वाराणसीः सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के वेदविज्ञान-अनुसंधान केन्द्र द्वारा गुरुवार को 'विधिविज्ञानस्य वैदिक आधारः' विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया. आयोजित विशिष्ट व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में श्रीजगन्नाथ संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के धर्मशास्त्र विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्रसिद्ध धर्मशास्त्री प्रो. ब्रजकिशोर स्वाई ने भाग लिया. "विधिविज्ञानस्य वैदिक आधार:" विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि वस्तुतः यह विषय तीन विषयों में अर्थात वेद, मीमांसा शास्त्र और धर्मशास्त्र से सम्बन्धित है. जिसके अन्तर्गत आचार, व्यवहार, प्रायश्चित आदि तत्व समाहित हैं.
व्याख्यान के क्रम में उन्होंने पुत्रों के प्रकार की चर्चा करते हुए सम्पत्ति के अधिकार का विस्तृत विवेचना की. उन्होंने कहा कि वस्तुतः सम्बन्ध और अधिकार दोनों अलग-अलग विषय हैं. सामान्यतः कन्याएं माता का धन पाती हैं. किन्तु उनके अभाव में पुत्रों का अधिकार होता है. प्रोफेसर स्वाई ने कहा कि यदि स्त्री का सन्तानहीन रहते हुए निधन हो जाए तो वह धन पति को ही मिलता है.
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि वस्तुतः पति व पत्नी की सम्पत्तियों को अलग-अलग माना जाता है. पति के ऋण पत्नी को नहीं बांध सकते, किन्तु पत्नी का ऋण पति को ही चुकाना होगा है. कुछ विशेष परिस्थितियों में छूट का भी उल्लेख किया गया है. प्रोफेसर स्वाई ने कहा कि यदि स्त्री धन को पति, पुत्र, माता आदि जबरदस्ती लें या उपभोग करें तो उसे लौटाने का भी निर्देश प्राप्त होता है.
व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि शास्त्रों में सम्पूर्ण संबंधों और उनके सम्पत्तियों का विस्तृत विवेचन किया गया है. उसके उपयोग और अधिकार का वर्णन भी समाहित है. हमारे संस्कार और संस्कृति के आधार पर उस अधिकार को बताया गया है.