वाराणसीः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर मैदान पर आयोजित हो रहे महानाट्य मंचन का रविवार को आखिरी दिन था. इस दौरान अलग-अलग जिलों से लोग इस नाटक को देखने के लिए काशी पहुंचे थे. महानाट्य में शामिल होने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पहुंचे. उनसे पहले राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी इस नाटक को देखने के लिए आई थीं. इस मौके पर केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि 'वाराणसी में 100 दिन में छत्रपति शिवाजी महाराज और आचार्य गोगाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने का काम किया जाएगा.'
जाणता राजा. इस नाटक की कहानी करीब 300 साल पहले की है. महाराष्ट्र ऐश्वर्य संपन्न था. यहां के घरों में ताले नहीं लगते थे. उस दौरान भारत पर पठानों का आक्रमण हुआ. अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना के साथ मराठाओं पर हमला कर देता है. हमले में पठानों की जीत होती है और देवगिरी हार जाता है. मुगलों ने जनता पर खूब जुल्म ढाए थे. उस दौरान जीजाबाई ने पराक्रम दिखाया और शिवाजी ने छत्रपति बनने तक का सफर तय किया था. बनारस में इसी नाटक का मंचन किया गया. 12 ट्रक सामानों के साथ करीब 200 कलाकार काशी पहुंचे. रोजाना करीब 7000 से अधिक लोगों ने इस मंचन को देखा. काशी से पूरी दुनिया को हिंदुत्व का संदेश दिया गया.
छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा होगी स्थापित
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि 'सेवा परमो धर्म: यानी सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है. सेवा भारती काशी प्रांत ने यहां पर देशभर से वो चाहे काशी के आस-पास के जिले हों, राज्य हों वहां से आने वाले तमाम मरीजों के लिए, उनके तीमारदारों के लिए सेवा केंद्र की स्थापना करने की बात की है. उसमें मेरा भी एक गिलहरी योगदान रहेगा. मैं बाकी सभी से आह्वान करता हूं कि सेवा केंद्र के निर्माण में अपना भरपूर योगदान दें. वाराणसी में 100 दिन में छत्रपति शिवाजी महाराज और आचार्य गोगाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने का काम हमारे महापौर की तरफ से किया जाएगा. ऐसा हमने उनसे आग्रह किया है कि इसको जल्दी से जल्दी पूरा कराएं.'
तीमारदारों के लिए बनेगा 5 मंजिला आवासीय भवन
आयोजकों का कहना है कि इस नाटक से होने वाली आय से बीएचयू कैंसर अस्पताल में 40 हजार वर्गफीट में तीमारदारों के लिए 5 मंजिला आवासीय भवन का निर्माण कराया जाएगा. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथिेयेटर मैदान में आयोजित हुए नाटक के लिए शुल्क निर्धारित किया गया था. नाटक मंचन के दौरान छत्रपति शिवाजी के दुर्ग में बैठने की व्यवस्था की गई. पल्हानगढ़ में बैठकर नाटक देखने का शुल्क 200 रुपये, तोरणगढ़ द्वारा का शुल्क 500 रुपये, विशालगढ़ द्वार का शुल्क 1000 रुपये और रायगढ़ द्वार का शुल्क 10,000 रुपये था. इस तरह से अलग-अलग द्वार के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया गया था.
6 दिन में 42000 से अधिक ने देखा मंचन
आयोजकों का कहना है, 'काशी हिन्दुत्व का बहुत बड़ा केंद्र है. अगर छत्रपति शिवाजी को नाट्यमंच के द्वारा भारत का हर व्यक्ति समझ ले तो वो देश विरोधी काम कभी कर ही नहीं सकता है. छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का एक-एक क्षण राष्ट्रभक्ति, सांस्कृतिक परंपरा और मूल्यों के लिए ही था. छत्रपति शिवाजी को हर भारतीय को पढ़ना, समझना और देखना चाहिए. इस महानाट्य मंचन को 21 नवंबर से शुरू किया गया था, जो 26 नवंबर को समाप्त हो रहा है.' उन्होंने बताया, 'प्रतिदिन शाम 5:30 बजे से लेकर 8:30 बजे तक तीन घंटे का नाट्यमंचन आयोजित हुए. 7000 लोग से अधिक लोग एकसाथ इस नाट्यमंचन को देख रहे थे. 6 दिन में 42,000 से अधिक लोगों ने नाटक को देखा है.'
अलग-अलग राज्यों से आए थे 200 कलाकार
नाटक के आयोजकों का कहना है, स्थानीय स्तर पर कलाकारों को चुना गया था. इसमें स्कूल के विद्यार्थी, शिक्षक और स्थानीय कलाकार शामिल थे. इसके साथ ही जाणता राजा महानाट्य में अभिनय करने के लिए 200 अन्य कलाकार काशी पहुंचे थे. इसमें ग्वालियर, मुंबई, पुणे, इंदौर, सूरत सहित कई राज्यों के कलाकार शामिल हैं. ये सभी प्रोफेशनल कलाकार हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि वे नि:शुल्क इस नाटक में अभिनय करते हैं. इन कलाकारों में इंजीनियर, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशे से जुड़े लोग शामिल रहते हैं. आयोजकों का कहना है कि करीब तीन घंटे तक कलाकार रिकॉर्डेड संवादों के साथ अभिनय करते हैं.
हिन्दुत्व का एक बहुत बड़ा केंद्र है काशी
सभी को पता है काशी देश की सांस्कृतिक राजधानी है. इसके साथ ही हिन्दुत्व का एक बहुत बड़ा केंद्र भी है. जहां से छत्रपति शिवाजी का भी गहरा नाता रहा है. उन्हें के जीवन से जुड़ा जाणता राजा नाटक काशी में आयोजित किया गया. इसके लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर मैदान पर शिवाजी राजे का भव्य किला तैयार किया गया. इस किले में जाणता राजा नाटक का मंचन किया गया. जाणता राजा महानाट्य का शुभारंभ 21 नवंबर को तुलजा भवानी की आरती के साथ शुरू किया गया था. तुलजा भवानी की भव्य प्रतिमा काशी लाई गई. काशी से एक हिन्दुत्व की धार बही, जिससे पूरी दुनिया को राष्ट्रीयता और हिन्दुत्व का संदेश गया.
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