वाराणसी: सूर्य या चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन सनातन धर्म में ग्रहण का अलग ही महत्व है. ग्रहण लगने पर कई चीजों का खास ध्यान रखा जाता है. इसके धार्मिक पहलू भी हैं, जिसकी वजह से मंदिरों के कपाट ग्रहण लगने के 12 घंटे पूर्व ही बंद कर दिए जाते हैं. 26 दिसंबर यानी गुरुवार को विक्रम संवत 2076 का अंतिम सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है.
पौष कृष्ण अमावस्या को यह ग्रहण मूल नक्षत्र एवं धनु राशि पर लगेगा, जिसकी वजह से धनु राशि विशेष प्रभावित होगी. 26 दिसम्बर की सुबह 8:21 पर ग्रहण का स्पर्श काल होगा, जबकि 9:40 पर मध्यकाल और 11:14 पर मोक्ष होगा. लगभग 2 घंटे से ज्यादा वक्त के इस ग्रहण से पहले 25 दिसंबर की रात्रि 8:21 पर इसके सूतक काल की शुरुआत हो जाएगी. इसे ध्यान में रखते हुए वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य मंदिरों के कपाट 26 दिसंबर की सुबह 6:00 बजे से 11:25 बजे तक बंद रहेंगे.
हालांकि, 25 दिसंबर को होने वाली आरती अपने निर्धारित समय पर होगी. वहीं 25 दिसंबर को रात्रि श्रृंगार आरती व भोग आरती के साथ 26 दिसंबर को होने वाली मध्याह्न भोग आरती में बाबा विश्वनाथ को फलाहार का भोग लगाया जाएगा.
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इन स्थानों पर दिखेगा ग्रहण
ग्रहण को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि 26 दिसंबर को धनु राशि में 6 ग्रह सूर्य, चंद्रमा, बुध, गुरु, शनि एवं केतु उपस्थित होंगे. वे लोग जिनका जन्म धनु राशि के मूल नक्षत्र में है, उनके लिए यह ग्रहण फलदायी नहीं है. उन्हें यह ग्रहण बिल्कुल नहीं देखना चाहिए. ज्योतिषाचार्य के मुताबिक सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व इसका सूतक काल शुरू हो जाएगा. यह ग्रहण पूर्वी यूरोप, दक्षिण पूर्व एशिया, उत्तर पूर्व ऑस्ट्रेलिया, सोलोमन द्वीपसमूह, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी भाग, प्रशांत महासागर से लगे कुछ देशों और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा. इस वर्ष कुल पांच ग्रहण लगे, जिसमें तीन सूर्य और दो चंद्रग्रहण थे.
ग्रहण के दौरान रखें इन बातों का ध्यान
वैसे तो ग्रहण के सूतक काल शुरू होने के साथ ही खाना-पीना और शौच जाना पूर्णतया वर्जित होता है, लेकिन ग्रहण के स्पर्श काल से लेकर मोक्ष काल तक इन चीजों को पूर्णतया वर्जित रखना चाहिए. इसके साथ गर्भवती महिलाओं को विशेष तौर पर एक स्थान पर बैठकर भगवान का ध्यान एवं जप करना चाहिए और किसी भी तरह की फल सब्जी या किसी अन्य चीज को चाकू से नहीं काटना चाहिए. इसके अतिरिक्त ग्रहण काल के दौरान घर में मौजूद घी, तेल अचार व अन्य सामग्री में कुशा या तुलसी की पत्ती जरूर डालनी चाहिए. इससे ग्रहण के दौरान निकलने वाली निगेटिव रेज का प्रभाव कम होता है. भगवान का ध्यान और जप करना इस दौरान विशेष फलदायी माना जाता है.
राशियों पर यह पड़ेगा प्रभाव
- मेष- विश्वासघात
- वृषभ- प्रतिष्ठा में कमी
- मिथुन ग्रहों की स्थिति निराशाजनक
- कर्क- काम में तेजी आएगी
- सिंह- कार्यों में उदासीनता
- कन्या- किसी भी कार्य एवं व्यवसाय में निराशाजनक प्रदर्शन
- तुला- प्रगति की ओर अग्रसर होंगे
- वृश्चिक- लाभ में कमी
- धनु- विचारों में उग्रता दिखाई देगी
- मकर- विरोधी मजबूत होंगे
- कुंभ- धार्मिक गतिविधियों में आपकी रुचि बढेगी
- मीन- आरोग्य एवं सुख