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लॉकडाउन: काशी में भूखे लोगों का पेट भरने के लिए कुछ ऐसे जुटे हैं लोग

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Published : Mar 26, 2020, 7:21 PM IST

सम्पूर्ण देश में लॉगडाउन होने के बाद वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन और वाराणसी बस अड्डे पर बड़ी संख्या में मुसाफिर फंस गए हैं, जिन्हें दोनों वक्त का खाना पहुंचाने का काम जिला प्रशासन और विश्वनाथ मंदिर प्रशासन कर रहा है.

सामाजिक संस्थाओं ने पेट भरने का उठाया जिम्मा.
सामाजिक संस्थाओं ने पेट भरने का उठाया जिम्मा.

वाराणसी: कहते हैं कि काशी में कोई भूखा नहीं सोता और जब संकट आए तो काशी पूरे विश्व को रास्ता दिखाने का काम करती है. ऐसा ही इन दिनों महामारी कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए देश में घोषित हुए लॉकडाउन के दौरान भी देखने को मिल रहा है. पीएम मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा देश में की. इस दौरान सबसे बड़े संकट की स्थिति उन लोगों के सामने पैदा हो गई जो रोज कमाते रोज खाते थे. 21 दिनों तक इनके आगे दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

विश्वनाथ मंदिर प्रशासन लोगों को खिला रहा दो वक्त का खाना

ट्रेन और बसों के बंद होने से बड़ी संख्या में मुसाफिर रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर फंसे हैं. ऐसे लोगों तक मदद पहुंचाने और उनका पेट भरने के लिए जिला प्रशासन और विश्वनाथ मंदिर प्रशासन सामने आया है. रेलवे के साथ मिलकर पर रोजना 1,000 जरूरतमंदों का पेट भरने का जिम्मा विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र ने उठाया है.

विश्वनाथ मंदिर प्रशासन लोगों को खिला रहा दो वक्त का खाना.

वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन और वाराणसी बस अड्डे पर बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी है. यह लोग देश में लॉगडाउन होने से पहले अपने घरों को जाने के लिए यहां पहुंचे थे, लेकिन रात 12 बजे के बाद लॉकडाउन होने और उसके पहले ही ट्रेन और बसों के बंद हो जाने के कारण यहीं पर फंसे रह गए, जिसके बाद अब विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन दोनों वक्त का खाना पहुंचाने का काम कर रहा है.

सामाजिक संस्थाओं ने पेट भरने का उठाया जिम्मा

डिब्बों में खाना पैक कर जरूरतमंदों का पेट भरने का काम कई सामाजिक संस्थाओं को भी सौंपने की तैयारी की गई है. भारतीय रेल भी मुसाफिरों की मदद के लिए अपने वेटिंग रूम में रहने की जगह दे चुका है. कैंट रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर और स्टेशन मैनेजर आनंद मोहन भी इस दिशा में बड़ा प्रयास कर रहे हैं.

वाराणसी: कहते हैं कि काशी में कोई भूखा नहीं सोता और जब संकट आए तो काशी पूरे विश्व को रास्ता दिखाने का काम करती है. ऐसा ही इन दिनों महामारी कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए देश में घोषित हुए लॉकडाउन के दौरान भी देखने को मिल रहा है. पीएम मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा देश में की. इस दौरान सबसे बड़े संकट की स्थिति उन लोगों के सामने पैदा हो गई जो रोज कमाते रोज खाते थे. 21 दिनों तक इनके आगे दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

विश्वनाथ मंदिर प्रशासन लोगों को खिला रहा दो वक्त का खाना

ट्रेन और बसों के बंद होने से बड़ी संख्या में मुसाफिर रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर फंसे हैं. ऐसे लोगों तक मदद पहुंचाने और उनका पेट भरने के लिए जिला प्रशासन और विश्वनाथ मंदिर प्रशासन सामने आया है. रेलवे के साथ मिलकर पर रोजना 1,000 जरूरतमंदों का पेट भरने का जिम्मा विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र ने उठाया है.

विश्वनाथ मंदिर प्रशासन लोगों को खिला रहा दो वक्त का खाना.

वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन और वाराणसी बस अड्डे पर बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी है. यह लोग देश में लॉगडाउन होने से पहले अपने घरों को जाने के लिए यहां पहुंचे थे, लेकिन रात 12 बजे के बाद लॉकडाउन होने और उसके पहले ही ट्रेन और बसों के बंद हो जाने के कारण यहीं पर फंसे रह गए, जिसके बाद अब विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और जिला प्रशासन दोनों वक्त का खाना पहुंचाने का काम कर रहा है.

सामाजिक संस्थाओं ने पेट भरने का उठाया जिम्मा

डिब्बों में खाना पैक कर जरूरतमंदों का पेट भरने का काम कई सामाजिक संस्थाओं को भी सौंपने की तैयारी की गई है. भारतीय रेल भी मुसाफिरों की मदद के लिए अपने वेटिंग रूम में रहने की जगह दे चुका है. कैंट रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर और स्टेशन मैनेजर आनंद मोहन भी इस दिशा में बड़ा प्रयास कर रहे हैं.

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