वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आएंगे. इस दौरान वह रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर (Rudraksh Convention Center) का उद्घाटन भी करेंगे. जापान के सहयोग से बना रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर भारत-जापान के रिश्ते की नई कहानी लिख रहा है. कन्वेंशन सेंटर से जहां दोनों देशों की संस्कृति एक्सप्लोर हो रही है तो वहीं विश्व बंधुत्व की भावना भी विकसित हो रही है. यह कन्वेंशन सेंटर काशी की खूबसूरती को बढ़ाने के साथ साथ दोनों देशों की मैत्री संबंध को और प्रगाढ़ बनाएगा. वास्तविकता में वाराणसी में बने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर से भारत-जापान के अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर कितना असर पड़ेगा और इसका क्या लाभ होगा इसे लेकर ईटीवी भारत ने अंतरराष्ट्रीय संबंध पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों से बातचीत की.
वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के सनातन धर्म दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर हरिप्रसाद अधिकारी ने बताया कि भारत और जापान का संबंध बेहद पुराना संबंध है. 600 ई. पूर्व बुद्ध संप्रदाय के समय से भारत और जापान का संबंध है. इससे दिनप्रतिदिन दोनों देशों के संबंध में प्रगाढ़ता बढ़ी है. उन्होंने बताया कि आजादी के समय भी जापान ने भारत का सहयोग किया था, वर्तमान समय में नए रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर से इन दोनों देशों की मैत्री को लेकर के एक नया आगाज किया गया है, जो विश्व पटल पर भारत के नए स्वरूप की अलग कहानी बयां करेगा.
इसी क्रम में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर आनंद के त्यागी ने कहा कि काशी के रुद्राक्ष की संकल्पना एक अलग उद्देश्य के साथ की गई है. जिस तरीके से रुद्राक्ष का फल आम जनमानस के लिए फलीभूत करने वाला होता है, ठीक उसी प्रकार से वाराणसी का रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर भी भारत को फलीभूत करने वाला होगा. उन्होंने कहा कि जापान हमेशा से ही भारत का मित्र रहा है. हालांकि बीच में जरूर अन्य परमाणु शक्तियों के दबाव के साथ अन्य कारणों से भारत की जापान से थोड़ी दूरी जरूर बन गई थी, लेकिन वर्तमान सरकार के द्वारा नए प्रोजेक्ट के माध्यम से पुनः जापान के साथ जो मैत्री को प्रगाढ़ करने की कवायद की जा रही है. उसका भविष्य में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा. साथ ही इसका लाभ भारत को अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी मिलेगा.