वाराणसीः बीएचयू में इन दिनों जाणता राजा महानाट्य मंचन की तैयारी चल रही है. दरअसल, जाणता राजा की कहानी करीब 300 साल पहले की है. महाराष्ट्र ऐश्वर्य संपन्न था. यहां के घरों में ताले नहीं लगते थे. उस दौरान भारत पर पठानों का आक्रमण हुआ. अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना के साथ मराठाओं पर हमला कर देता. हमले में पठानों की जीत होती है और देवगिरी हार जाता है. मुगलों ने जनता पर खूब जुल्म ढाए थे. उस दौरान जीजाबाई ने पराक्रम दिखाया और शिवाजी ने छत्रपति बनने तक का सफर तय किया था. बनारस में इसी नाटक का मंचन होने जा रहा है. 12 ट्रक सामानों के साथ करीब 200 कलाकार काशी आ चुके हैं. रोजाना करीब 7000 लोग इस मंचन को देखेंगे. काशी से पूरी दुनिया को हिंदुत्व का संदेश जाएगा.
सभी को पता है काशी देश की सांस्कृतिक राजधानी है. इसके साथ ही हिन्दुत्व का एक बहुत बड़ा केंद्र भी है. जहां से छत्रपति शिवाजी का भी गहरा नाता रहा है. उन्हीं के जीवन से जुड़ा जाणता राजा नाटक काशी में आयोजित होने जा रहा है. इसके लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथिएटर मैदान पर शिवाजी महाराज का भव्य किला तैयार किया गया है. इस किले में जाणता राजा नाटक का मंचन किया जाएगा. जाणता राजा महानाट्य 21 नवंबर को तुलजा भवानी की आरती के साथ शुरू किया जाएगा. तुलजा भवानी की भव्य प्रतिमा भी काशी पहुंच गई है. काशी से एक हिन्दुत्व की धार बहेगी जो पूरी दुनिया को एक संदेश देगी.
छह दिन में 42000 लोग देखें महानाट्यमंचन
कार्यक्रम प्रचार प्रभारी प्रो ज्ञान प्रकाश मिश्रा बताते हैं, 'काशी हिन्दुत्व का बहुत बड़ा केंद्र है. अगर छत्रपति शिवाजी को नाट्यमंच के द्वारा भारत का हर व्यक्ति समझ ले तो वो देश विरोधी काम कभी कर ही नहीं सकता है. छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का एक-एक क्षण राष्ट्रभक्ति, सांस्कृतिक परंपरा और मूल्यों के लिए ही था. छत्रपति शिवाजी को हर भारतीय को पढ़ना, समझना और देखना चाहिए. इस महानाट्य मंचन को 21 नवंबर से शुरू किया जाएगा.' उन्होंने बताया, कि 'यह महानाट्यमंचन 26 नवंबर तक चलेगा. प्रतिदिन 5:30 बजे से लेकर 8:30 बजे तक तीन घंटे का नाट्यमंचन होगा. 7000 लोग एकसाथ इस नाट्य मंचन को एकसाथ देखेंगे. 6 दिन में 42,000 लोग मंचन देखेंगे.
'काशी के ब्राह्मणों ने किया था शिवाजी का राज्याभिषेक
वे बताते हैं कि 'पूर्वी उत्तर प्रदेश का लगभग सारा जिला इस महानाट्यमंचन को देखने के लिए आ रहा है. सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया से लेकर हर जिले में व्यापक स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार चल रहा है. यह बिल्कुल अलग ढंग का चलचित्र होगा. जब छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ था तो उस राज्याभिषेक में काशी के ब्राह्मणों ने ही राज्याभिषेक किया था. काशी से क्षत्रपति शिवाजी का बहुत पुराना रिश्ता है. काशी से ये महानाट्यमंचन के द्वारा देश ही नहीं पूरी दुनिया में ये संदेश जाएगा तो कि काशी धर्म नगरी, धर्म संस्कृति की एक नगरी है. यहां से भारत को हिंदुत्व, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का बड़ा संदेश जाता है.
'काशी से हिन्दुत्व को जगाने का होगा प्रयास
प्रो ज्ञान प्रकाश मिश्रा बताते हैं, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह संसदीय क्षेत्र है. आयोजन समिति यह प्रयास भी कर रही है कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी आमंत्रण भेजें. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसके उद्घाटन में रहेंगे.' वहीं मंच के लिए काम कर रहे त्रिलोकीनाथ ने कहा, 'काशी में छत्रपति शिवाजी महाराज के नाटक का मंचन होगा. इस नाटक के लिए तैयार होने वाले मंच में 15 से 20 दिन का समय लगेगा. इस नाटक के माध्यम से हिन्दुत्व को जगाने का एक प्रयास होगा जिस तरीके से शिवाजी महाराज ने हिन्दुत्व को जगाया था. वही हिंदवी स्वराज बनाएंगे. उसी को यहां काशी के लोगों को दिखाया जाएगा.
'किले के समान 60 फीट ऊंचा मंच, जीवंत होगा दृश्य
वही मंच तैयार करने वाले तकनीशियन त्रिलोकी नाथ ने बताया, 'सबसे खास बात ये है कि जैसे-जैसे लाइट बदलेगी मंच की डिजाइन बदलती जाएगी. इसके लिए दो टावर तैयार किए गए हैं, जो शो के हिसाब से घूमते रहेंगे. इसके साथ ही ऊंट, हाथी, घोड़ा भी रहेंगे. कलाकारों को मिलाकर के इस मंचन में 300 लोग काम कर रहे हैं.' नाटक के लिए किले के समान करीब 60 फीट ऊंचा मंच बनाया जा रहा है. इसमें राजदरबार, महल, सैनिक, सीढियां आदि होंगी. इसके साथ ही मंचन में सामने से गुजरने वाले हाथी, घोड़े, ऊंट, बैलगाड़ियां और पालकी का प्रत्यक्ष प्रयोग किया जाएगा. 100 तकनीशियन की मदद से इस नाट्य मंच को तैयार किया जा रहा है.
अलग-अलग राज्यों से आ रहे 200 कलाकार
आयोजकों ने बताया कि स्थानीय स्तर पर जिन कलाकारों को चुना जा रहा है उसमें स्कूल के विद्यार्थी, शिक्षक और स्थानीय कलाकार होंगे. इसके साथ ही जाणता राजा महानाट्य में अभिनय करने के लिए 200 अन्य कलाकार काशी पहुंच रहे हैं. इसमें ग्वालियर, मुंबई, पुणे, इंदौर, सूरत सहित कई राज्यों के कलाकार शामिल होते हैं जो प्रोफेशनल हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि वे नि:शुल्क इस नाटक में अभिनय करते हैं. इन कलाकारों में इंजीनियर, डॉक्टर, चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशे से जुड़े लोग शामिल रहते हैं. आयोजकों का कहना है कि करीब तीन घंटे तक कलाकार रिकॉर्डेड संवादों के साथ अभिनय करते हैं.
अलग-अलग द्वार के लिए अलग-अलग शुल्क
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एंफीथियेटर मैदान में होने वाले नाटक के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है. नाटक मंचन के दौरान छत्रपति शिवाजी के दुर्ग की तरह बैठने की व्यवस्था की गई है. पल्हानगढ़ में बैठकर नाटक देखने का शुल्क 200 रुपये है, तोरणगढ़ द्वार का शुल्क 500 रुपये है, विशालगढ़ द्वार का शुल्क 1000 रुपये है और रायगढ़ द्वार का शुल्क 10,000 रुपये है. इस तरह से अलग-अलग द्वार के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया गया है. नाटक के आयोजकों का कहना है कि इस नाटक से होने वाली आय से बीएचयू कैंसर अस्पताल में 40 हजार वर्गफीट में तीमारदारों के लिए 5 मंजिला आवासीय भवन का निर्माण कराया जाएगा.
जौनपुर में टिकटों की बिक्री शुरू
जौनपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघ संचालक डॉ. सुभाष सिंह ने गुरूवार को प्रेस वार्ता में बताया कि 26 नवंबर को जौनपुर के लोग यह नाट्य मंचन देख सकेंगे. नाटक का मंचन शाम 5:30 से रात 8:30 बजे तक होगा. यह नाटक छत्रपति शाहूजी महाराज के जीवन पर आधारित है. 26 नवंबर को सीएम योगी भी मौजूद रहेंगे.जाणता राजा कार्यक्रम के संयोजक डा. तेज सिंह ने कहा कि इस नाटक से प्राप्त राशि का उपयोग सद्कार्यों के लिए किया जाएगा. नाटक के टिकट का मूल्य 200 (विद्यार्थियों के लिए), 500, 1000, 2500, 10000 रुपए रखा गया है. टिकट प्राप्ति का केन्द्र माधव सेवा आश्रम शिवापार एवं एसएस हास्पिटल लाइन बाजार है. लोग सुविधा के अनुसार टिकट ले सकते हैं.
महानाट्यमंचन में किस दिन किस जिले के दर्शक आएंगे
- 21 नवंबर को सोनभद्र व चंदौली
- 22 नवंबर को मीरजापुर व भदोही
- 23 नवंबर को प्रयागराज
- 24 नवंबर को प्रतापगढ़ और कौशांबी
- 25 नवंबर को सुलतानपुर व अमेठी
- 26 नवंबर को जौनपुर व गाजीपुर
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