वाराणसी: कोरोना के वैश्विक प्रभाव को देखते हुए एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि अगर इस वायरस से बचाव करना है, तो लोगों को अपने खानपान का ख्याल रखना होगा. लोग अपने उचित खान-पान से ही शारीरिक रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ा सकते हैं. विभिन्न शोध में यह साबित हुआ है कि अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, तो इस वायरस का प्रभाव कम होता है. इसी क्रम में आईआईटी बीएचयू के मालवीय मूल्य संवर्धन केंद्र की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना की रफ्तार परियोजना के अंतर्गत कई ऐसे उत्पादों का निर्माण किया गया है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सक्षम हैं.
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं ये उत्पाद
मालवीय मूल्य संवर्धन केंद्र की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत एक स्टार्टअप में मोरिंगा चाय का निर्माण किया गया है. इस चाय में आवश्यक पोषक तत्त्व जैसे विटामिन, प्रोटीन, पोटाशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन इत्यादि उपलब्ध हैं. यह मनुष्यों में उर्जा स्तर को बढ़ाती है, जिससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है.
दूसरे स्टार्टअप में चिया, क्विनोआ, बीज, नट्स, फल और सब्जियों से बने ऐसे स्नैक्स बनाए हैं जो आवश्यक पोषक तत्वों से परिपूर्ण हैं. ये उत्पाद उच्च प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट जैसे ओमेगा-3, फैटी एसिड, बीटा कैरोटीन, पॉलीफेनोल खनिज सभी के साथ उच्च फाइबर जैसे पोषक तत्वों से परिपूर्ण हैं, जो शारीरिक प्रतिरक्षा में वृद्धि करते हैं.
उत्पादों के निर्माण में इन तीन डॉक्टरों की रही अहम भूमिका
एक अन्य स्टार्टअप में हिमालय क्षेत्र में पाई जाने वाली औषधीय मशरूम की मदद से ऐसी चाय बनाई गई है जो एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-एजिंग, एंटी-ऑक्सीडेंट इत्यादि औषधीय गुण लिए हुए है. यह चाय मनुष्य की मेटाबोलिक क्रियाओं को बढ़ाती है, जिससे शरीर की आतंरिक प्रतिरक्षा प्रणाली और सुदृढ़ हो जाती है. इन उत्पादों का निर्माण में डाॅ. कामिनी सिंह, डाॅ. मनी उपेरती और डॉ. निशा निरंजन प्रमुख हैं.
मोरिंगा, चिया, क्विनोआ, बीज, नट्स, फल, सब्जियों और औषधीय मशरूम से बने उत्पादों का अपना महत्व है और इनसे बने उत्पादों को विभिन्न शोध की तरफ से प्रमाणित भी किया गया है.प्रो. पीके मिश्रा, केंद्र समन्वयक
भारत सरकार तकनीकी संस्थानों में कृषि आधारित स्टार्टअप पर विशेष ध्यान दे रही है. भारतीय कृषि उत्पाद को और विकसित और संवर्धित करने की दिशा में यह बेहद सराहनीय कदम है. हमारा प्रयास रहेगा कि संस्थान में तकनीक के सहयोग से ऐसे कई और उत्पादों का निर्माण हो सके, जिसका उपयोग समाज कल्याण के लिए किया जा सके.प्रो. प्रमोद कुमार जैन, निदेशक आईआईटी बीएचयू