वाराणसी: मोक्ष की नगरी काशी जहां मोक्ष के लिए देश दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं. मोक्ष के घाट मणिकर्णिका पर लोग अपनों का दाह संस्कार करते हैं. साथ ही दूसरी जगह दाह संस्कार के बाद अपनों की अस्थियां लेकर विसर्जन के लिए लोग पहुंचते हैं. इस पवित्र स्थान का महत्व इतना ज्यादा है कि इस जगह को साक्षात भगवान शंकर की मौजूदगी का स्थान माना जाता है. पीएम मोदी के इस संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक तरफ विकास की बयार बह रही है. वहीं मोक्ष देने वाला यह घाट अभी भी अपने मुक्ति की राह तलाश रहा है.
मणिकर्णिका कायाकल्प का प्लान
मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. लेकिन सुविधाओं के नाम पर यहां न बैठने की जगह है और ना ही चलने के लिए साफ सुथरी सड़क है. हालात इतने बुरे हैं कि यहां शवों को जलाने के लिए प्लेटफार्म तक मौजूद नहीं है. यह हालत कब सुधरेंगे यह नहीं पता, लेकिन कागजों में बन रहे मणिकर्णिका कायाकल्प का प्लान 2014 के बाद से ही फाइलों में दौड़ रहा है. लेकिन हकीकत में यह धरातल पर कब दिखाई देगा यह किसी को पता नहीं है.
घाट के लिए लंबा चौड़ा प्लांट तैयार
दरअसल वाराणसी का मणिकर्णिका घाट सबसे महत्वपूर्ण घाटों में से एक माना जाता है. मणिकर्णिका घाट पर प्रतिदिन 100 से ज्यादा समूह का दाह संस्कार होता है. जिसमें सिर्फ वाराणसी ही नहीं बल्कि बनारस के आसपास के जिलों के अतिरिक्त बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड और देश के कई हिस्सों से लोग अपनों की अंत्येष्टि के लिए डेड बॉडी को लाते हैं. बनारस के इस घाट को संवारने का प्लान कई सालों से बनाया जा रहा है. हाल ही में मणिकर्णिका घाट के लिए लंबा चौड़ा प्लांट तैयार हुआ है. नागर शैली में तारकेश्वर महादेव मंदिर तक 3 मंजिला और तारकेश्वर महादेव से दत्तात्रेय पादुका तक घाट के निर्माण का प्लान तैयार किया गया है. जिसके लिए मंदिरों के कायाकल्प का प्लान भी बनाया गया है. प्रधानमंत्री मोदी के हाथों इस प्लान के शिलान्यास की तैयारी भी की गई. लेकिन अभी तक यहां कुछ नहीं हुआ है.
प्लानर इंडिया के सीईओ ने बताया
णिकर्णिका घाट के पुनर विकास के लिए प्लानिंग और डिजाइन का काम करने वाली प्लानर इंडिया ने इस पूरे घाट का प्लान तैयार करके रखा है. प्लानर इंडिया के सीईओ श्याम लाल सिंह का कहना है कि 17 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से रूपा फाउंडेशन सीएसआर फंड से इस घाट के रेनोवेशन का काम करवाने के लिए तैयार है. जिसमें तमाम कार्य होने वाले हैं. यहां लकड़ी वालों के लिए जगह बनाने से लेकर दाह संस्कार स्थल को आधुनिक तरीके से बनाकर गंगा को ऊपर लाकर शवों के अंतिम स्नान के लिए एक प्लेटफार्म बनाए जाने की भी योजना है. इसके अलावा शौचालय में बैठने की व्यवस्था और प्रतीक्षालय समेत सब कुछ तैयार होना है. लेकिन यह सब कब होगा यह नहीं पता है.
सीएसआर फंड कंपनी से भी नहीं बढ़ा काम
वहीं 2017 में भी मणिकर्णिका घाट को बेहतर तरीके से बनाने और यहां पर शवों के दाह संस्कार में लकड़ी की खपत को कम करने के लिए गोबर के उपले का प्रयोग किए जाने की तैयारी की गई थी. इस दौरान सोनभद्र की एक कंपनी सीएसआर फंड से काम करने के लिए आगे आई. लेकिन जिसके लिए डीपीआर तैयार करने तक ही मामला सिमट कर रह गया. इसके लिए एनसीएल को काम सौंपा गया था, लेकिन काम आगे ही नहीं बढ़ा और मणिकर्णिका का यह प्लान धरा का धरा रह गया.
घाटों की सीढ़ियां पक्का करने का प्लान
इसके बाद 2020 में मणिकर्णिका घाट को रेनोवेट करने का प्लान फिर से तैयार हुआ. जिसमें घाटों की सीढ़ियां पक्का करने से लेकर 14 नए प्लेटफार्म तैयार किए जाने की प्लानिंग शुरू हुई. इस दौरान यहां पर प्लेटफार्म बनाने के साथ सिर्फ लाल पत्थरों का एक स्ट्रक्चर बनकर ही घाट के स्वरूप को बदलने का काम किया गया. लेकिन इसके बाद यह काम रुका और फिर आगे ही नहीं बढ़ा सका.
बिरला धर्मशाला कचरे में बदली
वहीं, दूसरे देशों में बसे लोगों को उनके अपनों के दाह संस्कार को लाइव दिखाने के प्लान के तहत केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने 2018 में सुधांशु मेहता फाउंडेशन की तरफ से महाश्मशान पर कई सुविधाओं का लोकार्पण भी किया. केंद्रीय मंत्री ने मणिकर्णिका घाट पर कई सालों से बंद पड़ी बिरला धर्मशाला के रिनोवेशन के बाद इसका रिनोवेशन करने के साथ ही महाश्मशान लाइव की सुविधा भी उपलब्ध करवाई. जो समय के साथ ही बर्बाद हो गई और अब पूरी धर्मशाला ही कचरे में तब्दील हो चुकी है.
मणिकर्णिका का होगा रेनोवेशन
बड़ी बात यह है कि 2014 के बाद से लगातार मणिकर्णिका घाट के रेनोवेशन के दावे हो रहे हैं और प्लानिंग बनाई जा रही है. लेकिन कोई भी प्लान ऐसा तैयार नहीं हो रहा है. जिससे वास्तव में मणिकर्णिका की छवि बदल सके. हालत यह है कि तीर्थ के रूप में विकसित मणिकर्णिका घाट महाश्मशान बन चुका है. जबकि महाश्मशान जलासेन घाट के रूप में विकसित है जो काशी विश्वनाथ धाम से बिल्कुल सटा हुआ है. इस घाट के रेनोवेशन को लेकर प्लान पर प्लान तैयार हो रहे हैं और फाइलों पर फाइलें सिर्फ घूम रही हैं. लेकिन मणिकर्णिका वास्तव में कब अपने वास्तविक रूप में आएगा यह किसी को नहीं पता.
घाट के आस-पास कूड़े कचरे का लगा अंबार
वर्तमान में इस घाट के हालात बद से बदतर हैं. यहां पर बनाए गए शव दाह के प्लेटफार्म गंगा में आई बाढ़ के बाद पूरी तरह से टूट चुके हैं. 20 प्लेटफार्म में से कुछ गिने-चुने प्लेटफार्म ही बचे हैं, जो शव दाह के लिए ठीक हैं. बाकी पूरी तरह से बर्बाद हैं. मणिकर्णिका घाट के चारों तरफ कूड़े कचरे का अंबार लगा हुआ है और यहां पर सीवर का बहता पानी आने वाले लोगों की आस्था पर गहरी चोट पहुंचा रहा है. इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि मणिकर्णिका घाट की तरफ आने वाली सीवर लाइन विश्वनाथ धाम के निर्माण की वजह से बंद करनी पड़ गई और यहां पर एक चेंबर पर ही इतना ज्यादा लोड है कि सीवर सुबह शाम ओवरफ्लो होता रहता है. लोगों के शिकायत के बाद भी इसका निस्तारण नहीं हो पा रहा है और अधिकारी भी हाथ पैर हाथ धर कर बैठे हुए हैं.
रेनोवेशन के लिए मिल रही तारीख पर तारीख
इस बात को लेकर स्थानीय लोगों में भी काफी नाराजग है. यहां शव दाह करने आने वाले लोगों का भी कहना है की व्यवस्था के नाम पर यहां सिर्फ मजाक है. यहां न बैठने की जगह है और ना ही शव दाह करने का उचित और साफ सुथरा स्थान है. मोक्ष के घाट की यह हालत यहां आने वाले लोगों को व्यथित कर देती है. हालांकि इस मामले में अधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने फिर से मणिकर्णिका के कायाकल्प की बात करते हुए जल्द ही चीजों के बेहतर होने का दावा किया. हालांकि अब यह दावा कब तक सही साबित होगा, यह देखना होगा, लेकिन 2014 के बाद से मणिकर्णिका के रेनोवेशन के लिए सिर्फ तारीख पर तारीख मिल रही है.
यह भी पढ़ें-Holi 2023 : काशी में जलती चिताओं के बीच खेली होली, चिता भस्म के साथ उड़ते रहे गुलाल