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वाराणसी: नगर निगम और रक्षा संपदा अफसरों के बीच बैठक, कई अहम फैसलों पर मुहर

वाराणसी नगर निगम को 160 एकड़ जमीन के उपयोग के बदले में संशोधित दर रक्षा संपदा को देनी होगी. साथ ही रक्षा संपदा और नगर निगम के बीच बैठक में यह तय किया गया कि रक्षा संपदा के 160 एकड़ जमीन पर हुए अवैध निर्माण को तोड़ा जाएगा.

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रक्षा संपदा के 160 एकड़ जमीन पर हुए अवैध निर्माण को तोड़ने की तैयारी.
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Published : Oct 17, 2020, 8:04 AM IST

वाराणसी: नगर निगम मुख्यालय में नगर निगम प्रशासन और रक्षा संपदा के अफसरों के बीच देर शाम तक बैठक हुई. बैठक में यह तय किया गया कि नगर निगम को 160 एकड़ जमीन के उपयोग के बदले में संशोधित दर रक्षा संपदा को देनी होगी. वहीं सन 2002 से अब तक का बकाया धनराशि का भुगतान भी नगर निगम को करना है.

बैठक में रक्षा संपदा के अफसरों ने स्पष्ट कर दिया कि कैंट स्टेशन के सामने स्थित जमीन का मालिकाना हक तो रक्षा संपदा का ही रहेगा, लेकिन केयरटेकर के तौर पर नगर निगम होगा. इस दौरान बैठक में यह तय किया गया कि विकास कार्यों के साथ ही साथ निर्माण कार्य आदि कराने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की होगी. नगर निगम प्रशासन गृहकर वसूल करेगा. वहीं नगर निगम ने सन 1992, 1993 से रक्षा संपदा विभाग परिक्षेत्र को परजवट (सालाना दर) नहीं दिया है. कुल मिलाकर करीब 57 हजार परजवट बकाया है. जबकि नगर निगम ने इस भूमि पर बने भवनों से सन 2002 से टैक्स लेना भी बंद कर दिया.


रक्षा संपदा की जमीन पर वे अवैध निर्माण तोड़े जाएंगे
नगर निगम मुख्यालय में रक्षा संपदा और नगर निगम के बीच बैठक में यह तय किया गया कि रक्षा संपदा के 160 एकड़ जमीन पर हुए अवैध निर्माण को तोड़ा जाएगा. इसके अलावा आवंटित दुकानों का भी सर्वे होगा. क्योंकि नगर निगम प्रशासन के पास सूचना पहुंची है कि कुछ ऐसे आवंटी है जिसकी मौत हो चुकी है, पर उस पर कुछ लोग फर्जी कागजात बनाकर कब्जा किए हुए हैं.

सन 2002 से अब तक का गृहकर वसूलेगा नगर निगम
नगर निगम और रक्षा संपदा के बीच हुए बैठक में यह भी तय किया गया है कि वर्ष 2002 से अब तक का जोड़कर नगर निगम प्रशासन गृह कर वसूलेगा. अपर नगर आयुक्त देवीदयाल वर्मा ने बताया है कि इस इलाके में गृह कर वसूली के बाद राजस्व में इजाफा होगा. रक्षा संपदा की बकाया राशि को अविलंब चुकता कर दिया जाएगा.

वाराणसी: नगर निगम मुख्यालय में नगर निगम प्रशासन और रक्षा संपदा के अफसरों के बीच देर शाम तक बैठक हुई. बैठक में यह तय किया गया कि नगर निगम को 160 एकड़ जमीन के उपयोग के बदले में संशोधित दर रक्षा संपदा को देनी होगी. वहीं सन 2002 से अब तक का बकाया धनराशि का भुगतान भी नगर निगम को करना है.

बैठक में रक्षा संपदा के अफसरों ने स्पष्ट कर दिया कि कैंट स्टेशन के सामने स्थित जमीन का मालिकाना हक तो रक्षा संपदा का ही रहेगा, लेकिन केयरटेकर के तौर पर नगर निगम होगा. इस दौरान बैठक में यह तय किया गया कि विकास कार्यों के साथ ही साथ निर्माण कार्य आदि कराने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की होगी. नगर निगम प्रशासन गृहकर वसूल करेगा. वहीं नगर निगम ने सन 1992, 1993 से रक्षा संपदा विभाग परिक्षेत्र को परजवट (सालाना दर) नहीं दिया है. कुल मिलाकर करीब 57 हजार परजवट बकाया है. जबकि नगर निगम ने इस भूमि पर बने भवनों से सन 2002 से टैक्स लेना भी बंद कर दिया.


रक्षा संपदा की जमीन पर वे अवैध निर्माण तोड़े जाएंगे
नगर निगम मुख्यालय में रक्षा संपदा और नगर निगम के बीच बैठक में यह तय किया गया कि रक्षा संपदा के 160 एकड़ जमीन पर हुए अवैध निर्माण को तोड़ा जाएगा. इसके अलावा आवंटित दुकानों का भी सर्वे होगा. क्योंकि नगर निगम प्रशासन के पास सूचना पहुंची है कि कुछ ऐसे आवंटी है जिसकी मौत हो चुकी है, पर उस पर कुछ लोग फर्जी कागजात बनाकर कब्जा किए हुए हैं.

सन 2002 से अब तक का गृहकर वसूलेगा नगर निगम
नगर निगम और रक्षा संपदा के बीच हुए बैठक में यह भी तय किया गया है कि वर्ष 2002 से अब तक का जोड़कर नगर निगम प्रशासन गृह कर वसूलेगा. अपर नगर आयुक्त देवीदयाल वर्मा ने बताया है कि इस इलाके में गृह कर वसूली के बाद राजस्व में इजाफा होगा. रक्षा संपदा की बकाया राशि को अविलंब चुकता कर दिया जाएगा.

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