वाराणसी: दो महीने पहले बंद हुए वाराणसी दूरदर्शन के कार्यक्रमों के पुनः प्रसारण के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा. भाजपा कार्यकर्ता अरविंद मिश्रा ने पत्र के माध्यम से जल्द से जल्द दूरदर्शन वाराणसी का प्रसारण शुरू करने की बात प्रधानमंत्री से कही है.
भाजपा कार्यकर्ता अरविंद मिश्रा ने अपने पत्र में कहा है कि, काशी में साहित्य, संस्कृति और संगीत का अथाह भंडार है. यहां की गंगा जमुनी तहजीब इस शहर को दुनिया भर में अलग पहचान देती है. कला, नृत्य, साहित्य और दर्शन शहर के समृद्ध विरासत के गवाह हैं. यहां शिव और गंगा एक दूसरे के पर्याय हैं. इस शहर को जानने की दुनिया भर के लोगों में जिज्ञासा है. शिव तो नटराज है. यही वजह है कि काशी के मंदिरों में संगीत की पूजा होती है. बनारस के संगीत में सम्मोहन, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी, होली बनारस के संगीत की विरासत को समृद्ध करते हैं. इसलिए इस सबके प्रचार-प्रसार के लिए चैनल को जल्द से जल्द शुरू करने की आवश्यकता है.
सशक्त माध्यम रहा है दूरदर्शन वाराणसी
भूगोल के लिहाज से बनारस की लोकेशन यूनिक है. इतिहास और भूगोल बताता है कि यह शहर राजघाट से अस्सी की ओर बढ़ा और बसा. यहां हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध, जैन आदि के संप्रदाय के लोग आए और बस गए. समृद्ध पारंपरिक विरासत के चलते ही बनारस दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में शुमार है.
काशी में लघु भारत बसता है
यहां की संस्कृति और रहन-सहन दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करती है. इसी सांस्कृतिक विरासत को देश के सुदूर गांव में बैठे लोग तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम दूरदर्शन वाराणसी रहा है.
महीने भर से अधिक समय से बंद है दूरदर्शन वाराणसी
वाराणसी दूरदर्शन केंद्र से प्रसारण बंद होने के कारण बनारस एवं आस-पास से जुड़ी गतिविधियां सामाजिक, कला, संस्कृति, किसानों से जुड़े मुद्दे सरकार से जुड़ी योजनाएं एवं सरकार से जुड़ी गतिविधियों का प्रसारण नहीं हो पा रहा है.
भाजपा कार्यकर्ता अरविंद मिश्रा ने अपने पत्र में लिखा कि इस संसदीय सीट पर पूरी दुनिया की नजर बनी हुई है. ऐसे में वाराणसी दूरदर्शन से प्रसारण का बंद होना. काशी के लोगों के लिए एक बड़ा झटका और कष्ट है. काशी की सांस्कृतिक विरासत को गांव से आम जन तक पहुंचाने का जो माध्यम था. वह भी टूट रही है. समस्त काशी वासियों का अनुरोध है कि दूरदर्शन वाराणसी केंद्र सुबह 8:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे के बीच कम से कम 2 घंटे प्रसारण शुरू हो जाए. साथ ही इसे दूरदर्शन से जोड़ते हुए डीटीएच पर दिखाया जाए, जिससे यहां की सांस्कृतिक, शैक्षणिक, सामाजिक राजनीतिक एवं प्रशासनिक गतिविधियों का प्रसारण हो सके.