वाराणसी: 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है. जिले में एक से 19 साल के 18 लाख से अधिक बालक-बालिकाओं को पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी. इस दौरान वाराणसी के स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद रहेंगे. इस कार्यक्रम में सभी सरकारी सहायता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों, मदरसों में शिक्षकों से दवा खिलाने में सहयोग लिया जा रहा है. इस दौरान उन बच्चों को भी दवा खिलाई जाएगी जो स्कूल नहीं जाते हैं. इसके साथ ही श्रमिकों के बच्चों को दवा दी जाएगी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि 18 लाख से अधिक बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें एक से पांच साल तक के सभी पंजीकृत बच्चों के साथ ही 6 से 19 साल तक के स्कूल जाने वाले सभी बालक-बालिकाओं को उनके विद्यालय में दवा खिलायी जाएगी.
श्रमिकों के बच्चों को भी दी जाएगी दवा: सीएमओ ने बताया कि इस कार्यक्रम में सभी सरकारी सहायता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों, मदरसों में शिक्षकों से दवा खिलाने में सहयोग लिया जा रहा है. अभियान में उन बच्चों को भी दवा खिलाई जाएगी जो स्कूल नहीं जाते हैं. इसके साथ ही ईंट-भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों के बच्चों को भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाई जाएगी. वहीं, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. संजय राय ने कहा कि कंपोजिट विद्यालय, सुन्दरपुर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की मौजूदगी में बच्चों को दवा खिलाकर कार्यक्रम की शुरूआत की जाएगी.
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17 अगस्त को छूटे बच्चों को मिलेगी दवा: सीएमओ ने बताया कि दवा खाने से छूट गये बच्चों के लिए 17 अगस्त को मॉप अप राउंड आयोजित होगा. इसमें छूटे हुए बच्चों को भी दवा देने के लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पेट में कीड़े होने से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं. उनमें खून की कमी हो जाती है, जिसके कारण बच्चे कमजोर होने लगते हैं. अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को इस परेशानी से बचाने के लिए कीड़े निकालने की दवा उन्हें जरूर खिलाएं.
पेट के कीड़े के लिए दवा खाने का तरीका: एक से दो साल के बच्चों को आधी गोली अच्छी तरह से पीस कर पानी में मिलाकर खिलाएं. दो से तीन साल के बच्चों को एक पूरी गोली पीस कर पानी के साथ खिलाएं. तीन से 19 साल के बालक-बालिकाओं को एक पूरी गोली चबाकर खानी होगी.
कृमि मुक्ति के फायदे: बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार होता है. कृमि मुक्ति से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. बच्चों में एनीमिया पर नियंत्रण रहता है. कृमि मुक्ति से बच्चों की सीखने की क्षमता में सुधार होता है.
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