वाराणसी: कोरोना काल ने हर आदमी की परेशानियां बढ़ा दी हैं. मजदूरों के लिए तो समस्याएं और भी बढ़ गई हैं. मजदूर हर दिन सुबह यही सोचकर मंडी आते हैं कि शायद उन्हें काम मिल जाएगा और इसके बदले सही मेहनताना भी मिल सकेगा. जिले में मजदूरों की मंडी में हर दिन चंद रुपयों में इन मजबूरों की मेहनत को तौला जाता है. मार्केट में मोलभाव कर लोग इन्हें मजदूरी के बदले तय रेट से काफी कम पैसे ही देते हैं.
राज मिस्त्री का रेट 575 से लेकर 620 रुपये है, वहीं 420 से 475 रुपये में लेबर काम करने जाते हैं. मगर जो ठेकेदार और अन्य लोग हैं वे 100 से 500 रुपये में ही मजदूर और राजमिस्त्री दोनों से काम कराना चाहते हैं.
सरकार की ओर से नहीं मिल रही मदद
मजदूर मंडियां यूं तो पूरे देश में ही लगती हैं, सभी जगह लॉकडाउन की वजह से हाल बदहाल हैं. वाराणसी की मजदूर मंडियों के मजदूरों का कहना है कि कोई भी मजदूरी का सही दाम नहीं देता है. सब यही सोचते हैं कि कम से कम दामों में दिहाड़ी करने वाले मजदूर मिल जाएं. मजदूर सरकारों से उम्मीद लगाए रहते हैं कि शायद कोई गुहार सुनेगा, लेकिन इनकी सुध लेने भी कोई नहीं पहुंचता है. लोगों का कहना है कि सरकारें इनके साथ महज छलावा ही करती हैं.
सही मेहनताना न मिलने से मजदूर परेशान
लॉकडाउन में मजदूर दर-दर भटकने को मजबूर हैं. इन मजदूरों का कहना है कि इन्हें तय रेट से कम पैसे दिए जा रहे हैं. काम की कमी होने की वजह से ये औने-पौने दामों पर काम करने को तैयार हो जाते हैं. दो जून की रोटी और गुजारे के लिए लोग 100-200 रुपये में भी मजदूरी कर रहे हैं.