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काशी में शृंगार गौरी की मुक्ति का फिर उठा मुद्दा, संत समाज से की ये अपील - Lanka Police Station Varanasi

वाराणसी में शृंगार गौरी के दर्शन एवं मुक्ति के लिए साधु-संत फिर सामने आए हैं. साधु-संतों ने कहा कि 1995 में अशोक सिंघल ने इसके लिए आवाज उठाई थी. अब संत समाज को आगे आकर मां के दर्शन और मुक्ति के लिए आवाज उठानी चाहिए.

श्रृंगार गौरी के मुक्ति को लेकर उठाई आवाज.
श्रृंगार गौरी के मुक्ति को लेकर उठाई आवाज.
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Published : Dec 30, 2020, 7:30 PM IST

वाराणसी: धर्म एवं अध्यात्म की नगरी काशी में शृंगार गौरी के दर्शन और मुक्ति के लिए साधु-संत फिर से सामने आए है. साधु संतों ने कहा कि 1995 में अशोक सिंघल ने इसके लिए आवाज उठाई थी. इसके बाद साल में एक बार यहां दर्शन की अनुमति मिली थी. दो बार अरुण पाठक ने रक्ताभिषेक भी किया था. इसके बाद भी शृंगार गौरी माता को मुक्ति नहीं मिल पाई है. इसको लेकर अब संत समाज को आगे आना होगा.

स्वामी संपत कुमार आचार्य ने दी जानकारी.
दो बार हो चुका है रक्ताभिषेक
जिले के लंका थाना क्षेत्र के सामनेघाट स्थित मृत्युंजय महावेद मंदिर में श्रीमद्भागवत आचार्य स्वामी संपत कुमाराचार्य ने बताया कि 1992 में मां शृंगार गौरी का नृत्य दर्शन-पूजन और विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का मामला उठाया गया था. सन् 1995 और 2016 में दो बार रक्ताभिषेक किया गया. मां शृंगार गौरी के दर्शन के लिए विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने भी आंदोलन किया था. इसके बाद उन्हें दर्शन कराया गया था. मां शृंगार गौरी का साल में एक बार ही दर्शन कराया जाता है.
श्रृंगार गौरी के मुक्ति को लेकर उठाई आवाज.
श्रृंगार गौरी के मुक्ति को लेकर उठाई आवाज.

ये है मामला
बता दें कि ज्ञानवापी परी क्षेत्र का मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इसीलिए किसी भी व्यक्ति को वहां जाने की अनुमति नहीं है. संत समाज की मांग है कि इसे आम जनमानस के लिए खोला जाए. मां शृंगार गौरी के दर्शन से ही बाबा विश्वनाथ के दर्शन को सफल माना जाता है.


पूरे मामले को संत समाज के सामने उठाने का काम करेंगे. इससे शृंगार गौरी माता का लोगों को दर्शन प्राप्त हो सके. जब तक माता शृंगार गौरी के दर्शन भक्तों को प्राप्त नहीं होते, तब तक बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता. इस मंदिर में दर्शन करना लोगों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा.

-स्वामी संपत कुमार आचार्य, साधु

वाराणसी: धर्म एवं अध्यात्म की नगरी काशी में शृंगार गौरी के दर्शन और मुक्ति के लिए साधु-संत फिर से सामने आए है. साधु संतों ने कहा कि 1995 में अशोक सिंघल ने इसके लिए आवाज उठाई थी. इसके बाद साल में एक बार यहां दर्शन की अनुमति मिली थी. दो बार अरुण पाठक ने रक्ताभिषेक भी किया था. इसके बाद भी शृंगार गौरी माता को मुक्ति नहीं मिल पाई है. इसको लेकर अब संत समाज को आगे आना होगा.

स्वामी संपत कुमार आचार्य ने दी जानकारी.
दो बार हो चुका है रक्ताभिषेक
जिले के लंका थाना क्षेत्र के सामनेघाट स्थित मृत्युंजय महावेद मंदिर में श्रीमद्भागवत आचार्य स्वामी संपत कुमाराचार्य ने बताया कि 1992 में मां शृंगार गौरी का नृत्य दर्शन-पूजन और विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का मामला उठाया गया था. सन् 1995 और 2016 में दो बार रक्ताभिषेक किया गया. मां शृंगार गौरी के दर्शन के लिए विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल ने भी आंदोलन किया था. इसके बाद उन्हें दर्शन कराया गया था. मां शृंगार गौरी का साल में एक बार ही दर्शन कराया जाता है.
श्रृंगार गौरी के मुक्ति को लेकर उठाई आवाज.
श्रृंगार गौरी के मुक्ति को लेकर उठाई आवाज.

ये है मामला
बता दें कि ज्ञानवापी परी क्षेत्र का मामला न्यायालय में विचाराधीन है. इसीलिए किसी भी व्यक्ति को वहां जाने की अनुमति नहीं है. संत समाज की मांग है कि इसे आम जनमानस के लिए खोला जाए. मां शृंगार गौरी के दर्शन से ही बाबा विश्वनाथ के दर्शन को सफल माना जाता है.


पूरे मामले को संत समाज के सामने उठाने का काम करेंगे. इससे शृंगार गौरी माता का लोगों को दर्शन प्राप्त हो सके. जब तक माता शृंगार गौरी के दर्शन भक्तों को प्राप्त नहीं होते, तब तक बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता. इस मंदिर में दर्शन करना लोगों के लिए लाभदायक सिद्ध होगा.

-स्वामी संपत कुमार आचार्य, साधु

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