वाराणसी: धर्म और अध्यात्म के शहर काशी में प्रत्येक दिन कोई न कोई पर्व होता है. ऐसे में लक्खा मेला संग व्रत और त्योहार की अनगिनत कड़ियां जारी रहती है. इसी कड़ी में कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी गुरुवार शाम तुलसी घाट पर भगवान श्री कृष्ण की नागनथैया लीला सजेगी.
लीला में ठीक 4:40 बजे प्रभु कदंब की डाल से कूदेंगे और कालिया नाग को नाथकर उसके फन पर नृत्य मुद्रण में वेणु वादन करते दर्शन देंगे. अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास की ओर से यह लीला प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती है. गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा प्रारंभ किया गया कृष्ण लीला का ही एक स्वरूप है. यह कृष्ण लीला 478 वर्ष पुरानी है.
इस दौरान शिव की नगरी काशी में अनोखा नजारा होगा. जब हर-हर महादेव के साथ मोर मुकुट बंसी वाले की जय जयकार का नारा एक साथ गूंज उठेगा. काशी का माहौल पूरी तरह भक्ति भाव में डूब जाएगा और गंगा नदी कुछ देर के लिए यमुना बन जाएगी. इस अनोखे और मनोरम दृश्य को देखने के लिए महाराजा काशी नरेश भी अपनी पुरानी परंपरा का निर्वहन करने के लिए आते हैं.
तुलसी घाट वृंदावन बन जाएगा और मां गंगा का पवित्र जल जो है वह यमुना के जल में परिवर्तित हो जाएगा. यहीं पर कल प्रसिद्ध लक्खा में नागनथैया होगा जो प्रसिद्ध है, लीला कहीं और नहीं हो सकती. भगवान गोस्वामी तुलसीदास जी का आशीर्वाद है. घाट काशी पर यही के लोग सुबह कदंब का पेड़ लगाएंगे और शाम को जब भगवान श्री कृष्ण यमुना जी में कूदेंगे. कालिया नाग पर वेणु वादन काशी की जनता को दर्शन देंगे और कालिया नाग को यहां से जाने के लिए कहेंगे.
- प्रो. विजय नाथ मिश्र, सदस्य, अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास