वाराणसीः पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उनके जल संरक्षण की मुहिम को बल मिलता दिख रहा है. आईआईटी बीएचयू सिविल इंजीनियरिंग के छात्रों ने सड़क बनाने के बाद बचे हुए वेस्ट मटैरियल से ईंट बनाई है. रिसर्च छात्रों का मानना है कि इससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी रुकेगा और 2-3 माह में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाने के बाद सरकार को भी इस ईंट से जुड़ी जानकारी भेजी जाएगी. इससे इस ईंट का व्यापक स्तर पर प्रयोग सुनिश्चित हो पाएगा.
शोध छात्र मयंक ने बताया मॉनसून के समय बारिश का अधिकांश पानी नाली में बह जाता है. सरकार रेन वाटर हारवेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए बहुत सारे प्रयास कर रही है. लेकिन यह सिस्टम खर्चीला होने के चलते सभी जगहों पर इसका उपयोग संभव नहीं है. हमारी ईंट से गलियों के पानी को भी बचाया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि बारिश का पानी ईंट के जरिए छनते हुए ड्रेन तक चला जाएगा. इनके बाद वह एक बड़ी टंकी में स्टोर होगा. खास तरह की ईंट होने के चलते पानी साफ होकर ड्रेन तक पहुंचेगा. जमा किए हुए पानी का उपयोग खेती से लेकर अन्य चीजों में हो सकता है. हालांकि अभी इस खास ईंट मजबूती की जांच कई स्तरों पर बाकी है, खासकर भारी वाहनों के दबाव वाली सड़कों पर इसकी जांच की जानी है. अभी यह फुटपाथ और पार्किंग स्पेस में उपयोग के लिए सही साबित हुई है.
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हम लोगों ने वेस्ट चीजों से पेवर ब्लॉक ईंट बनाई है. पहले भी पेवर ब्लॉक ईंट पर काम हुआ है, लेकिन किसी ने वेस्ट चीजों से ऐसी ईंट नहीं बनाई. एक बार ईंट बनाने के लिए कच्चा माल तैयार हो जाता है, तो 1 घंटे में हम लोग ईंट बना सकते हैं. अब तक हम लोगों ने 35 से ज्यादा ईंटें बनाई हैं, जिसका पहला प्रयोग हम आईआईटी बीएचयू के प्रांगण में करेंगे
-निखिल साबू, विभागाध्यक्ष ,सिविल इंजीनियरिंग, आईआईटी बीएचयू