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NTD Day Special: अलर्ट होकर जीत सकते हैं कुष्ठ रोग समेत इन उपेक्षित बीमारियों से जंग - ntd day 30 january

उपेक्षित बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए मनाया जाता है हर 30 जनवरी को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे. डेफाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया जैसी उपेक्षित बीमारियों को खत्म करने को लेकर किए जा रहे तमाम प्रयास. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की 16 उपेक्षित बीमारियों में से भारत में बहुतायत में पाई जाती हैं 11 बीमारियां.

ऐसे लड़ें कुष्ठ रोग समेत इन उपेक्षित बीमारियों से जंग
ऐसे लड़ें कुष्ठ रोग समेत इन उपेक्षित बीमारियों से जंग
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Published : Jan 30, 2022, 12:57 PM IST

वाराणसीः फाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया जैसी उपेक्षित बीमारियों को खत्म करने को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. इन बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए हर 30 जनवरी को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे (Neglected Tropical Disease Day) मनाया जाता है. यह बीमारी किसी इंसान को रोगी बनाने के साथ-साथ परिवार को आर्थिक रूप से भी कमजोर बना देती है.

एनडीटी जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है जो सबसे अधिक गरीब व कमजोर आबादी को प्रभावित करता है. इन रोगों का रोकथाम संभव है, मगर फिर भी पूरी दुनिया में हर साल बहुत से लोग इसकी चपेट में आते हैं.

यह भी पढ़ें- अपराधियों को टिकट देने को लेकर योगी और अखिलेश के बीच छिड़ा ट्विटर वॉर


क्या है नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज
वाराणसी के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर संदीप चौधरी ने नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (Neglected tropical disease) के विषय में बताया कि यह बीमारियां वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट फंगस और टॉक्सिन से होती हैं. हमने चेचक को खत्म कर दिया है. फाइलेरिया और कालाजार को लेकर विभाग सतर्क है. इसी तरह इन बीमारियों को भी खत्म किया जा सकता हैं. फाइलेरिया, कालाजार, कुष्ठ रोग, चिकनगुनिया, डेंगू, रेबीज, स्कैबीज, हुकवार्म, एसकैरियासिज इत्यादि उपेक्षित बीमारियां हैं.

डॉ. चौधरी ने बताया कि इन बीमारियों के प्रति समुदाय जागरूक नहीं है. ऐसे में डॉक्टरों को और जागरूकता दिखानी होगी. यदि बहुत जल्द ही मरीजों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया जाए तो वह स्वस्थ हो जाएंगे. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी मरीज को इन बीमारियों के लक्षण दिखे तो फौरन सरकारी अस्पताल में दिखाएं. इस प्रकार से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकतर बीमारियां मच्छरों के काटने से होती हैं. इसलिए मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए घर व आसपास साफ-सफाई रखना बेहद आवश्यक है. जलजमाव कतई ना होने दें. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें और पूरे आस्तीन के कपड़े पहनें. इसके प्रति जन जागरूकता को बढ़ावा देकर भी इन बीमारियों से बचा जा सकता है.

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी की रिपोर्ट (Global Burden Disease Study Report) के अनुसार दुनिया की 16 उपेक्षित बीमारियों में से 11 भारत में बहुतायत में पाई जाती हैं. रिपोर्ट के अनुसार भारत में लिंफेटिक फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) के 87 लाख केस हैं, जो दुनिया का 29 प्रतिशत है. इसी तरह कालाजार के देश में 13530 केस हैं, जो दुनिया का 45 प्रतिशत केस है. कुष्ठ रोग के 1877030 केस हैं जो दुनिया का 36 फीसदी केस है.

यूपी के वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर बीपी सिंह ने बताया कि भारत सरकार के निर्देश और प्रतिबद्धता के अनुसार राज्य में एनटीडी उन्मूलन के लिए राज्य स्तर से ग्रामीण स्तर तक सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं. प्रदेश में वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के लगभग 28 हजार मरीज और लिंफेडेमा के लगभग 84 हजार मरीज हैं. डॉ. सिंह ने बताया कि अंतर विभागीय समन्वय बनाकर राज्य को एनटीडी से पूर्ण रूप से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

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वाराणसीः फाइलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया जैसी उपेक्षित बीमारियों को खत्म करने को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं. इन बीमारियों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए हर 30 जनवरी को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज डे (Neglected Tropical Disease Day) मनाया जाता है. यह बीमारी किसी इंसान को रोगी बनाने के साथ-साथ परिवार को आर्थिक रूप से भी कमजोर बना देती है.

एनडीटी जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले रोगों का एक समूह है जो सबसे अधिक गरीब व कमजोर आबादी को प्रभावित करता है. इन रोगों का रोकथाम संभव है, मगर फिर भी पूरी दुनिया में हर साल बहुत से लोग इसकी चपेट में आते हैं.

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क्या है नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज
वाराणसी के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर संदीप चौधरी ने नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (Neglected tropical disease) के विषय में बताया कि यह बीमारियां वायरस, बैक्टीरिया, पैरासाइट फंगस और टॉक्सिन से होती हैं. हमने चेचक को खत्म कर दिया है. फाइलेरिया और कालाजार को लेकर विभाग सतर्क है. इसी तरह इन बीमारियों को भी खत्म किया जा सकता हैं. फाइलेरिया, कालाजार, कुष्ठ रोग, चिकनगुनिया, डेंगू, रेबीज, स्कैबीज, हुकवार्म, एसकैरियासिज इत्यादि उपेक्षित बीमारियां हैं.

डॉ. चौधरी ने बताया कि इन बीमारियों के प्रति समुदाय जागरूक नहीं है. ऐसे में डॉक्टरों को और जागरूकता दिखानी होगी. यदि बहुत जल्द ही मरीजों की पहचान कर उनका इलाज शुरू किया जाए तो वह स्वस्थ हो जाएंगे. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी मरीज को इन बीमारियों के लक्षण दिखे तो फौरन सरकारी अस्पताल में दिखाएं. इस प्रकार से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकतर बीमारियां मच्छरों के काटने से होती हैं. इसलिए मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए घर व आसपास साफ-सफाई रखना बेहद आवश्यक है. जलजमाव कतई ना होने दें. सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें और पूरे आस्तीन के कपड़े पहनें. इसके प्रति जन जागरूकता को बढ़ावा देकर भी इन बीमारियों से बचा जा सकता है.

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी की रिपोर्ट (Global Burden Disease Study Report) के अनुसार दुनिया की 16 उपेक्षित बीमारियों में से 11 भारत में बहुतायत में पाई जाती हैं. रिपोर्ट के अनुसार भारत में लिंफेटिक फाइलेरिया (Lymphatic Filariasis) के 87 लाख केस हैं, जो दुनिया का 29 प्रतिशत है. इसी तरह कालाजार के देश में 13530 केस हैं, जो दुनिया का 45 प्रतिशत केस है. कुष्ठ रोग के 1877030 केस हैं जो दुनिया का 36 फीसदी केस है.

यूपी के वेक्टर जनित रोग कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर बीपी सिंह ने बताया कि भारत सरकार के निर्देश और प्रतिबद्धता के अनुसार राज्य में एनटीडी उन्मूलन के लिए राज्य स्तर से ग्रामीण स्तर तक सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं. प्रदेश में वर्ष 2020-21 के आंकड़ों के अनुसार हाइड्रोसील के लगभग 28 हजार मरीज और लिंफेडेमा के लगभग 84 हजार मरीज हैं. डॉ. सिंह ने बताया कि अंतर विभागीय समन्वय बनाकर राज्य को एनटीडी से पूर्ण रूप से मुक्त करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं.

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