वाराणसी: सात वार के साथ ही नौ त्योहारों का शहर कहे जाने वाले बनारस में हर पर्व को बड़े ही उत्साह और अलग-अलग तरीके से मनाने का विधान है. सावन पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले-भाई बहन के पर्व के दिन काशी में श्रावणी उपाकर्म का विधान है. इस विधान को पूरा करने के लिए नदी सरोवर में खड़े होकर घंटों प्रायश्चित के लिए मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा को संपन्न करना होता हैं, जो काशी के अलग-अलग घाटों पर संपन्न कराया जाता है.
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काशी के घाटों पर उमड़ा जन सैलाब-
- श्रावणी उपाकर्म का विधान ऋषि-मुनियों के समय से चला आ रहा है.
- साल भर के पापों के प्रायश्चित के लिए तीन अलग-अलग भागों में इसे संपन्न कराया जाता है.
- पहले भाग में प्रायश्चित दूसरे में बसंत पूजन और तीसरे भाग में स्वाध्याय का क्रम संपन्न कराया जाता है.
- बड़ी संख्या में लोग घाटों पर घंटों पानी में खड़े होकर पापों के प्रायश्चित के लिए मंत्रों के साथ संपन्न करते हैं.
- हाथों में जल, कुशा आदि लेकर 10 द्रव्य जिनमें गोमूत्र, गोबर, मिट्टी, समेत औषधीय आदि से स्नान व इनका आचमन किया जाता है.