वाराणसीः मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना होता है. इस वर्ष मलेरिया से जंग जीतने व लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक नई शुरुआत की जा रही है. इसके तहत अब घर-घर जाकर मलेरिया के रोगियों को सर्च करके उनका इलाज किया जाएगा.
नए रणनीति के तहत अब होगा मलेरिया का उपचार
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके साथ ही जनपद वाराणसी में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है. इस वर्ष मलेरिया पर नियंत्रण करने के लिए खास रणनीति बनाई गयी है. उन्होंने बताया कि अब ग्रामीण क्षेत्र की समस्त आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर किट के माध्यम से मलेरिया की जांच करेंगी. पॉजिटिव आने पर उनका जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाएगा.
हर वर्ष अलग होती है थीम : सीएमओ ने बताया कि हर वर्ष इसकी थीम अलग होती है, इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम हैं. मलेरिया रोग के बोझ को कम करना और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करना. इस थीम का उद्देश्य वैश्विक उन्मूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने में नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना है.
विभाग की ओर से जंग जीतने की है पूरी तैयारी : जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे ने बताया कि आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा लोग मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे. इसके चलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है. एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फॉगिंग भी करायी जा रही है. इस कार्य में नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग सहयोग कर रहे हैं. बुखार ग्रसित सभी रोगियों की जांच के लिए सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देशित किया गया है जिससे समय पर मलेरिया की पहचान कर मरीज को 14 दिन का उपचार दिया जा सके.
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कहां-कहां है सुविधा -
डीएमओ ने बताया कि मलेरिया की जांच की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी सीएचसी, पीएचसी पर उपलब्ध है. शासन के निर्देशानुसार अब आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर रोगी की पहचान कर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट आरडीटी किट से त्वरित जांच करेंगी. इसके लिए समस्त आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया गया है. जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर जल्द से जल्द रोगी का नि:शुल्क पूर्ण उपचार किया जाएगा.
कैसे होता है मलेरिया
मलेरिया मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है. मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आता है और बुखार छोड़ते वक्त पसीना होता है. समय पर दवा न मिलने पर रोगी अत्यधिक कमजोर हो जाता है.
कैसे करें बचाव
- मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए.
- आसपास दूषित पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए. साफ-सफाई रखनी चाहिए.
- बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
- सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है.
वेक्टर जनित संक्रामक रोग
मलेरिया का प्रसार मादा एनीफिलीस मच्छर के काटने से होता है. एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय लगता है. इस वजह से ही सप्ताह में एक बार एंटीलार्वा का छिड़काव किया जाता है. यदि किसी जलपात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें. जैसे कूलर, गमला, टीन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे की सफाई हमेशा करते रहना आवश्यक है.
पिछले पांच वर्षों में मलेरिया की स्थिति
बात करें जनपद में पिछले पांच वर्षों में मलेरिया की स्थिति की समीक्षा करें तो वर्ष 2017 में 406 रोगी पाये गए. वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2022 में 46, वर्ष 2021 में 164 और वर्ष 2022 में अब तक कुल 32 मलेरिया रोगी पाये गए हैं.
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