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काशी हिंदू विश्वविद्यालय को मिली दस लाख रुपये की दानराशि, छात्रवृत्ति दी जाएगी - वाराणसी की ताजी खबर

काशी हिंदू विश्वविद्यालय को दस लाख रुपए की दानराशि मिली है. इस राशि से छात्रवृत्ति दी जाएगी. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को मिली दस लाख रुपये की दानराशि, दी जाएगी छात्रवृत्ति
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Published : Apr 28, 2023, 5:27 PM IST

वाराणसीः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में नई छात्रवृत्तियां शुरू होने जा रही हैं. इसके लिए 10 लाख रुपये का प्रतिदान मिल चुका है. यह छात्रवृत्ति एमए हिन्दी के एक छात्र और एक छात्रा को मेरिट के आधार पर दी जानी है. इस योजना का उद्देश्य मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियां स्थापित करना, आवश्यकतानुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना, शिक्षण व शोध के अवसरों में वृद्धि करना है.

बता दें कि प्रकाश पाण्डेय और अरुण पाण्डेय ने अपने माता-पिता की स्मृति में यह छात्रवृत्ति शुरू की है. इनके पिता का नाम स्व. पंडित गंगा रतन पाण्डेय और माता का नाम जगरानी पाण्डेय है. इस छात्रवृत्ति के लिए विश्वविद्यालय को 10 लाख रुपये का प्रतिदान दिया गया है. बता दें कि गंगा रतन पाण्डेय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्नातक व स्नातकोत्तर के छात्र रहे हैं.

इस बारे में पुराछात्र संबंध तथा यूनिवर्सिटी एडवांसमेंट के सलाहकार प्रो. रमेश चंद ने बताया कि एमए (हिन्दी) के एक छात्र तथा एक छात्रा को मेरिट एवं आर्थिक स्थिति के आधार पर यह छात्रवृत्ति प्रदान की जाएंगी. इस योजना का उद्देश्य मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियां स्थापित करना, आवश्यकतानुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना, शिक्षण व शोध के अवसरों में वृद्धि करना तथा शोध व शिक्षण में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना है.

महामना के शिष्य थे पंडिय गंगा रतन
उन्होंने बताया कि वर्ष 1942 में एमए हिन्दी में पढ़ाई करते हुए गंगा रतन पाण्डेय देश के स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय रहे. भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा. वे महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विश्वस्त शिष्य भी थे. रमेश चंद ने बताया कि गंगा रतन पाण्डेय ने विश्वविद्यालय के लिए सहयोग एकत्रित करने की गतिविधियों में भी सहभागिता की.

प्रतिष्ठित साहित्यकार थे गंगा रतन पाण्डेय
गंगा रतन पाण्डेय प्रतिष्ठित साहित्यकार थे. उन्होंने हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह अंग्रेज़ी भाषा के भी धनी थे. उन्होंने अपनी दो हिन्दी की रचनाओं का अंग्रेजी रूपांतरण भी किया. इसके साथ ही सात अन्य अंग्रेजी के ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद किया. गंगा रतन पाण्डेय ने हिन्दी गद्य में कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध, इतिहास और पद्य में गीत, गज़ल, छन्द, सोरठा, दोहा, चौपाई आदि विधाओं में विभिन्न ग्रन्थों की रचना की.

2022 में शुरू हुई थी योजना की शुरुआत
प्रो. रमेश चंद ने बताया कि कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने वर्ष 2022 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में प्रतिदान योजना की शुरुआत की थी. प्रतिदान योजना के तहत प्राप्त योगदान से विश्वविद्यालय ने अनेक नई छात्रवृत्तियां स्थापित की हैं. इसी के साथ ही स्व. पंडित गंगा रतन पाण्डेय और जगरानी पाण्डेय के नाम पर भी छात्रवृत्ति शुरू की जा रही है, जिसके लिए विश्वविद्यालय को 10 लाख रुपये का प्रतिदान मिला है.

ये भी पढ़ें: अतीक का पाकिस्तान कनेक्शन, अशरफ करता था आतंकी ट्रेनिंग के लिए युवाओं का माइंडवॉश !

वाराणसीः काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में नई छात्रवृत्तियां शुरू होने जा रही हैं. इसके लिए 10 लाख रुपये का प्रतिदान मिल चुका है. यह छात्रवृत्ति एमए हिन्दी के एक छात्र और एक छात्रा को मेरिट के आधार पर दी जानी है. इस योजना का उद्देश्य मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियां स्थापित करना, आवश्यकतानुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना, शिक्षण व शोध के अवसरों में वृद्धि करना है.

बता दें कि प्रकाश पाण्डेय और अरुण पाण्डेय ने अपने माता-पिता की स्मृति में यह छात्रवृत्ति शुरू की है. इनके पिता का नाम स्व. पंडित गंगा रतन पाण्डेय और माता का नाम जगरानी पाण्डेय है. इस छात्रवृत्ति के लिए विश्वविद्यालय को 10 लाख रुपये का प्रतिदान दिया गया है. बता दें कि गंगा रतन पाण्डेय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्नातक व स्नातकोत्तर के छात्र रहे हैं.

इस बारे में पुराछात्र संबंध तथा यूनिवर्सिटी एडवांसमेंट के सलाहकार प्रो. रमेश चंद ने बताया कि एमए (हिन्दी) के एक छात्र तथा एक छात्रा को मेरिट एवं आर्थिक स्थिति के आधार पर यह छात्रवृत्ति प्रदान की जाएंगी. इस योजना का उद्देश्य मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्तियां स्थापित करना, आवश्यकतानुसार आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना, शिक्षण व शोध के अवसरों में वृद्धि करना तथा शोध व शिक्षण में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना है.

महामना के शिष्य थे पंडिय गंगा रतन
उन्होंने बताया कि वर्ष 1942 में एमए हिन्दी में पढ़ाई करते हुए गंगा रतन पाण्डेय देश के स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय रहे. भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होने के चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा. वे महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के विश्वस्त शिष्य भी थे. रमेश चंद ने बताया कि गंगा रतन पाण्डेय ने विश्वविद्यालय के लिए सहयोग एकत्रित करने की गतिविधियों में भी सहभागिता की.

प्रतिष्ठित साहित्यकार थे गंगा रतन पाण्डेय
गंगा रतन पाण्डेय प्रतिष्ठित साहित्यकार थे. उन्होंने हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह अंग्रेज़ी भाषा के भी धनी थे. उन्होंने अपनी दो हिन्दी की रचनाओं का अंग्रेजी रूपांतरण भी किया. इसके साथ ही सात अन्य अंग्रेजी के ग्रन्थों का हिन्दी में अनुवाद किया. गंगा रतन पाण्डेय ने हिन्दी गद्य में कहानी, नाटक, उपन्यास, निबंध, इतिहास और पद्य में गीत, गज़ल, छन्द, सोरठा, दोहा, चौपाई आदि विधाओं में विभिन्न ग्रन्थों की रचना की.

2022 में शुरू हुई थी योजना की शुरुआत
प्रो. रमेश चंद ने बताया कि कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने वर्ष 2022 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में प्रतिदान योजना की शुरुआत की थी. प्रतिदान योजना के तहत प्राप्त योगदान से विश्वविद्यालय ने अनेक नई छात्रवृत्तियां स्थापित की हैं. इसी के साथ ही स्व. पंडित गंगा रतन पाण्डेय और जगरानी पाण्डेय के नाम पर भी छात्रवृत्ति शुरू की जा रही है, जिसके लिए विश्वविद्यालय को 10 लाख रुपये का प्रतिदान मिला है.

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