वाराणसी : गंगा के उस पार रेत पर तंबुओं का शहर यानी टेंट सिटी बसाए जाने को लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) लगातार सख्त रवैया अपना रही है. टेंट सिटी बसाने वाली दो कंपनियां पर एनजीटी ने 17 लाख 12 हजार 500 का जुर्माना लगाया गया है. वहीं अपर मुख्य सचिव ने एनजीटी में शपथ पत्र भी दाखिल किया है. चार सदस्य बेंच के सामने आज इस मामले की पुनः सुनवाई होगी.
एजेंसियों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नहीं दी जानकारी
इस संबंध में उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव की ओर से बुधवार को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण एनजीटी के सामने शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है. टेंट सिटी मामले में एनजीटी प्रधान पीठ नई दिल्ली की चार सदस्यी बेंच के सामने मुख्य सुनवाई आज गुरुवार को होनी है. उत्तर प्रदेश के प्रमुख के सचिव पर्यावरण विभाग मनोज सिंह की ओर से दिए गए शपथ पत्र में यह कहा गया है कि अहमदाबाद की प्रवेग कम्युनिकेशंस इंडिया लिमिटेड और लल्लू जी एंड संस ने वाराणसी में गंगा के उस पार कटेसर इलाके में 15 जनवरी से 31 मई तक टेंट सिटी को बसाया था. इसके लिए इन्हें सशर्त अनुमति दी गई थी. टेंट सिटी के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन नई दिल्ली से अनुमति मिलने के बाद ही इसे बताए जाने के स्पष्ट निर्देश थे, लेकिन दोनों एजेंसियों की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नहीं दी गई. दोनों एजेंसियों पर अलग-अलग प्रतिदिन 12 हजार का जुर्माना लगाया गया. इस तरह प्रत्येक एजेंसी पर 17 लाख 12 हजार 500 का जुर्माना लगा है.
याचिका पर एनजीटी ने अपनाया था कड़ा रुख
लल्लू जी एंड संस ने कटेसर में 120 टेंट लगाए गए थे. साढ़े चार माह तक यह टेंट रहे थे और 30 जुलाई को इन्हें हटाया गया था. वहीं प्रवेग कम्युनिकेशन की तरफ से 140 टेंट लगाए गए थे. टेंट सिटी से पर्यावरण को नुकसान होने की बात करते हुए वाराणसी के ही तुषार गोस्वामी की ओर से दी गई याचिका पर एनजीटी सुनवाई कर रही है. इस मामले में एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉक्टर ए सेंथिल विल की चार सदस्य पीठ के समक्ष सुनवाई हो रही है. याचिकाकर्ता का पक्ष वकील सौरभ तिवारी रख रहे हैं. पिछली सुनवाई पर एनजीटी ने काफी कड़ा रुख अपनाया था और स्पष्ट कहा था कि किसी को अधिकार नहीं कि नदी के तल में टेंट सिटी अथवा कोई स्थाई निर्माण कर ले. न इसकी अनुमति दी जा सकती है. टेंट सिटी बसाने के लिए स्वच्छ गंगा मिशन का एनओसी मांगा गया तो किसी के पास यह मौजूद नहीं था.