वाराणसीः मुंशी प्रेमचंद्र की 141वीं जंयती की पूर्व संध्या पर मुक्ताकाशी मंच पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम को मानसरोवर घाट पर इसलिए आयोजित किया गया कि यहां से जुड़े हुए लोग भी मुंशी प्रेमचंद्र जी के योगदान को समझेंगे.
मां गंगा की अविरल धारा के साथ मुंशी प्रेमचंद्र को अनोखे तरीके से याद करके काशी की जनता के साथ मिलकर उनको श्रद्धांजलि दी गई. जिसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय घाट वॉक के संस्थापक प्रसिद्ध न्यूरो चिकित्सक प्रोफेसर विजय नाथ मिश्र ने प्रेमचंद्र के जीवन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्रेमचंद्र जी को समझकर कर हम समाज को उन्नति की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं. वो हिंदी जगत के कबीर, रविदास, तुलती और भारतेंदु की परंपरा में आते हैं.
प्रोफेसर श्री प्रकाश शुक्ला ने कहा मानसरोवर घाट पर इसलिए कार्यक्रम को आयोजित किया गया क्यों कि मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियों का संपादन मानसरोवर के नाम से ही किया गया है. काशी के घाट पर विभिन्न प्रकार के संस्कृतियों की झलक देखने को मिलती है. यह कार्यक्रम काशी के उस जनता के बीच किया जा रहा है जो प्रेमचंद्र के रचनाओं में देखने को मिलता है. प्रेमचन्द्र जी ने मनुष्य के साथ विवेक, बुद्धि और न्याय के पक्ष को जागृत करने का काम किया.
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कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री दयाशंकर मिश्र, शालिनी मिश्र, डॉक्टर रवि सोनकर, श्रुति मिश्र, अभय शंकर तिवारी, जूही त्रिपाठी, आस्था वर्मा, अमित राय, धनावती देवी, शिव विश्वकर्मा और आर्यपुत्र दीपक उपस्थित रहे.