वाराणसी: बाबा विश्वनाथ से मां गंगा का मिलन करवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो सपना देखा था वह पूरा हो गया है. विश्वनाथ धाम सज-धज कर तैयार है और यहां लगातार भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. गेट नंबर वन यानी मणिकर्णिका और ललिता घाट के बीच से बनाए गए नए गंगा वाले रास्ते से भक्तों की भारी भीड़ हर रोज विश्वनाथ मंदिर में पहुंच रही है. लेकिन बहुत जल्द मां गंगा बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचने वाली हैं. मानसून के महीने की शुरुआत के साथ ही पहाड़ों पर होने वाली बरसात की वजह से गंगा का पानी तेजी से बढ़ने लगता है. जुलाई-अगस्त तक पानी अपने उच्चतम स्तर तक भी पहुंच जाता है. इसकी वजह से पिछली बार गंगा तट पर बनाए गए नवनिर्माण विश्वनाथ धाम का निचला स्तर पूरी तरह से जलमग्न हो गया था. कई दिनों के लिए काम भी प्रभावित हुआ था. इससे भक्तों को भी परेशानी हुई. लेकिन इस बार बाबा विश्वनाथ का धाम मां गंगा प्रभावित नहीं कर पाएंगी. बल्कि सिर्फ सीढ़ियों तक आकर ही गंगा रुक जायेंगी.
सीढ़ियों पर लगे पत्थर नहीं होंगे खराब
शशिकांत प्रजापति का कहना है कि गंगा सीढ़ियां चढ़ती हुई ऊपर तो आ जाएंगी, लेकिन मुख्य द्वार से लगभग 2 मीटर नीचे ही पानी रहेगा. इसके ऊपर यदि पानी आता भी है तब भी परिसर में प्रवेश नहीं करेगा. सीढ़ियों पर लगाए जा रहे लाल पत्थर और पूरे परिसर को लाल पत्थरों के संकुल से सजाने के बाढ़ का पानी सीढ़ियों से नीचे उतरने पर इन पत्थरों पर कितना असर पड़ेगा. इस बारे में प्रोजेक्ट मैनेजर का कहना है कि यह पत्थर विशेष केमिकल और पुरानी तकनीक के साथ लगाए जा रहे हैं. पत्थरों को मजबूती के साथ लगाया जा रहा है, ताकि बाढ़ की स्थिति में पानी आने के बाद भी इस पर कोई असर ना पड़े. यानी अगर इस बार बाढ़ का पानी विश्वनाथ धाम की सीढ़ियों तक आता भी है तो ना गंगा धाम में अंदर प्रवेश कर पाएंगी और न ही धाम में लगाए गए पत्थर या अन्य चीजों को कोई नुकसान होगा.
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