वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की इस नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई. इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम भी बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. पीएम आवास पर हुई इस बैठक में सरकार ने ये बड़ा फैसला लिया है.
नई शिक्षा नीति का देशवाशियों ने किया स्वागत
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण फैसला है क्योंकि 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था. देशवासी इसका स्वागत करेंगे. उच्च शिक्षा में प्रमुख सुधारों में 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर)का लक्ष्य, एक से ज्यादा प्रवेश और एग्जिट का प्रावधान शामिल है. साथ ही पाठ्यक्रम, विषयों में और लचीलापन लाया जाएगा. नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं और देश के पारंपरिक ज्ञान पर विशेष ध्यान दिया गया है. 18 वर्ष की आयु तक आरटीई अनिवार्य किया गया है.
प्रमोद जैन ने कहा कि बदली हुई शिक्षा नीति में ट्रांसफर ऑफ क्रेडिट की सुविधा के लिए अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना की जाएगी. साथ ही मजबूत अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी. संबद्धता प्रणाली 15 वर्षों में चरणबद्ध स्वायत्तता के साथ महाविद्यालयों के लिए चरणबद्ध की जाएगी. साथ ही नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम बनाया जाएगा. एनईपी 2020 में वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिए जेंडर इंक्लूजन फंड स्पेशल एजुकेशन जोन की स्थापना पर जोर दिया गया है. नई नीति बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है.