वाराणसी: बनारस को मोक्ष की नगरी के रूप में जाना जाता है. इस नगरी में एक ऐसा घाट भी है, जहां मोक्ष की राह पर अग्रसर करने का काम होता है. इस घाट को महाश्मशान मणिकर्णिका के नाम से जाना जाता है. इस घाट पर सिर्फ वाराणसी ही नहीं बल्कि यूपी के अलग-अलग जिलों के अलावा बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल समेत विदेशों से भी शव को दाह संस्कार के लिए लाया जाता है. जबकि यहां पर व्याप्त दुश्वारियां और दिक्कतों की वजह से परेशानियां भी बहुत सी होती हैं. लेकिन अब इन परेशानियों का अंत जल्द होने वाला है. क्योंकि लगभग 18 करोड़ रुपये की लागत से मणिकर्णिका घाट के रेनोवेशन का शिलान्यास 7 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.
मंदिरों का भी होगा सुंदरीकरणः भगवान शिव की नगरी काशी को मोक्ष दायिनी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है. इस घाट पर भगवान शिव जीवात्मा को खुद तारक मंत्र देने आते हैं. देश के आइकॉनिक स्थलों में से एक मणिकर्णिका घाट को आधुनिक, सुगम और सुविधानुसार बनाए जाने को लेकर योगी सरकार जुटी हुई है. मणिकर्णिका घाट के पुनर्विकास का काम सीएसआर फंड से होगा. नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की ओर से भी इसे लेकर अनुमति मिल चुकी है. इसमें मणिकर्णिका कुंड, रत्नेश्वर महादेव मंदिर आदि का भी सौंदर्यीकरण किया जाएगा. जानकारी के अनुसार, मणिकर्णिका घाट से तारकेश्वर मंदिर तक की इमारत को नागर शैली में विकसित किया जाएगा. तारकेश्वर महादेव मंदिर तक तीन मंजिला और तारकेश्वर महादेव से दत्तात्रेय पादुका तक (300 से 400 मीटर) का निर्माण होगा.
शव पंजीकरण कार्यालय भी बनेगाः मणिकर्णिका घाट के पुनर्विकास और जीर्णोद्धार की प्लानिंग और डिजाइन कर रही प्लानर इण्डिया कंपनी के चेयरमैन श्यामलाल ने बताया कि घाट और आसपास के ऐतिहासिक भवनों और मंदिरों का पुनर्विकास 17.56 करोड़ की लागत से प्रस्तावित है. जिसे रूपा फाउंडेशन सीएसआर फण्ड से कराने के लिए तैयार है. उन्होंने बताया कि मणिकर्णिका घाट मोक्ष स्थल का द्वार है. यहां पर शव पंजीकरण कार्यालय भी बनाना प्रस्तावित है.
शवदाह स्थल तक अलग-अलग रास्ते बनेंगे: श्यामलाल ने बताया कि अब लकड़ी बेचने वालों के लिए व्यवस्थित प्लाजा बनेगा, जहां लकड़ियों का स्टोरेज भी किया जा सकेगा. शव और शव यात्रियों के लिए शवदाह स्थल तक पहुंचने के लिए अलग-अलग रास्ते बनाए जाएंगे. शवदाह से पहले होने वाले धार्मिक रीति रिवाज आदि के लिए विशेष स्थान, शव स्नान आदि की व्यवस्था होगी. हाई फ्लड जोन से ऊपर दाह संस्कार स्थल बनेगा, वहीं यहां तक पहुंचने के लिए रैम्प बनाया जाएगा. बाढ़ के उच्चतम बिंदु से ऊपर, छत पर वीआईपी के लिए अलग से बैठने के लिए व्यवस्था होगी. ल यातायात द्वारा घाट तक लकड़ी लाने के लिए रैम्प का निर्माण, जन सुविधा के लिए शौचालय, पीने का पानी, प्रतीक्षालय, व्यूइंग एरिया, मणिकर्णिका के आसपास के हेरिटेज मॉर्नुमेंट्स, चक्र पुष्करणी कुंड, तारकेश्वर मंदिर, रत्नेश्वर मंदिर व दत्तात्रेय पादुका तक का भी जीर्णोद्धार होगा. इसके साथ ही वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम, इंस्टीट्यूशनल फ्रेम वर्क विद ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी भी लगाया जाएगा.
रोजाना लगभग 250 से अधिक चिताएं जलती हैंः बता दें कि मणिकर्णिका घाट पर सिर्फ शव दाह के लिए ही लोग नहीं आते, बल्कि विश्वभर से पर्यटक इस मोक्ष स्थली को देखने भी आते हैं. भीषण गर्मी, कड़कती ठंड, मूसलादार बारिश और तो और बाढ़ में भी यहां 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं. अमूमन रोजाना लगभग 250 से अधिक शवदाह यहां पर होता है. इसके साथ ही लगभग 5,000 से अधिक यहां शव यात्री होते हैं. महाशिवरात्रि पर भी लगभग एक लाख श्रद्धालु पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत व समापन इसी स्थान से करते हैं. योगी सरकार अब इस पूरे क्षेत्र को बृहद स्तर पर डेवलप करने की तैयारी में जुट गई है, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री के हाथों से 7 जुलाई को होगा.
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