वाराणसी: जनपद के रामनगर में भारत रत्न देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का पैतृक आवास स्थित है. शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1903 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय) नगर में हुआ था. प्रधानमंत्री पद के मात्र 18 माह के कार्यकाल में ही शास्त्री जी को और उनके सार्वजनिक जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाता है. संघर्ष मार्ग से गुजरते हुए सादगी पसंद और काशी के लाल ने विश्व पटल पर उत्कृष्ट व्यक्तित्व की छाप छोड़ी.
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रामनगर में स्थित है शास्त्री आवास
जय जवान-जय किसान का नारा देने वाले महान देशभक्त का पैतृक आवास रामनगर में स्थित है. पुराना रामनगर स्थित शास्त्री स्मृति संग्रहालय की म्यूजियम में सबसे पहले प्रवेश करते ही उनसे जुड़े तमाम यादों की फोटो गैलरी सजी हुई हैं. आगे बैठक कक्ष है और आंगन में उनकी पत्नी ललिता शास्त्री की प्रतिमा है. सारे कमरों को इस तरह सजाया गया है कि शास्त्री जी की याद दिलाता है और उनकी सादगी को दर्शाता है.
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सादगी उनकी पहचान है...
डॉक्टर सुभाष यादव ने बताया कि शास्त्री जी का सबसे पुराना और पुश्तैनी आवास है जिसको हम लोगों ने एक स्मृति संग्रहालय के रूप में विकसित किया है. उसमें जितने भी कमरे हैं उसके साथी जिस कमरे में हमलोग खड़े हैं इस कमरे को शास्त्री जी के जीवन पर चित्रित हर एक पहलू को पूरी तरह दर्शाया गया है. इसके ठीक पीछे शास्त्री जी का बैठका है, उसके साथ ही उनके धर्मपत्नी ललिता शास्त्री बिल्कुल उन्हीं की तरह थी. उनकी कुछ पुरानी वस्तुएं आज भी सम्भाल कर रखी गई है. शास्त्री जी का रसोईया उसी तर्ज पर विकास किया गया है, जिस तरह वह रखते थे. भारत के लोगों को स्मृति भवन देखना चाहिए और देश के महान नेता की सादगी से परिचित होना चाहिए.
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छात्रा सोनी साहनी ने बताया हम लोगों ने आज तक भारत के दूसरे प्रधानमंत्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में सुना था लेकिन आज उनके इस आवास को देखकर लगा कि लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में जितना हमने पढ़ा है सुना है, वह कम है. उनका यह भवन उनकी सादगी की मिसाल है.