वाराणसी: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक मेगा अभियान की शुरुआत की जा रही है, जिसमें मोतिया बिंद से परेशान मरीजों का इलाज किया जाएगा. खास बात यह है कि यह अब तक का सबसे बड़ा शिविर होगा. जिसमें 4 महीने 10 दिन में 1 लाख 8 हजार मोतियाबिंद के मरीजों का मुफ्त ऑपरेशन किया जाएगा. 25 नवंबर से शुरू होने वाले इस अभियान को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का भी प्रयास किया जाएगा.
1 लाख से ज्यादा लोगों का होगा निःशुल्क इलाज
मोतियाबिंद की समस्या लोगों में 50 साल के बाद शुरू हो जाती हैं और यदि हम बनारस के सरकारी अस्पताल के आंकड़े की बात करें तो अंधता निवारण के लिए प्रतिदिन 100 मरीज आते हैं, जिसमें लगभग 40 फीसदी मरीजों में मोतियाबिंद के समस्या पाए जाती हैं. ऐसे में महादेव की नगरी काशी में शुरू होने वाले इस मेगा अभियान से लोगों को नेत्ररूपी संजीवनी मिलेगी. विदित हो कि गुजरात के श्री रणछोड़ दास जी बापू चैरिटेबल आई ट्रस्ट द्वारा 50 से अधिक डॉक्टर व 200 से ज्यादा स्टाफ के द्वारा इस ऑपरेशन को संपन्न कराया जाएगा और इसमें 1 लाख 8000 मरीजों को निशुल्क उपचार दिया जाएगा.
इस मेगा अभियान के बाबत चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी प्रवीण भाई वासनी ने बताया कि यह शिविर अपने आप में एक तरह का रिकॉर्ड होगा. जिसको गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने बताया कि यह अब तक का सबसे बड़ा नेत्र शिविर होगा. इसमें हजारों मरीजों का ऑपरेशन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस अभियान को शुरू करने के लिए हमने धर्म नगरी वाराणसी को चुना. क्योंकि यह शहर अपने आप में सद्भाव और प्रेम का शहर है और हम यहां पर निशुल्क लोगों का इलाज करेंगे.
मरीज संग तीमारदारों को मिलेगी मूलभूत सुविधा
उन्होंने बताया कि अभियान में सबसे पहले मरीजों का रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा. उनकी स्क्रीनिंग कराई जाएगी. उनके समस्या को समझा जाएगा और उसके बाद निशुल्क ऑपरेशन किया जाएगा. इसके साथ ही हमारे संस्था के सदस्यों के द्वारा 2 दिन तक उन्हें अपने निरीक्षण में रखकर उनका इलाज किया जाएगा. इस दौरान उनके तीमारदारों का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा, उन्हें नाश्ता - खाना और रहने, सोने की व्यवस्था दी जाएगी.
उन्होंने बताया कि मरीज हमारे लिए भगवान का स्वरूप होते हैं. इसलिए उनके गंतव्य-आवास तक पहुंचाने के लिए भी व्यवस्था की गई है और प्रति व्यक्ति को कुछ धनराशि दी जाएगी. जिससे वह अपने घर पहुंच सके और इसके साथ ही उन्हें अनाज भी दिया जाएगा. जिससे वह 2 दिनों तक आसानी से अपना भोजन कर सकें.
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