वाराणसी: पर्यटन नगरी के तौर पर बनारस एक अलग पहचान बना चुका है. इस धार्मिक नगरी में आस्था के साथ बड़ी संख्या में पर्यटकों का आना होता है. लेकिन पर्यटक को अक्सर कई बार ऐसे गेस्ट हाउस लॉज या पेइंग गेस्ट हाउस की वजह से परेशानियां झेलनी पड़ती है, जो अवैध रूप से संचालित होते हैं या रजिस्ट्रेशन गलत तरीके से करवाते हैं. ऐसे गेस्ट हाउस होटल और लॉज कि अब पड़ताल शुरू हो चुकी है. लखनऊ के होटल लेवाना में अग्निकांड के बाद जांच पड़ताल में जुटा प्रशासन जब इसकी शुरुआत के साथ आगे बढ़ने लगा तो कई ऐसी चीजें भी सामने आई हैं, जो चौंकाने वाली हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण अंग्रेजों के वक्त के सराय एक्ट के बल पर बड़े-बड़े होटल गेस्ट हाउस लॉज संचालित होते मिल रहे हैं, जबकि पांच कमरों के साथ रिहायशी इमारत में चलने वाले पेइंग गेस्ट हाउस के लाइसेंस को जारी करते हुए 8 से 9 पॉइंट के नियमों का पालन करके ही यह लाइसेंस जारी होते हैं. फिर भी आसानी से उपलब्ध होने वाले इस लाइसेंस का गलत इस्तेमाल कर गेस्ट हाउस और लॉज के अलावा बड़े-बड़े होटल इसे आसानी से जारी करवाते हुए इस सुविधा का मिस यूज कर रहे हैं.
यह चौंकाने वाली जानकारी उस वक्त सामने आई है, जब लखनऊ के होटल में अग्निकांड के बाद होटल गेस्ट हाउस की निर्धारित मानकों पर जांच शुरू की गई सबसे बड़ी बात यह है कि बनारस के अलग-अलग विभागों के ऊपर इन सभी के जांच की जिम्मेदारी है, लेकिन सभी सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति में ही लगे रहते हैं. यही वजह है कि स्थानीय निकाय, वाराणसी नगर निगम, विद्युत सुरक्षा विभाग, अग्निशमन विभाग, लोक निर्माण विभाग, राजस्व विभाग और पर्यटन विभाग के अलावा वाराणसी विकास प्राधिकरण की तरफ से जारी होने वाले एनओसी के बिना ही अधिकांश गेस्ट हाउस लॉज और बड़े-बड़े होटल संचालित होते हैं.
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पर्यटन विभाग के पास आंकड़ों के मुताबिक 363 ऐसे पेइंग गेस्ट हाउस है, जिनको 5 कमरों में ही संचालित करने का लाइसेंस जारी किया गया है, लेकिन जब जांच शुरू हुई तो यह बात सामने आई है कि इनमें से अधिकांश नियमों की अनदेखी करके बिना निर्धारित मानक के अनुसार लिए तय सीमा से निर्धारित कमरों के साथ गेस्ट हाउस और पेइंग गेस्ट हाउस के संचालन कर रहे हैं. यहां तक कि कुछ बड़े होटल भी मिले हैं जो पेन गेस्ट हाउस का लाइसेंस लेकर 10 से 15 कमरों के होटल को संचालित कर रहे हैं.
ऐसे गेस्ट हाउस और पेन गेस्ट हाउस के लिए जिलाधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा ने 30 सितंबर तक का वक्त निर्धारित किया है और तय मानकों के अनुसार नौ अलग-अलग बिंदुओं पर एनओसी लेकर लाइसेंस रिन्यू करवाने के आदेश दिए हैं. पर्यटन विभाग की उपनिदेशक प्रीति श्रीवास्तव का कहना है कि तय मानकों के अनुसार ही पेइंग गेस्ट हाउस का संचालन होना है, लेकिन इस सुविधा का दुरुपयोग बहुत से लोग करते मिले हैं पेइंग गेस्ट हाउस के नाम पर बड़े होटल गेस्ट हाउस और लॉज संचालित हो रहे हैं. नियम के मुताबिक सिर्फ 5 कमरों में ही पेइंग गेस्ट हाउस का संचालन किया जाना चाहिए, लेकिन इन सब चीजों को दरकिनार करते हुए नियमों की अनदेखी की जा रही है.
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नियमों के मुताबिक पेइंग गेस्ट हाउस का पंजीकरण प्रमाण पत्र मूल रूप का होना जरूरी है. भवन स्वामी या आवेदक का पैन कार्ड, भवन स्वामी के दो फोटोग्राफ के साथ कार्यालय में दस्तावेज के रूप में रखा जाना अनिवार्य है. भवन का नगर निगम द्वारा जारी किया गया पीला कार्ड होना अनिवार्य है. अग्निशमन विभाग का एनओसी, विकास प्राधिकरण का पास किया हुआ नक्शा, पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस से जारी चरित्र प्रमाण पत्र और किसी भी तरह की एफआईआर दर्ज ना होने की शर्त अनिवार्य रूप से पूरी होनी चाहिए.
वहीं, उप निदेशक पर्यटन प्रीति श्रीवास्तव का कहना है कि अभी जांच शुरू हुई है तो बहुत से ऐसे होटल गेस्ट हाउस लॉज मिले हैं, जो पेइंग गेस्ट हाउस के लाइसेंस को संचालित हो रहे हैं. यहां तक कि कई पेइंग गेस्ट हाउस तो एक लाइसेंस लेकर 3-4 गेस्ट हाउस संचालित करते मिले हैं. ऐसे लोगों को 30 तारीख तक का वक्त दिया दिया गया है यदि अपने में सुधार करते हैं तो ठीक नहीं तो उनको तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जाएगा.