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पूर्वांचल की राजनीति में विश्वनाथ कॉरिडोर बनने लगा बड़ा चुनावी मुद्दा, शुरू हुई सियासी खींचतान

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Published : Aug 19, 2021, 9:31 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर विपक्षियों की आंखों में खटक रहा है. एक तरफ योगी सरकार दिसंबर माह में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कर चुनावी मैदान में उतरना चाहेगी तो वहीं दूसरी तरफ 2022 विधानसभा चुनाव को देखते हुए विपक्षी अभी से ही इसे पूर्वांचल की राजनीति में बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने में लगे हुए हैं.

डिजाइन इमेज.
डिजाइन इमेज.

वाराणसी: 2022 के विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही हर राजनीतिक दल अपनी चुनावी चाल को अपने तरीके से चलने की तैयारी कर रहा है. बीजेपी विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ना चाह रही है तो अन्य पार्टियां जातिगत और धार्मिक आधार पर चुनावी खेल को आगे बढ़ाने में जुट गई हैं. बीजेपी के पास डबल इंजन की सरकार और विकास का एजेंडा सबसे महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि पूर्वांचल की 156 विधानसभा सीटों पर बीजेपी अपना दबदबा कायम रखना चाह रही है और पूर्वांचल की मेन धुरी वाराणसी है.

वाराणसी महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने की वजह से यहां पर 2014 से लेकर 2021 तक विकास की बयार बही है. दावे हैं कि काशी में हुए विकास के बल पर 2022 का विकास मॉडल तैयार कर चुनाव में जीत का शंखनाद होगा और सबसे महत्वपूर्ण होगा श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर है. 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से तैयार हो रहे इस कॉरिडोर के भव्य स्वरूप को बीजेपी 2021 दिसंबर तक तैयार कर उद्घाटन करने के बाद चुनाव में आगे बढ़ाने की तैयारी में है, लेकिन अब विपक्ष इसे विकास नहीं बल्कि विनाश की राजनीति करार देते हुए पूर्वांचल में विश्वनाथ धाम को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में जुट गया है.

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर राजनीति.

दरअसल, बीजेपी के विकास के दावों की हकीकत बसपा, सपा और कांग्रेस अपने तरीके से खोलने में जुटे हुए हैं. भ्रष्टाचार समेत अन्य आरोप लगाकर विकास के नाम पर विनाश की बात लगातार विपक्ष कर रहा है और अब जब पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के पूरा होने की डेट नजदीक है तो हर राजनीतिक दल विश्वनाथ कॉरिडोर को ही चुनावी मुद्दा बनाना चाह रहा है.

बसपा हुई कॉरिडोर के नाम पर हमलावर
यही वजह है कि काशी में ब्राह्मण सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने विश्वनाथ कॉरिडोर को विनाश करार देते हुए लोगों की भावना और धर्म से खिलवाड़ बताया है. अपने चुनावी भाषण में उन्होंने बीजेपी पर एक के बाद एक पलटवार किया और साफ कहा कि मंदिरों को तोड़कर कॉरिडोर बनाना कहीं से उचित नहीं है. बाबा विश्वनाथ के मंदिर के आसपास शिव कचहरी और अन्य मंदिर हुआ करते थे, जिसे बीजेपी ने विकास के नाम पर तोड़ दिया और बनारस के लोग चुप रहे, लेकिन अब इसका जवाब चुनावों में देना होगा.

कांग्रेस पहले से ही मुखर
वही कांग्रेस पहले से ही विश्वनाथ कॉरिडोर को मुद्दा बनाकर लगातार काशी में राजनीति कर रही है. कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में लोकसभा चुनाव लड़ चुके अजय राय लगातार विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर चल रहे कामों का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि एक के बाद एक मंदिर तोड़कर कॉरिडोर कहां बनता है. सच्चा विकास तब कहा जाता जब मंदिर भी मौजूद रहते और इसका भव्य रूप सामने आता.

PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
फिलहाल 2019 में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी और अब नवंबर 2021 तक इस काम को पूरा हो जाना है. माना जा रहा है कि दिसंबर में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे और 2022 विधानसभा चुनाव में यूपी की राजनीति में पूर्वांचल साधने के लिए विकास के सबसे बड़े मॉडल को पेश किया जाएगा. गुजरात में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण गुजरात मॉडल कितना यूपी मॉडल को पेश करेगा, लेकिन बीजेपी की इस प्लानिंग पर विपक्ष अभी से ही पानी फेरने पर लग गया है.

2017 के चुनाव में बीजेपी को मिली थी पूर्वांचल में बड़ी सफलता
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में पूर्वांचल का बड़ा रोल रहा, क्योंकि पूर्वांचल की उस वक्त की 156 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 106, सपा को 18, बसपा को 12, अपना दल 8, सुभासपा को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी 1 व अन्य को 3 सीटें मिली थीं. यही वजह है कि इस बार भी भारतीय जनता पार्टी विकास के नाम पर पूर्वांचल की अधिक से अधिक सीटें जीतने की जुगत में अभी से जुट गई है और विकास मॉडल के रूप में काशी में बन रहे श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को सबसे आगे लेकर चलना चाह रही है.

यह है कॉरिडोर
बता दें कि विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट 50,260 वर्ग मीटर एरिया क्षेत्र में फैला है. इसमें मुख्य रूप से 24 भवन बन रहे हैं. प्रोजेक्ट की लागत की बात करें तो ये 339 करोड़ की परियोजना है, जिसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है. यहां गंगा-व्यू कैफे, 3 मंजिला एम्पोरियम, फूड कोर्ट, दुकानें जिनमें से 1 आध्यात्मिक किताबों की दुकान होगी. वहीं एक वीआईपी गेस्ट हाउस, एक वैदिक केंद्र, एक टूरिस्ट सुविधा केंद्र, 3 यात्री सुविधा केंद्र और दो म्यूजियम भी होंगे.

वाराणसी: 2022 के विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही हर राजनीतिक दल अपनी चुनावी चाल को अपने तरीके से चलने की तैयारी कर रहा है. बीजेपी विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ना चाह रही है तो अन्य पार्टियां जातिगत और धार्मिक आधार पर चुनावी खेल को आगे बढ़ाने में जुट गई हैं. बीजेपी के पास डबल इंजन की सरकार और विकास का एजेंडा सबसे महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि पूर्वांचल की 156 विधानसभा सीटों पर बीजेपी अपना दबदबा कायम रखना चाह रही है और पूर्वांचल की मेन धुरी वाराणसी है.

वाराणसी महत्वपूर्ण इसलिए भी है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने की वजह से यहां पर 2014 से लेकर 2021 तक विकास की बयार बही है. दावे हैं कि काशी में हुए विकास के बल पर 2022 का विकास मॉडल तैयार कर चुनाव में जीत का शंखनाद होगा और सबसे महत्वपूर्ण होगा श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर है. 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से तैयार हो रहे इस कॉरिडोर के भव्य स्वरूप को बीजेपी 2021 दिसंबर तक तैयार कर उद्घाटन करने के बाद चुनाव में आगे बढ़ाने की तैयारी में है, लेकिन अब विपक्ष इसे विकास नहीं बल्कि विनाश की राजनीति करार देते हुए पूर्वांचल में विश्वनाथ धाम को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में जुट गया है.

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर राजनीति.

दरअसल, बीजेपी के विकास के दावों की हकीकत बसपा, सपा और कांग्रेस अपने तरीके से खोलने में जुटे हुए हैं. भ्रष्टाचार समेत अन्य आरोप लगाकर विकास के नाम पर विनाश की बात लगातार विपक्ष कर रहा है और अब जब पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर के पूरा होने की डेट नजदीक है तो हर राजनीतिक दल विश्वनाथ कॉरिडोर को ही चुनावी मुद्दा बनाना चाह रहा है.

बसपा हुई कॉरिडोर के नाम पर हमलावर
यही वजह है कि काशी में ब्राह्मण सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने विश्वनाथ कॉरिडोर को विनाश करार देते हुए लोगों की भावना और धर्म से खिलवाड़ बताया है. अपने चुनावी भाषण में उन्होंने बीजेपी पर एक के बाद एक पलटवार किया और साफ कहा कि मंदिरों को तोड़कर कॉरिडोर बनाना कहीं से उचित नहीं है. बाबा विश्वनाथ के मंदिर के आसपास शिव कचहरी और अन्य मंदिर हुआ करते थे, जिसे बीजेपी ने विकास के नाम पर तोड़ दिया और बनारस के लोग चुप रहे, लेकिन अब इसका जवाब चुनावों में देना होगा.

कांग्रेस पहले से ही मुखर
वही कांग्रेस पहले से ही विश्वनाथ कॉरिडोर को मुद्दा बनाकर लगातार काशी में राजनीति कर रही है. कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में लोकसभा चुनाव लड़ चुके अजय राय लगातार विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर चल रहे कामों का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि एक के बाद एक मंदिर तोड़कर कॉरिडोर कहां बनता है. सच्चा विकास तब कहा जाता जब मंदिर भी मौजूद रहते और इसका भव्य रूप सामने आता.

PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
फिलहाल 2019 में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वनाथ कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी और अब नवंबर 2021 तक इस काम को पूरा हो जाना है. माना जा रहा है कि दिसंबर में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन करेंगे और 2022 विधानसभा चुनाव में यूपी की राजनीति में पूर्वांचल साधने के लिए विकास के सबसे बड़े मॉडल को पेश किया जाएगा. गुजरात में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण गुजरात मॉडल कितना यूपी मॉडल को पेश करेगा, लेकिन बीजेपी की इस प्लानिंग पर विपक्ष अभी से ही पानी फेरने पर लग गया है.

2017 के चुनाव में बीजेपी को मिली थी पूर्वांचल में बड़ी सफलता
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में पूर्वांचल का बड़ा रोल रहा, क्योंकि पूर्वांचल की उस वक्त की 156 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 106, सपा को 18, बसपा को 12, अपना दल 8, सुभासपा को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी 1 व अन्य को 3 सीटें मिली थीं. यही वजह है कि इस बार भी भारतीय जनता पार्टी विकास के नाम पर पूर्वांचल की अधिक से अधिक सीटें जीतने की जुगत में अभी से जुट गई है और विकास मॉडल के रूप में काशी में बन रहे श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को सबसे आगे लेकर चलना चाह रही है.

यह है कॉरिडोर
बता दें कि विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट 50,260 वर्ग मीटर एरिया क्षेत्र में फैला है. इसमें मुख्य रूप से 24 भवन बन रहे हैं. प्रोजेक्ट की लागत की बात करें तो ये 339 करोड़ की परियोजना है, जिसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है. यहां गंगा-व्यू कैफे, 3 मंजिला एम्पोरियम, फूड कोर्ट, दुकानें जिनमें से 1 आध्यात्मिक किताबों की दुकान होगी. वहीं एक वीआईपी गेस्ट हाउस, एक वैदिक केंद्र, एक टूरिस्ट सुविधा केंद्र, 3 यात्री सुविधा केंद्र और दो म्यूजियम भी होंगे.

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