आगरा: पड़ोसी देशों की सीमा पर निगरानी कर रहे भारतीय वायुसेना के फाइटर प्लेन (एयरक्राफ्ट) के क्रैश होने पर पायलट की भारतीय सीमा में अब सेफ लैंडिंग होगी. विंग कमांडर अभिनंदन के पाकिस्तानी सीमा में पैराशूट से लैंडिंग को लेकर आगरा के दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट (डीईआई) के डिपार्टमेंट ऑफ फुटवेयर एंड टेक्नोलॉजी ने एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) प्रयोगशाला के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था.
इसमें डीईआई के वैज्ञानिक प्रोफेसर डॉ. डीके चतुर्वेदी ने बॉर्डर पर किसी भी इमरजेंसी में एयरक्राफ्ट से इजेक्ट होने पर पायलट की भारतीय सीमा में सेफ लैंडिंग कराने को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस फुटवियर डिजाइन किया. इसका भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की एडीआरडीई प्रयोगशाला में ट्रायल हो रहा है. ट्रायल के रिजल्ट और AI लैस फुटवियर की टेक्नोलॉजी को लेकर प्रोफेसर डॉ. डीके चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. आइए, आगरा में बने विशेष शूज से भारतीय वायुसेना के फाइटर प्लेन के पायलटों की बॉर्डर पर इमरजेंसी के दौरान सेफ लैंडिंग के बारे में जानते हैं.
बता दें कि आगरा में भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) की प्रयोगशाला है. जहां पर लंबे समय से भारतीय वायुसेना, नौसेना और थल सेना के साथ ही ISRO के अलग अलग मिशन को लेकर पैराशूट समेत अन्य उपकरण तैयार किए जाते हैं.
एडीआरडीई प्रयोगशाला से जुड़कर किया पैराशूट डिजाइनिंग में काम : डीईआई के डिपार्टमेंट ऑफ फुटवेयर एंड टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. डीके चतुर्वेदी बताते हैं कि भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) में प्रयोगशाला है. सबसे पहले सन 1991-92 में वे पैराशूट डिजाइनिंग में एडीआरडीई की प्रयोगशाला से जुड़े थे.
तब कम्प्यूटर पर पूरा सिमुलेश करके ये देखते थे कि पैराशूट किस तरह से काम करेगा. अलग वर्किंग कंडीशन में और डिफरेंट एन्वॉयरमेंटल कंडीशन में कैसे वर्किंग करेगा? उन्होंने पैराशूट डिजाइनिंग में काम किया. आज आगरा की एडीआरडीई प्रयोगशाला में बने पैराशूट की दुनिया में पहचान बन चुके हैं. आगरा की एडीआरडीई प्रयोगशाला में बने अलग-अलग तरह के पैराशूट नई-नई डिजाइन में बनाये जा रहे हैं.
विंग कमांडर अभिनंदन की पाकिस्तान में लैंडिंग से आया आइडिया : डॉ. डीके चतुर्वेदी ने बताया कि जब उन्हें डीईआई के डिपार्टमेंट ऑफ फुटवेयर एंड टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष बनाया गया तो, दिमाग में 27 फरवरी 2019 की बात आयी. जब भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 से उड़ान भरकर कश्मीर में पाकिस्तानी सेना के एयरक्राफ्ट के घुसपैठ की निगरानी कर रहे थे.
सीमापार से पाकिस्तानी फाइटर प्लेन को कश्मीर में घुसपैठ से पहले विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तानी फाइटर जेट को खदेड़ा. उनका एयरक्राफ्ट क्रैश हुआ. मगर, उससे पहले ही विंग कमांडर अभिननंद वर्धमान एयरक्राफ्ट से इजेक्ट हो गए. मगर, वे पाकिस्तानी सीमा में उतरे. इससे हमने सोचा कि हम ऐसी डिवाइस बनाएं. जो भारतीय वायुसेना के फाइटर प्लेन से सीमा की निगरानी करने वाले पायलट किसी भी इमरजेंसी में यदि फाइटर प्लेन से इजेक्ट हो तो दूसरे देश की सीमा पर होने के बाद भी पायलट की भारतीय सीमा में सेफ लैंडिंग हो.
फुटवियर में टेक्नोलॉजी लैस करने की प्लानिंग : डीईआई के डिपार्टमेंट ऑफ फुटवेयर एंड टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. डीके चतुर्वेदी बताते हैं कि इस पर मंथन किया तो तय हुआ कि हर पायलट शूज पहनता है. इसलिए, शूज में ही टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाए. क्योंकि, यदि कोई स्मार्ट वियर बनाएंगे तो उसे अलग से पहनने पड़ते हैं. इसलिए, हमने फुटवियर में टेक्नोलॉजी से लैस करने की प्लानिंग की. जो पैराशूट को कंट्रोल करे. पायलट को सेफली भारतीय सीमा में लैंड कराए. ये हमारा परपज़ है. इस पर हम काम कर रहे हैं. जिसमें काफी हद तक सफल भी रहे हैं.
शूज ब्लूटूथ से पैराशूट करेगा संचार: डीईआई के डिपार्टमेंट ऑफ फुटवेयर एंड टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. डीके चतुर्वेदी बताते हैं कि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके फुटवियर में शर्किट्रीज डाल रहे हैं. जो ब्लू ट्यूथ से पैराशूट को कम्युनिकेट करेगी. आटो कंट्रोल करेगी. वहां की ट्रेजेक्ट्री को कंट्रोल करके जैसे ही पायलट किसी भी स्थिती में एयरक्राफट से इजेक्ट होगा तो पैराशूट खुलते ही एएआई की मदद से फुटवियर और पैराशूट वर्किंग में आएंगे. जो पायलट को भारतीय सीमा में सेफ लैंडिंग कराएंगे.
ट्रायल में मिल रही सफलता : दयालबाग डीम्ड यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ फुटवेयर एंड टेक्नोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. डीके चतुर्वेदी ने बताते हैं कि AI से फुटवियर को लैस करके अपना ट्रायल शुरू कर दिया है. इसमें हम अभी टॉय या प्रोटो टाइप की मदद से पैराशूट से प्रैक्टिकली सिम्युलेट कर रहे हैं. अभी हम सात और आठ मंजिल से ये ट्रॉयल कर रहे हैं. इसमें टॉय को शूज के साथ पैराशूट से ड्राप करते हैं तो कैसे पैराशूट की लैडिंग हो रही है. शूज और पैराशूट का भी कम्युनिकेशन कैसे हो रहा है. कैसे तय प्वॉइंट पर, टॉय की सेफ लैंडिग कराई जा रही है. इसका ट्रायल चल रहा है. जो सफल है.