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काम खत्म कर मशीनें लौटी वापस, कुछ यूं पूरा हुआ विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट

विश्वनाथ धाम में काम खत्म कर मशीनें लगभग वापस लौट रही हैं. कार्यदाई संस्था ने विश्वनाथ मंदिर, प्रशासन को हैंडोवर कर दिया है. 2019 से लेकर अब तक कई बार बढ़ाई गई प्रोजेक्ट पूर्ण होने की डेडलाइन आखिरकार अपने विराम तक पहुंच गई. तो आईए जानते हैं विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट को पूरा होने में कितना वक्त लगा और कैसे हुआ पूरा.

कुछ यूं पूरा हुआ विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट
कुछ यूं पूरा हुआ विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट
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Published : Dec 11, 2021, 1:10 PM IST

वाराणसी: 8 मार्च 2019 वह दिन जब विश्वनाथ कॉरिडोर की पहली ईट रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भव्य कॉरिडोर के निर्माण की शुरुआत की थी. 2019 में इस कॉरिडोर के निर्माण की शुरुआत के साथ ही वह अद्भुत काम भी शुरू हुआ था, जिसका किसी को कभी अंदाजा भी नहीं था. विश्वनाथ धाम के भव्य रूप को निखारने के साथ ही इसमें मौजूद मंदिरों को संरक्षित करने से लेकर हर छोटे-छोटे कामों को परिपूर्णता के साथ पूरा किया गया और आज मंदिर प्रशासन ने कार्यदाई संस्था से इस पूरे विश्वनाथ धाम को अपने कब्जे में ले लिया है. यानी कार्य पूर्ण होने के बाद कार्यदाई संस्था ने मंदिर परिसर के साथ ही विश्वनाथ धाम को विश्वनाथ मंदिर प्रशासन को हैंड ओवर कर दिया है. जिसके बाद अब यहां पर 13 दिसंबर को होने वाले भव्य आयोजन की तैयारियों और सुरक्षा के इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं.


गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम

अगर विश्वनाथ धाम की बात की जाए तो यह वह स्थान है जो पहले सकरी गलियों में हुआ करता था. विश्वनाथ मंदिर का स्वर्ण शिखर बमुश्किल ही लोगों को दिखाई देता था. छोटे छोटे मकानों के बीच घिरे विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पहली बार सत्ता में आने के साथ ही विश्वनाथ मंदिर को बृहद रूप देने की तैयारी की. सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर विश्वनाथ मंदिर का विस्तारीकरण करने की योजना तैयार हुई.

विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के शिलान्यास के दिन का वीडियो(पुराना वीडियो)
कुछ यू बढ़ती गई डेडलाइन
हालांकि इस योजना को पूर्ण करने के लिए समय लगा और 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ धाम का लोकार्पण इस उम्मीद के साथ किया कि मंदिर का बृहद रूप जल्द देखने को मिलेगा. इसके लिए डेडलाइन तय हुई और 2020 मार्च के महीने में इस काम को पूर्ण करने के लिए तिथि निर्धारित हुई. खुद मुख्यमंत्री इस काम की निगरानी करने लगे, लेकिन कोविड-19 की पहली लहर ने इन उम्मीदों पर पानी फेरा और उम्मीदों पर पानी फेरने की वजह से डेड लाइन पर काम पूर्ण नहीं हो पाया.

कुछ यूं पूरा हुआ विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट
कुछ यूं पूरा हुआ विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट

हालांकि इसे फिर से बढ़ाया गया और नवंबर 2020 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर ने एक बार फिर से उम्मीदों पर पानी फेरते हुए सब काम को प्रभावित कर दिया. मंदिर विस्तारीकरण में लगे कई लेबर और अधिकारी कोविड-19 होने की वजह से इस प्रोजेक्ट से दूर हो गए, लेकिन बाबा विश्वनाथ की कृपा सभी पर बनी रहे और किसी को नुकसान नहीं पहुंचा.

काम खत्म कर मशीनें लौटी वापस
काम खत्म कर मशीनें लौटी वापस
समय के साथ बढ़ते गए मजदूर
काम समय पर पूरा हो इसलिए कोविड के बाद काम ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ी. अब 800 की जगह 1500 मजदूरों को लगाया गया. तीन की जगह चार शिफ्ट में काम शुरू कर दिया गया. अलग-अलग शिफ्ट में 1500 के बाद से 2000 मजदूरों को लगाकर काम की नई डेडलाइन मार्च 2021 रखी गई, लेकिन मार्च 2021 में भी काम पूर्ण नहीं हुआ तो नई डेडलाइन नवंबर की तय की गई. 30 नवंबर को मंदिर प्रशासन ने काम को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से 29 व 30 नवंबर को मंदिर को सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक के लिए बंद किया गया और 1 दिसंबर को पूरे दिन मंदिर को बंद करके मंदिर के शिखर को चमकाने के साथ ही मंदिर परिसर में मार्बल लगाने का काम पूर्ण किया गया.

गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम
गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम
10 दिसंबर तय थी हैंडओवर की डेडलाइन

काम धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था कि प्रधानमंत्री के एसपीजी टीम ने भी मंदिर परिसर को अपने सुरक्षा घेरे में लेना शुरू कर दिया. जिसके बाद मंदिर प्रशासन की तरफ से कार्यदाई संस्था को मंदिर हैंड ओवर करने के लिए 10 दिसंबर की डेडलाइन तय कर दी गई. 10 दिसंबर की रात 12:00 बजे से पहले कार्यदाई संस्था ने मंदिर प्रशासन को पूरा मंदिर परिसर हैंड ओवर कर दिया है. सिर्फ गंगा घाट के पर कुछ बचा हुआ कार्य अभी जारी है जो आज शाम तक पूर्ण कर लिया जाएगा.

10 दिसंबर तय थी हैंडओवर की डेडलाइन
10 दिसंबर तय थी हैंडओवर की डेडलाइन

कुल मिलाकर 33 महीने के बाद विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र में मशीनों की गड़गड़ाहट बंद हुई है. बाबा विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र का भव्य स्वरूप निखर कर सामने आ रहा है. कल तक 5000 स्क्वायर फीट एरिया में फैले विश्वनाथ मंदिर परिसर का क्षेत्र अब 50 हजार वर्ग मीटर में फैल गया है.

समय के साथ बढ़ते गए मजदूर
समय के साथ बढ़ते गए मजदूर
326 मकान टूटे, खत्म हुए कई मोहल्ले
वैसे हम आपको बता दें कि मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत कुल मिलाकर अब तक काशी खंड में वर्णित 27 मंदिर ऐसे सामने आए हैं जो मंदिर प्रशासन की तरफ से मंदिर विस्तारीकरण के लिए खरीदे गए 326 मकानों में से लगभग 51 मकानों के अंदर से निकले हैं. इतना ही नहीं 125 ऐसे मंदिर भी मिले हैं जो कितने पुराने हैं इनका कोई इतिहास ही नहीं है. इन मंदिरों को भी संरक्षित करते हुए इनकी भव्यता को निखार कर इन्हें पुनः स्थापित करने का काम भी मंदिर प्रशासन ने किया है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस कॉरिडोर को बनाने के लिए एक दो नहीं बल्कि कई मोहल्ले ही खत्म कर दिए गए. नीलकंठ, सरस्वती फाटक, लाहौरी टोला, ललिता घाट, मलिन बस्ती समेत कई मोहल्ले इसी कॉरिडोर के अंदर समा चुके हैं.




यह भी पढ़ें- बनारसी दीदी की चुनावी चौपाल: जानिए ऑटो चालकों के दिल का हाल

गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम
गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम

बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक

शायद यही वजह है कि अब तक देश का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कहा जाने वाला विश्वनाथ कॉरिडोर सरकार और भारतीय जनता पार्टी के लिए सम्मान का सवाल बना हुआ है. 2022 विधानसभा चुनावों से पहले एक तरफ जहां बीजेपी इस पूरे प्रोजेक्ट को विकास का सबसे बड़ा मॉडल बनाकर पेश करना चाह रही है, तो खुद पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पूरे आयोजन की निगरानी कर रहे हैं. यानी अब विश्वनाथ धाम सज-धज कर तैयार होने वाला है, अपने भव्य रूप के साथ लोगों के सामने आने के लिए.

वाराणसी: 8 मार्च 2019 वह दिन जब विश्वनाथ कॉरिडोर की पहली ईट रखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भव्य कॉरिडोर के निर्माण की शुरुआत की थी. 2019 में इस कॉरिडोर के निर्माण की शुरुआत के साथ ही वह अद्भुत काम भी शुरू हुआ था, जिसका किसी को कभी अंदाजा भी नहीं था. विश्वनाथ धाम के भव्य रूप को निखारने के साथ ही इसमें मौजूद मंदिरों को संरक्षित करने से लेकर हर छोटे-छोटे कामों को परिपूर्णता के साथ पूरा किया गया और आज मंदिर प्रशासन ने कार्यदाई संस्था से इस पूरे विश्वनाथ धाम को अपने कब्जे में ले लिया है. यानी कार्य पूर्ण होने के बाद कार्यदाई संस्था ने मंदिर परिसर के साथ ही विश्वनाथ धाम को विश्वनाथ मंदिर प्रशासन को हैंड ओवर कर दिया है. जिसके बाद अब यहां पर 13 दिसंबर को होने वाले भव्य आयोजन की तैयारियों और सुरक्षा के इंतजाम शुरू कर दिए गए हैं.


गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम

अगर विश्वनाथ धाम की बात की जाए तो यह वह स्थान है जो पहले सकरी गलियों में हुआ करता था. विश्वनाथ मंदिर का स्वर्ण शिखर बमुश्किल ही लोगों को दिखाई देता था. छोटे छोटे मकानों के बीच घिरे विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में पहली बार सत्ता में आने के साथ ही विश्वनाथ मंदिर को बृहद रूप देने की तैयारी की. सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर विश्वनाथ मंदिर का विस्तारीकरण करने की योजना तैयार हुई.

विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के शिलान्यास के दिन का वीडियो(पुराना वीडियो)
कुछ यू बढ़ती गई डेडलाइन
हालांकि इस योजना को पूर्ण करने के लिए समय लगा और 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ धाम का लोकार्पण इस उम्मीद के साथ किया कि मंदिर का बृहद रूप जल्द देखने को मिलेगा. इसके लिए डेडलाइन तय हुई और 2020 मार्च के महीने में इस काम को पूर्ण करने के लिए तिथि निर्धारित हुई. खुद मुख्यमंत्री इस काम की निगरानी करने लगे, लेकिन कोविड-19 की पहली लहर ने इन उम्मीदों पर पानी फेरा और उम्मीदों पर पानी फेरने की वजह से डेड लाइन पर काम पूर्ण नहीं हो पाया.

कुछ यूं पूरा हुआ विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट
कुछ यूं पूरा हुआ विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट

हालांकि इसे फिर से बढ़ाया गया और नवंबर 2020 तक इस काम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर ने एक बार फिर से उम्मीदों पर पानी फेरते हुए सब काम को प्रभावित कर दिया. मंदिर विस्तारीकरण में लगे कई लेबर और अधिकारी कोविड-19 होने की वजह से इस प्रोजेक्ट से दूर हो गए, लेकिन बाबा विश्वनाथ की कृपा सभी पर बनी रहे और किसी को नुकसान नहीं पहुंचा.

काम खत्म कर मशीनें लौटी वापस
काम खत्म कर मशीनें लौटी वापस
समय के साथ बढ़ते गए मजदूर
काम समय पर पूरा हो इसलिए कोविड के बाद काम ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ी. अब 800 की जगह 1500 मजदूरों को लगाया गया. तीन की जगह चार शिफ्ट में काम शुरू कर दिया गया. अलग-अलग शिफ्ट में 1500 के बाद से 2000 मजदूरों को लगाकर काम की नई डेडलाइन मार्च 2021 रखी गई, लेकिन मार्च 2021 में भी काम पूर्ण नहीं हुआ तो नई डेडलाइन नवंबर की तय की गई. 30 नवंबर को मंदिर प्रशासन ने काम को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से 29 व 30 नवंबर को मंदिर को सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक के लिए बंद किया गया और 1 दिसंबर को पूरे दिन मंदिर को बंद करके मंदिर के शिखर को चमकाने के साथ ही मंदिर परिसर में मार्बल लगाने का काम पूर्ण किया गया.

गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम
गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम
10 दिसंबर तय थी हैंडओवर की डेडलाइन

काम धीरे-धीरे आगे बढ़ ही रहा था कि प्रधानमंत्री के एसपीजी टीम ने भी मंदिर परिसर को अपने सुरक्षा घेरे में लेना शुरू कर दिया. जिसके बाद मंदिर प्रशासन की तरफ से कार्यदाई संस्था को मंदिर हैंड ओवर करने के लिए 10 दिसंबर की डेडलाइन तय कर दी गई. 10 दिसंबर की रात 12:00 बजे से पहले कार्यदाई संस्था ने मंदिर प्रशासन को पूरा मंदिर परिसर हैंड ओवर कर दिया है. सिर्फ गंगा घाट के पर कुछ बचा हुआ कार्य अभी जारी है जो आज शाम तक पूर्ण कर लिया जाएगा.

10 दिसंबर तय थी हैंडओवर की डेडलाइन
10 दिसंबर तय थी हैंडओवर की डेडलाइन

कुल मिलाकर 33 महीने के बाद विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र में मशीनों की गड़गड़ाहट बंद हुई है. बाबा विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र का भव्य स्वरूप निखर कर सामने आ रहा है. कल तक 5000 स्क्वायर फीट एरिया में फैले विश्वनाथ मंदिर परिसर का क्षेत्र अब 50 हजार वर्ग मीटर में फैल गया है.

समय के साथ बढ़ते गए मजदूर
समय के साथ बढ़ते गए मजदूर
326 मकान टूटे, खत्म हुए कई मोहल्ले
वैसे हम आपको बता दें कि मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत कुल मिलाकर अब तक काशी खंड में वर्णित 27 मंदिर ऐसे सामने आए हैं जो मंदिर प्रशासन की तरफ से मंदिर विस्तारीकरण के लिए खरीदे गए 326 मकानों में से लगभग 51 मकानों के अंदर से निकले हैं. इतना ही नहीं 125 ऐसे मंदिर भी मिले हैं जो कितने पुराने हैं इनका कोई इतिहास ही नहीं है. इन मंदिरों को भी संरक्षित करते हुए इनकी भव्यता को निखार कर इन्हें पुनः स्थापित करने का काम भी मंदिर प्रशासन ने किया है. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस कॉरिडोर को बनाने के लिए एक दो नहीं बल्कि कई मोहल्ले ही खत्म कर दिए गए. नीलकंठ, सरस्वती फाटक, लाहौरी टोला, ललिता घाट, मलिन बस्ती समेत कई मोहल्ले इसी कॉरिडोर के अंदर समा चुके हैं.




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गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम
गलियों से निकलकर सामने आया विश्वनाथ धाम

बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक

शायद यही वजह है कि अब तक देश का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट कहा जाने वाला विश्वनाथ कॉरिडोर सरकार और भारतीय जनता पार्टी के लिए सम्मान का सवाल बना हुआ है. 2022 विधानसभा चुनावों से पहले एक तरफ जहां बीजेपी इस पूरे प्रोजेक्ट को विकास का सबसे बड़ा मॉडल बनाकर पेश करना चाह रही है, तो खुद पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पूरे आयोजन की निगरानी कर रहे हैं. यानी अब विश्वनाथ धाम सज-धज कर तैयार होने वाला है, अपने भव्य रूप के साथ लोगों के सामने आने के लिए.

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