कि रोहित और विनोद शंकर दोनों BHU के ही छात्र रहे हैं.
पत्रिका और समाचार पत्र दे रहे गवाही! इस संगठन की सोच को हम इनके कार्यालय से मिले दस्तावेजों के मुताबिक जान सकते हैं. इनके पास से जो अखबार मिला है, जिसका नाम छात्र मशाल है. उसमें कई तरह की हेडलाइन लिखी हुई हैं. इनमें से जो दूसरी हेडलाइन है वह है, 'लव-जिहाद: मुस्लिमों से घृणा व महिलाओं की आजादी पर हमला'. अब हेडलाइन के अंदर हिन्दू-मुस्लिम और लड़कियों को लेकर लिखे गए लेख से ही पता चलता है कि समाज को क्या संदेश देने की कोशिश की गई है. वहीं, पत्रिका दस्तक के कवर पर लिखे कुछ प्वाइंट्स पढ़कर आप समझ जाएंगे कि बीएचयू में रहकर ये छात्र समाज को किस धारा में ले जा रहे थे. 'मिट्टी में कौन मिला, माफिया या लोकतंत्र'.
बिहार-झारखंड से कनेक्शन जोड़कर देखा जा रहा: इन छात्राओं और सदस्यों के आरोप के बाद मीडिया में इसका कनेक्शन झारखंड और बिहार से जोड़कर देखा जा रहा है. जिस रोहित की बात इन लड़कियों ने की है उसकी गिरफ्तारी नक्सली गतिविधियों में शामिल रहने के कारण हुई है. 5 अगस्त को रोहित को नक्सली होने के आरोप में औरंगाबाद, बिहार से अरेस्ट किया. वहीं दूसरे आरोपी विनोद शंकर पर पुलिस सरेंडर का दबाव बना रही है, जोकि फरार चल रहा है. ऐसे में बीते 27 अगस्त को भगत सिंह छात्र मोर्चा ने BHU के सिंह द्वार पर रोहित की रिहाई के लिए प्रतिरोध सभा भी आयोजित की थी. कई प्रोफेसर और लेफ्ट विंग के नेता भी इस सभा में शामिल हुए थे. ऐसे में इनका कनेक्शन बिहार-झारखंड से जोड़कर देखा जा रहा है.
क्रांतिकारियों के सरनेम अपने नाम में जोड़ रहे: अब बात करते हैं आकांक्षा आजाद कैसे हुई और सिद्धि बिस्मिल कैसे बनी. आकांक्षा बीएचयू की एमफिल की छात्रा है जोकि BHU-BSM की प्रेसिडेंट है. वहीं सिद्धि इस संगठन की सह-सचिव है. आकांक्षा जहां झारखण्ड की रहने वाली है, वहीं सिद्धि बनारस की है. दरअसल मोर्चा के इन पदाधिकारियों ने अपना सरनेम क्रांतिकारियों के नाम पर रखा हुआ है. आकांक्षा ने चंद्रदेशखर आजाद के नाम पर, जबकि सिद्धि ने राम प्रसाद बिस्मिल के नाम पर अपना नाम रखा है. सिद्धि बनारस की रहने वाली तो है ही साथ में वह समाजशास्त्र से एमए कर रही है. इनके साथ ही एक और लड़की है, जिसका नाम है इप्शिता. वह मनोविज्ञान में एमएससी कर रही है.
यह भी पढे़ं: BHU में पीएचडी छात्रा ने हाथ की नस काटी, जानिए क्यों किया ऐसा?