वाराणसी: अपने आप में अनूठा और अद्भुत बनारस के मणिकर्णिका घाट पर स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर जिसकी झुकी हुई आकृति हर किसी को अचरज में डाल देती है. लगभग साढ़े 400 साल पुराने इस मंदिर का इतिहास अपने आप में बेहद ही अनूठा है. शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मंदिर को खुद अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके काशी की महिमा का वर्णन किया था, लेकिन अब जब यह मंदिर इतना पुराना हो गया है और इसके जीर्णोद्धार के लिए कुछ लोग प्रयासरत हैं और शिकायत बकायदा प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर की गई तो उस चिट्ठी के जवाब में वाराणसी नगर निगम की तरफ से कैसा रिस्पांस मिला जिसे पाकर खुद शिकायतकर्ता भी हैरान हैं.
दरअसल, वाराणसी के अति प्राचीन रत्नेश्वर महादेव मंदिर के जर्जर अवस्था होने की वजह से इसके किसी भी समय गिरने की आशंका के बीच इसकी मरम्मत को लेकर स्वागत काशी फाउंडेशन के संयोजक अभिषेक शर्मा ने मंदिर को सहेजने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर इसकी गुहार लगाई थी. उनके आवेदन पर उन्हें जवाब मिला है कि उक्त समस्या का समाधान कर दिया गया है.
अभिषेक शर्मा के फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि जुलाई में प्रधानमंत्री को रत्नेश्वर महादेव मंदिर को सहेजने के लिए एक पत्र लिखा था. इसके जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय से जो पत्र आया है. उसमें लिखा गया है कि आपकी शिकायत का निस्तारण कर दिया गया है. पत्र में रत्नेश्वर महादेव की जगह 16 महीने पहले की गई दूसरी शिकायत के निस्तारण की जानकारी दी गई है. यह शिकायत अस्सी स्थित छोटा नागपुर वाटिका की गली में डिटेल पर लगाने से संबंधित थी अभिषेक ने बताया कि जो शिकायत 16 महीने पहले की गई थी उसके जवाब में रत्नेश्वर महादेव मंदिर वाले सवाल के तौर पर रिस्पांस दिया गया है, जबकि रत्नेश्वर महादेव मंदिर के शिखर की मरम्मत और उसके रखरखाव संबंधी जानकारी उन्हें नहीं दी गई है.
यह मंदिर अति प्राचीन है और इसे काशी करवट के नाम से भी लोग जानते हैं, जबकि इसके पीछे का इतिहास यह है कि मंदिर को महारानी अहिल्याबाई होल्कर की दासी रत्नाबाई ने बनवाया था. जिसकी वजह से इन्हें रत्नेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है मंदिर 10 महीने पानी और मिट्टी में डूबा रहता है और 2 महीने ही इसका गर्भ गृह पानी से बाहर आता है. लगातार पानी में रहने और घाट के टेढ़ा होने की वजह से मंदिर भी झुकता जा रहा है और लगभग 9 डिग्री तक झुका हुआ यह मंदिर सभी को अचरज में डालता है, लेकिन लगभग 450 साल पुराने इस मंदिर की स्थिति और खराब हो रही है. इसकी देखरेख और इस मंदिर की मरम्मत की गुहार अभिषेक की तरफ से लगाई गई थी.
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