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जानिए...काशी के कोतवाल के कलेवर छोड़ने के पीछे का रहस्य - काल भैरव

काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव ने मंगलवार को बाबा काल भरैव ने मंगला आरती के दौरान अपना कलेवर छोड़ा. इससे पहले 14 वर्ष पूर्व में बाबा काल भैरव ने अपना कलेवर छोड़ा. माना जाता है कि, धरती को आपदा से बचाने के लिए बाबा काल भैरव अपना कलेवर छोड़ते हैं.

kashi kotwal baba kaal bhairav
काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव
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Published : Feb 26, 2021, 7:31 AM IST

वाराणसी: काशी की रक्षा करने वाले बाबा काल भैरव ने अपना कलेवर छोड़कर धरती को फिर से 50 वर्षों के बाद आपदा से बचाया. मंगलवार को बाबा काल भरैव ने मंगला आरती के दौरान अपना कलेवर छोड़ दिया. मान्यता है कि बाबा अपना कलेवर तभी छोड़ते है जब धरती पर आने वाले किसी बड़े आपदा को स्वयं के ऊपर लेते है. इससे पहले ये वाक्या 14 वर्ष पूर्व में सामने आया था.

kashi kotwal baba kaal bhairav
काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव
परंपराओं का अनोखा संगमकाशी क्षेत्र के रक्षक बाबा काल भैरव को काशी के कोतवाल की उपाधि दी गयी है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर के अवतार काल भैरव को स्वयं भगवान शिव ने काशी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है. पौराणिक काल से काशी में व्याप्त काल भैरव सदैव ही काशी को सभी आपदाओं से बचाते हैं. बाबा का कलेवर छोड़ना इस बात का प्रतीक है. ऐसे में मंगला आरती में कलेवर के छोड़ने के बाद मंदिर ढोल नगाड़ों की ध्वनि दुगनी हो गयी और पूरा मन्दिर परिसर हर हर महादेव के नारों से गूंज उठा.क्या होता है कलेवर बाबा काल भैरव को चोले के रूप में सिंदूर और चमेली के तेल के लेप लगाया जाता है. बाबा को नित्य ये चोला चढ़ाया जाता है. ऐसे में मान्यता है कि जब बाबा इस लेप का त्याग करते है तो धरती पर से कोई बड़ी विपदा टली जाती है. मंगलवार को कलेवर छोड़ने के बाद उसे लाल कपड़े में लपेटकर गंगा में विसर्जित किया गया.

वाराणसी: काशी की रक्षा करने वाले बाबा काल भैरव ने अपना कलेवर छोड़कर धरती को फिर से 50 वर्षों के बाद आपदा से बचाया. मंगलवार को बाबा काल भरैव ने मंगला आरती के दौरान अपना कलेवर छोड़ दिया. मान्यता है कि बाबा अपना कलेवर तभी छोड़ते है जब धरती पर आने वाले किसी बड़े आपदा को स्वयं के ऊपर लेते है. इससे पहले ये वाक्या 14 वर्ष पूर्व में सामने आया था.

kashi kotwal baba kaal bhairav
काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव
परंपराओं का अनोखा संगमकाशी क्षेत्र के रक्षक बाबा काल भैरव को काशी के कोतवाल की उपाधि दी गयी है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर के अवतार काल भैरव को स्वयं भगवान शिव ने काशी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है. पौराणिक काल से काशी में व्याप्त काल भैरव सदैव ही काशी को सभी आपदाओं से बचाते हैं. बाबा का कलेवर छोड़ना इस बात का प्रतीक है. ऐसे में मंगला आरती में कलेवर के छोड़ने के बाद मंदिर ढोल नगाड़ों की ध्वनि दुगनी हो गयी और पूरा मन्दिर परिसर हर हर महादेव के नारों से गूंज उठा.क्या होता है कलेवर बाबा काल भैरव को चोले के रूप में सिंदूर और चमेली के तेल के लेप लगाया जाता है. बाबा को नित्य ये चोला चढ़ाया जाता है. ऐसे में मान्यता है कि जब बाबा इस लेप का त्याग करते है तो धरती पर से कोई बड़ी विपदा टली जाती है. मंगलवार को कलेवर छोड़ने के बाद उसे लाल कपड़े में लपेटकर गंगा में विसर्जित किया गया.
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