वाराणसीः काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने मंगलवार को गणतंत्र दिवस के अवसर से सपत्नीक अनशन की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि मंदिर प्रशासन द्वारा किए जा रहे सौतेले व्यवहार के कारण वो और उनकी नेत्र ज्योति खो चुकी पत्नी आमरण अनशन पर बैठ गयी है. पैतृक संपत्ति और मंदिर के विग्रह को बिना उनकी जानकारी के दिये जाने के सम्बंध में इस आमरण अनशन की शुरुआत हुई.
अंतिम सांस तक जारी रहेगा अनशन
डॉ. कुलपति ने बताया कि 26 जनवरी से शुरू हुआ ये आमरण अनशन उनकी अंतिम सांस तक जारी रहेगा. जिसमें वो और उनकी नेत्रहीन पत्नी शामिल है. उन्होंने कहा कि ये लड़ाई धर्म की लड़ाई है. अन्याय, अनीति और अधर्म जब अपने चरम पर पहुंच जाता है तो उसके खिलाफ आवाज उठानी ही पड़ती है.
मंदिर प्रशासन पर लगाया आरोप
डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि पैतृक आवास का जर्जर हिस्सा गिर जाने के कारण बाबा काशी विश्वनाथ की कई रजत मूर्तियां मलबे में दब गयीं. इसके साथ बाबा का सिंहासन और अन्य मूर्तियां भी क्षतिग्रस्त हो गयीं. जिसे एक कमरे में बंद कर दिया गया. उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हें, उनके चचेरे भाई और मंदिर प्रशासन को दे दी गयी है. इसके साथ ही कमरें की तीन चाबियां भी बनायीं. उन्हें सभी तीनों को दिया गया. ऐसे में डॉ. कुलपति का आरोप है कि बिना उनकी जानकारी के कुछ रजत प्रतिमाएं उनके भाई को दे दी गयीं. अन्नकुट पर भी बाबा की खण्डित चांदी की मूर्ति की पूजा के लिए बाध्य किया गया.
मंदिर के विग्रह हुए गायब
कुलपति तिवारी ने बताया कि मन्दिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने उनसे आशीर्वाद लेने के बहाने दो कॉरिडोर में स्थित दो मंदिर तोड़ने के लिए दस्तखत कराया और मन्दिर तोड़ दिया. मंदिर में रखे हुए विग्रहों की जानकारी नहीं दी. उन्होंने कहा कि जब इस बाबत उनसे पूछा गया तो उन्हें कहा गया कि इसके बदले उन्हें दो मन्दिर बनवा के दे दिए जाएंगे.
बाबा पर शासन कर रहा मंदिर प्रशासन
डॉ. कुलपति तिवारी ने काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिर प्रशासन को मंदिर की व्यवस्था, चढ़ावे और मंदिर के दर्शन करने वाले भक्तों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए न कि आप स्वयं बाबा पर शासन करिए. उन्होंने कहा कि मन्दिर प्रशासन बाबा पर आधिपत्य स्थापित करने की चेष्टा कर रहे है, मगर हम ऐसा नहीं होने देंगे.