वाराणसी: विश्वनाथ मंदिर के महंत के आवास पर शुक्रवार को माता गौरा और बाबा के गौने की रस्म शुरू हो गई. इसमें महिलाओं ने खूब गाना- बजाना किया. शिव-पार्वती विवाह के उपरांत रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा और माता गौरा के गौना की रस्म उत्सव का क्रम शुक्रवार से टेढीनिम स्थित विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर आरंभ हो गया. महंत आवास पर गौरा के रजत विग्रह को संध्याबेला हल्दी लगाई गई. गौरा के विग्रह को तेल हल्दी की रस्म के लिए सुहागिनों और गवनहिरयों की टोली संध्या बेला में महंत आवास पहुंची.
शुक्रवार की शाम हुए इस उत्सव में ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच मंगल गीत गाते हुए महिलाओं ने गौरा को हल्दी लगाई. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो उठा. लोक संगीत के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का क्रम देर तक चला.
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गौरा के तेल-हल्दी की रस्म के लिए महंत डॉ. कुलपति तिवारी सानिध्य में संजीव रत्न मिश्र ने माता गौरा का शृंगार किया और अंकशास्त्री पं. वाचस्पति तिवारी के संयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रम शिवांजली के अंतर्गत अराधना सिंह, पुनीत पागल, सजय दूबे, प्रियंका पांडेय और रीता शर्मा ने शिव भजनों की प्रस्तुति की. इस बारे में महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि माता के गौने के पहले हल्दी तेल की रस्में बहुत महत्वपूर्ण होती है. यदि कोई कुंवारी कन्या या कुंवारा युवक माता गौरा को हल्दी तेल समर्पित करता है, तो उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
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