वाराणसी: महाकाल की नगरी काशी जहां छोटे-छोटे त्यौहार भी उत्साह के साथ मनाया जाते हैं, जिसकी दुनिया में एक अलग ही पहचान बनी हुई है. वहां पर महापर्व देव दीपावली के लिए लोगों के अंदर एक अलग ही उत्साह दिखाई देता है, लेकिन इस बार काशी में देव दीपावली को लेकर थोड़ी संशय की स्थिति बनी हुई थी.
कोविड-19 की वजह से नियमों में बंधकर होने वाले आयोजनों और परंपरा के टूटने की कड़ी के क्रम में लोग इस बात को लेकर परेशान थे कि क्या देव दीपावली का आयोजन होगा ? हालांकि अब उत्तर प्रदेश सरकार ने देव दीपावली की भव्यता को पुराने रूप में कायम रखते हुए अयोध्या की तर्ज पर इसे मनाए जाने की अनुमति दे दी है. जिसके बाद बनारस में देव दीपावली की वजह से उठने वाले पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों के चेहरे खिल गए हैं.
देव दिवाली के लिए तैयारियां शुरू
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से देव दीपावली की अनुमति मिलने के बाद वाराणसी प्रशासन तैयारियों में जुटा है. खुद कमिश्नर दीपक अग्रवाल इसकी निगरानी कर रहे हैं. फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि दीपावली की भव्यता पुराने रूप में कायम रहेगी और हर साल से बड़ा आयोजन इस साल होगा. मुख्य आयोजन राजघाट पर होगा. जहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ राज्यपाल शिरकत करेंगी. फिलहाल तैयारियां जोरों पर हैं. जिसको देखते हुए अब बनारस पर्यटन उद्योग से जुड़े तमाम लोगों को काफी उम्मीदें जगी हुई हैं.
टूरिस्ट वीजा की परमिशन नहीं
देव दीपावली बनारस की जीडीपी के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसकी बड़ी वजह यह है कि इस मौके पर बनारस ही नहीं बल्कि देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानियों का आना होता है. हालांकि इस बार सरकार ने कोविड-19 की वजह से टूरिस्ट वीजा की परमिशन नहीं दी है. जिसकी वजह से इंटरनेशनल टूरिस्ट तो बनारस नहीं आ सकेंगे, लेकिन दूसरे राज्यों से ऑल लोकल लेवल पर सैलानियों के आने की उम्मीद बढ़ गई है. जिसे लेकर होटल इंडस्ट्री काफी आशान्वित हैं.
होटल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट गोकुल शर्मा का कहना है की हर साल अब तक होटलों के सारे कमरे बुक हो चुके होते थे. इस बार हालात वैसे तो नहीं है, लेकिन सरकार की तरफ से देव दीपावली की अनुमति मिलने के बाद अब स्थितियां सुधर रही हैं. बुकिंग आनी शुरू हो गई हैं और लगन का साथ होने की वजह से होटल कारोबार एक बार फिर से दीपावली के मौके पर कोविड-19 की बदहाली के बाद उठने को तैयार है.
आयोजन समिति ने शुरू की तैयारियां
शासन से देव दीपावली की अनुमति मिलने के बाद अब केंद्रीय देव दीपावली समिति भी तैयारियों में जुट गई है. हालांकि आयोजकों का कहना है कि समय कम बचा है और काम ज्यादा है. अयोध्या में कुछ गिने-चुने घाट हैं. जिसकी वजह से वहां पर कम समय में आयोजन करना संभव हो जाता है, लेकिन बनारस में यदि अयोध्या के तर्ज पर आयोजन होंगे तो उसके लिए अब समय नहीं बचा है. सरकार को भी आयोजन समितियों का पूरा साथ देना होगा. तब जाकर भव्यता दिखाई देगी, क्योंकि वहां साढ़े पांच लाख से छह लाख दीये जले थे और काशी में 11 लाख से ज्यादा दीये जलते हैं. 84 घाटों की साफ-सफाई से लेकर दीया जलाने की व्यवस्था करना अपने आप में बड़ा चैलेंज है.
गंगा पुत्र भी खुश
उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से देव दीपावली आयोजन की अनुमति मिलने के बाद एक तरफ जहां होटल कारोबारी और बनारस पर्यटन से जुड़े छोटे-मोटे व्यापारी उम्मीद लगाए बैठे हैं. वहीं सबसे ज्यादा उम्मीद बनारस में गंगा पुत्र कहे जाने वाले नाविकों को है, क्योंकि हर साल लगभग 7 से 8 महीने पहले से ही नावों की बुकिंग होनी शुरू हो जाती थी. गंगा की गोद से घाटों पर जलने वाले दीये को निहारने के लिए विश्व पटल से आने वाले लोगों की भीड़ बहुत ज्यादा होती हैं. हालांकि इस बार अब तक बुकिंग की वह स्थिति तो नहीं दिख रही है, लेकिन नाविकों का कहना है कि अब उम्मीद है कि नावे फिर से गंगा में उतरेंगी और देव दीपावली से हमारी बदहाल स्थिति फिर से सुधर जाएंगी. कुछ बुकिंग आई है और कुछ लोग पूछताछ कर रहे हैं फिलहाल स्थिति सुधरने की पूरी उम्मीद है.
पर्यटन उद्योग को लगेंगे नए पंख
देव दीपावली आयोजन की अनुमति मिलने के बाद बनारस के पर्यटन उद्योग को नए पंख लगने की उम्मीद है, क्योंकि बनारस का अधिकांश कारोबार पर्यटन पर ही निर्भर है. कोविड-19 की वजह से पर्यटकों के ना आने के कारण पर्यटन उद्योग से जुड़े तमाम लोगों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. हालांकि अब उम्मीद है कि देव दीपावली पर जब एक बार फिर से भव्यता से आयोजन की अनुमति मिली है. तब बनारस में पर्यटकों की आमद भी शुरू होगी और बदहाल स्थिति फिर से सुधरने लगेगी.