वाराणसी: राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर चौकाघाट स्थित भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रेक्षागृह में प्रोग्राम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में हथकरघा से जुड़े लोगों को समान्नित करने का काम किया गया. राष्ट्रीय पुरस्कार और संत कबीर पुरस्कार प्राप्त हथकरघा बुनकरों का सम्मान किया गया. सामर्थ योजना के तहत 45 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किए गए लोगों को प्रमाण पत्र का वितरण किया गया.
प्रोग्राम के मुख्य अतिथि कैण्ट विधायक सौरभ श्रीवास्तव, जीआई एक्सपर्ट रजनीकांत शामिल थे. बुनकर सेवा केंद्र पर राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसके पूर्व बुनकर सेवा केंद्र के अधिकारी दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में भी वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे. इस अवसर पर जीआई एक्सपर्ट डॉ. रजनीकांत ने मीडिया से बात करते हुए कहा की सरकार हथकरघा उद्योग को बढ़ाने के लिए आत्मनिर्भर भारत में लोकल से ग्लोबल बढ़ाने के लिए जो अभियान शुरू हुआ है. हथकरघा से जुड़े जो व्यापारी एवं ट्रेडर हैं. उनको भी आगे आना पड़ेगा. पूरी दुनिया को बचाने के लिए हैंडलूम के कारोबार को फिर से पहल करनी पड़ेगी.
लाभार्थी सना ने बताया कि सरकार हैंडलूम को बढ़ावा देने के लिए लगातार योजनाएं चला रही हैं. जो समाज के आखरी व्यक्ति तक नहीं पहुंच रहा है. उनका मेन कारण यह है कि उनकी मेहनत के हिसाब से पेमेंट नहीं मिल पा रहा है. सरकार इस पर ध्यान दे तो निश्चित तौर पर हथकरघा बुनकर वापस इस काम से जुड़ेंगे, बल्कि आगे अपने परिवार के लोगों को भी इस से जुड़ेंगे क्योंकि यह काम हमें विरासत में मिली है.
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उप निदेशक संदीप ठुबरीकर ने कहा कि 1905 में आज ही के दिन विदेशी कपड़ों के होली जलाकर स्वदेशी कपड़ों को अपनाने का आह्वान किया गया था. जिस कारण आज ही के दिन राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है. भारत सरकार लगातार हथकरघा बुनकरों के उत्थान के लिए योजनाएं चलाकर लाभ पहुंचाने का काम कर रही है. जिसके तहत उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत शिशु, किशोर, तरुण लोन के माध्यमों से बुनकरों को ऋण उपलब्ध कराने की बात कही.