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मंत्री रविंद्र जायसवाल ने 'गांधी शिल्प बाजार' का किया उद्घाटन

काशी के अर्बन हाट और सांस्कृतिक संकुल चौकाघाट में गांधी शिल्प बाजार का उद्घाटन प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन व न्यायालय शुल्क मंत्री रविंद्र जायसवाल ने किया. 10 फरवरी से 19 फरवरी तक चलने वाले गांधी शिल्प मेले शिल्पियों और बुनकरों के उत्पादों के 100 स्टॉल लगे हुए हैं.

गांधी शिल्प बाजार
गांधी शिल्प बाजार
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Published : Feb 11, 2021, 5:05 PM IST

वाराणसी: काशी के अर्बन हाट और सांस्कृतिक संकुल चौकाघाट में गांधी शिल्प बाजार का उद्घाटन प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन व न्यायालय शुल्क मंत्री रविंद्र जायसवाल ने किया. 10 फरवरी से 19 फरवरी तक चलने वाले गांधी शिल्प मेले शिल्पियों और बुनकरों के उत्पादों के 100 स्टॉल लगे हुए हैं. सुबह 10 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक चलने वाले इस शिल्प बाजार में प्रवेश नि:शुल्क है.

गांधी शिल्प बाजार में मुख्य आकर्षण गोरखपुर का टेराकोटा, बनारस के जरी से बनी साड़ी एवं सूट, लखनऊ का चिकन, भदोही का कारपेट, ड्राई फ्लावर और मधुबनी की पेंटिंग सहित भारत के विभिन्न राज्यों की उत्कृष्ट कलाकृतियां एवं गृह उपयोगी वस्तुएं प्रदर्शनी में विक्रय हेतु उपलब्ध हैं.

वहीं कोरोना काल के बाद इस तरह के बाजार के आयोजन से लोगों को अलग-अलग तरह की वस्तुएं देखने को मिलेंगी, जिससे कहीं न कहीं लोकल फॉर वोकल को भी बढ़ावा मिलेगा. वाराणसी को ऐसे भी पर्यटन का केंद्र कहा जाता है. ऐसे में इस तरह के बाजार के आयोजन से कहीं न कहीं शिल्पियों और बुनकरों के उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा और एक बेहतर बाजार भी मिलेगा. 10 दिनों तक चलने वाले इस बाजार में लोगों को अलग-अलग तरह की वस्तुएं प्रदर्शनी में देखने को मिलेंगी.

वाराणसी: काशी के अर्बन हाट और सांस्कृतिक संकुल चौकाघाट में गांधी शिल्प बाजार का उद्घाटन प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन व न्यायालय शुल्क मंत्री रविंद्र जायसवाल ने किया. 10 फरवरी से 19 फरवरी तक चलने वाले गांधी शिल्प मेले शिल्पियों और बुनकरों के उत्पादों के 100 स्टॉल लगे हुए हैं. सुबह 10 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक चलने वाले इस शिल्प बाजार में प्रवेश नि:शुल्क है.

गांधी शिल्प बाजार में मुख्य आकर्षण गोरखपुर का टेराकोटा, बनारस के जरी से बनी साड़ी एवं सूट, लखनऊ का चिकन, भदोही का कारपेट, ड्राई फ्लावर और मधुबनी की पेंटिंग सहित भारत के विभिन्न राज्यों की उत्कृष्ट कलाकृतियां एवं गृह उपयोगी वस्तुएं प्रदर्शनी में विक्रय हेतु उपलब्ध हैं.

वहीं कोरोना काल के बाद इस तरह के बाजार के आयोजन से लोगों को अलग-अलग तरह की वस्तुएं देखने को मिलेंगी, जिससे कहीं न कहीं लोकल फॉर वोकल को भी बढ़ावा मिलेगा. वाराणसी को ऐसे भी पर्यटन का केंद्र कहा जाता है. ऐसे में इस तरह के बाजार के आयोजन से कहीं न कहीं शिल्पियों और बुनकरों के उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा और एक बेहतर बाजार भी मिलेगा. 10 दिनों तक चलने वाले इस बाजार में लोगों को अलग-अलग तरह की वस्तुएं प्रदर्शनी में देखने को मिलेंगी.

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