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काशी में संपन्न हुआ श्रावणी उपाकर्म, पापों के प्रायश्चित के लिए किया जाता है यह विशेष पूजन - पापों के प्रायश्चित के लिये पूजन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन के मौके पर घाटों पर लोगों ने अपने पापों के प्रायश्चित के लिए पूजन किया. माना जाता है कि इस श्रावणी उपाकर्म पूजन का विशेष महत्व है.

घाटों पर उमड़ा जन-सैलाब
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Published : Aug 15, 2019, 2:28 PM IST


वाराणसी: सात वार के साथ ही नौ त्योहारों का शहर कहे जाने वाले बनारस में हर पर्व को बड़े ही उत्साह और अलग-अलग तरीके से मनाने का विधान है. सावन पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले-भाई बहन के पर्व के दिन काशी में श्रावणी उपाकर्म का विधान है. इस विधान को पूरा करने के लिए नदी सरोवर में खड़े होकर घंटों प्रायश्चित के लिए मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा को संपन्न करना होता हैं, जो काशी के अलग-अलग घाटों पर संपन्न कराया जाता है.

घाटों पर उमड़ा जन-सैलाब.

इसे भी पढ़ें:-वाराणसी: गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में बनेगा तुलसी द्वार

काशी के घाटों पर उमड़ा जन सैलाब-

  • श्रावणी उपाकर्म का विधान ऋषि-मुनियों के समय से चला आ रहा है.
  • साल भर के पापों के प्रायश्चित के लिए तीन अलग-अलग भागों में इसे संपन्न कराया जाता है.
  • पहले भाग में प्रायश्चित दूसरे में बसंत पूजन और तीसरे भाग में स्वाध्याय का क्रम संपन्न कराया जाता है.
  • बड़ी संख्या में लोग घाटों पर घंटों पानी में खड़े होकर पापों के प्रायश्चित के लिए मंत्रों के साथ संपन्न करते हैं.
  • हाथों में जल, कुशा आदि लेकर 10 द्रव्य जिनमें गोमूत्र, गोबर, मिट्टी, समेत औषधीय आदि से स्नान व इनका आचमन किया जाता है.


वाराणसी: सात वार के साथ ही नौ त्योहारों का शहर कहे जाने वाले बनारस में हर पर्व को बड़े ही उत्साह और अलग-अलग तरीके से मनाने का विधान है. सावन पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले-भाई बहन के पर्व के दिन काशी में श्रावणी उपाकर्म का विधान है. इस विधान को पूरा करने के लिए नदी सरोवर में खड़े होकर घंटों प्रायश्चित के लिए मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा को संपन्न करना होता हैं, जो काशी के अलग-अलग घाटों पर संपन्न कराया जाता है.

घाटों पर उमड़ा जन-सैलाब.

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काशी के घाटों पर उमड़ा जन सैलाब-

  • श्रावणी उपाकर्म का विधान ऋषि-मुनियों के समय से चला आ रहा है.
  • साल भर के पापों के प्रायश्चित के लिए तीन अलग-अलग भागों में इसे संपन्न कराया जाता है.
  • पहले भाग में प्रायश्चित दूसरे में बसंत पूजन और तीसरे भाग में स्वाध्याय का क्रम संपन्न कराया जाता है.
  • बड़ी संख्या में लोग घाटों पर घंटों पानी में खड़े होकर पापों के प्रायश्चित के लिए मंत्रों के साथ संपन्न करते हैं.
  • हाथों में जल, कुशा आदि लेकर 10 द्रव्य जिनमें गोमूत्र, गोबर, मिट्टी, समेत औषधीय आदि से स्नान व इनका आचमन किया जाता है.
Intro:स्पेशल:

वाराणसी: सात वार 9 त्यौहार का शहर कहे जाने वाले बनारस में हर पर्व को बड़े ही उत्साह और अलग तरीके से मनाने का विधान है और ऐसा ही आज रक्षाबंधन के पर्व के मौके पर भी देखने को मिल रहा है सावन पूर्णिमा के दिन पढ़ने वाले भाई बहन के पर्व रक्षाबंधन के दिन काशी में श्रावणी उपाकर्म का विधान है इस विधान को पूरा करने के लिए किसी नदी सरोवर में खड़े होकर घंटों प्रायश्चित के लिए मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विधि-विधान से चीजों को संपन्न करना होता है जो आज काशी के अलग-अलग घाटों पर संपन्न कराया गया.


Body:वीओ-01 दरअसल श्रावणी उपाकर्म का विधान ऋषि-मुनियों के समय से चला आ रहा है इस बारे में कहा जाता है कि जाने-अनजाने हुए साल भर के पापों के प्रायश्चित के लिए तीन अलग-अलग भागों में इसे संपन्न कराया जाता है पहले भाग में प्रायश्चित दूसरे में बसंत पूजन और तीसरे भाग में स्वाध्याय का क्रम संपन्न कराया जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि काशी में होने वाले इस विशेष उपाकर्म के लिए बड़ी संख्या में लोग घंटों पानी में खड़े होकर अपने पापों के प्रायश्चित के लिए मंत्रों के साथ इसे संपन्न करते हैं हाथों में जल कुशा आदि लेकर लोग ईश्वर से अपने पापों की क्षमा मांगते हैं और इसके साथ ही 10 द्रव्य जिसमें में गोमूत्र, गोबर, मिट्टी, समेत औषधीय पत्तियां, दूध, दही शहद चीनी आदि से स्नान व इनका आचमन भी किया जाता है.

बाईट- विकास दिक्षित, कर्मकांडी


Conclusion:वीओ-02 फिलहाल काशी में रक्षाबंधन के दिन श्रावणी उपाकर्म की परंपरा सदियों से चली आ रही है ऋषि मुनियों के समय से हो रही इस परंपरा का निर्माण आज भी उसी तरह से होता रहा है जैसे पहले होता था.

बाईट- अरविंद मिश्र, श्रावणी उपाकर्म करने वाले

गोपाल मिश्र

9839809074
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